धनबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कोरोना से मृत व्यक्ति का किया अंतिम संस्कार 

धनबाद महानगर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने "सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जलें" इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए वह कार्य किया जो सामान्यतः कोरोना काल में सगे भी करने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया।

धनबाद:  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कोरोना से मृत व्यक्ति का किया अंतिम संस्कार 
  • समाज की पीड़ा देख संघ के स्वयंसेवक से रहा नहीं जाता, अपनी चिंता किए बिना वे लग जाते हैं सेवा में 

धनबाद। धनबाद महानगर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने "सेवा है यज्ञ कुंड समिधा सम हम जलें" इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए वह कार्य किया जो सामान्यतः कोरोना काल में सगे भी करने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया।महानगर कार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, धनबाद पंकज ने यह जानकारी दी। 
उन्होंने बताया कि  कि महानगर के हेल्पलाइन नंबर पर बाबूडीह, पॉलिटेक्निक निवासी विनय कुमार ने सुबह 7:45 बजे कॉल कर कहा कि उनके पिताजी की मृत्यु हो गई है। मुझे मदद की आवश्यकता है। कॉल पर मौत का कारण और स्थान पूछा गया तो कारण में कोरोना से मृत्यु और स्थान रिम्स अस्पताल रांची बताया गया। कॉल पर इधर से उन्हें हां में जवाब दिया गया। उसी समय विवेक नामक कार्यकर्ता से बातचीत कर रिम्स रांची के लिए रवाना कर दिया गया। इधर अंतिम संस्कार की व्यवस्था बनाई गई। अस्पताल की प्रक्रिया पूर्ण कर एंबुलेंस के द्वारा धनबाद मृत शरीर लाने में शाम हो गयी। यहां पर पहले से कार्यकर्ताओं ने मृतक के घरवालों से दूरभाष पर बातचीत कर पांडरपाला श्मशानघाट पर लकड़ी आदि की व्यवस्था पूर्ण कर चुके थे। शव को अंत्येष्टि के लिए श्मशान घाट लाया गया।कार्यकर्ताओं ने पीपीई किट पहनकर विधि -विधान और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार विजय प्रसाद का अंतिम संस्कार किया। चिता की अग्नि बुझने तक कार्यकर्ता वहीं डटे रहें।
नर सेवा नारायण सेवा का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वयंसेवकों को संघ की शाखा में राष्ट्र व समाज के लिए त्याग और समर्पण का भाव सिखाया जाता है। संघ की स्थापना राष्ट्र व समाज हित के लिए की गई जिसमें स्वयंसेवक व्यक्तिगत स्वार्थ एवं हित से ऊपर उठकर राष्ट्र एंव समाज के लिए त्याग और समर्पण करते हैं।स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत सुख- दु:ख, निंदा -प्रशंसा से परे अहर्निश समाज के लिए कार्य करते हैं।संघ के स्वयंसेवकों द्वारा ऐसे आपदा के समय लोगों की निस्वार्थ सेवा करना प्रथम कर्तव्य होता है।