बोकारो: समरेश के पुत्र संग्राम और मजदूर नेता राजेंद्र के समर्थकों में  क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ ऑफिस पर कब्जे को लेकर भिड़ंत

बोकारो सेक्टर नौ स्थित क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ के ऑफिस पर कब्जे को लेकर रविवार को समरेश सिंह के पुत्र संग्राम सिंह व मजदूर नेता राजेंद्र सिंह के समर्थकों के बीच भिड़ंत हो गया। दोनों के समर्थकों में हाथापाई की नौबत आ गयी।

बोकारो: समरेश के पुत्र संग्राम और मजदूर नेता राजेंद्र के समर्थकों में  क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ ऑफिस पर कब्जे को लेकर भिड़ंत
  • प्रशासन ने सील किया ऑफिस

बोकारो। सेक्टर नौ स्थित क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ के ऑफिस पर कब्जे को लेकर रविवार को समरेश सिंह के पुत्र संग्राम सिंह व मजदूर नेता राजेंद्र सिंह के समर्थकों के बीच भिड़ंत हो गया। दोनों के समर्थकों में हाथापाई की नौबत आ गयी।

संग्राम सिंह दल-बल के साथ रविवार को ऑफिस पहुंचकर अपना दावा ठोंक दिया। बाद में राजेंद्र सिंह भी समर्थकों के साथ पहुंचे। दोनों के जुटान के बाद हंगामा शुरू हो गया। कोरोना काल में रविवार को संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी लोगों की भीड़ जमा होने पर जिला प्रशासन ने ऑफिस सील कर दिया है।

समरेश ने कराया था रजिस्ट्रेशन, राजेंद्र ने बनाया अलग गुट

एक्स मिनिस्टर समरेश सिंह ने 80 के दश में क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ की स्थापना की थी। सेक्टर 09 ए स्थित क्वार्टर में संघ का ऑफिस है। इस का एलॉटमेंट तो नहीं हुआ था। समरेश ने वर्ष 1993 में संघ रजिस्ट्रेशन कराया था। राजेंद्र सिंह इस यूनियन में वर्ष 2000 तक संयुक्त महामंत्री थे। झारखंड अलग स्टेट बनने के बाद समरेश सिंह मिनिस्टर बन गये तो यूनियन के कुछ पदाधिकारियों ने राजेंद्र सिंह को महामंत्री बनाने को कहा। समरेश सिंह ने राजेंद्र को महामंत्री बनया तो उन्होंने यूनियन पदाधिकारियों ने एक अलग गुट बना लिया। इसमें बच्चा सिंह अध्यक्ष व राजेंद्र सिंह महामंत्री बने। इस गुट ने बाद में एचएमएस से संबद्धता ले ली। इसके बाद से ही ऑफिस को लेकर विवाद शुरू हुआ।
राजेंद्र सिंह ने क्वार्टर में रहने वाले त्रिलोकी सिंह को आवास खाली करने के लिए बोला। क्वार्टर को बिना खाली कराये अलॉकेशन करा लिया गया। बीएसएल के इस्टेट कोर्ट में ने त्रिलोकी सिंह को क्वार्टर खाली करने को कहा। इसके बाद मामला जिला कोर्ट से अभी हाई कोर्ट में पहुंच गया है। त्रिलोकी सिंह ने अप्रैल माह में क्वार्टर खाली कर समरेश सिंह के पुत्र व मजदूर नेता संग्राम सिंह को चाभी दे दी। चाभी मिलने के बाद संग्राम सिंह ने देखरेख के लिए एक कार्यकर्ता को वहां रहने भेजा। इसके बाद शनिवार देर शाम से ही वहां हो-हंगामा शुरू हो गया था।