धनबाद: एसडीएम ने पूजा पंडालों का निरीक्षण किया, कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करने वाली सर्वश्रेष्ठ कमेटियां होंगी सम्मानित

एसडीएम सुरेंद्र कुमार ने मंगलावर को शहर के विभिन्न पूजा पंडालों का निरीक्षण किया। हीरापुर के दुर्गा मंदिर में होने वाली दुर्गा पूजा में भी इस बार श्रद्धालुओं को मां दुर्गा के समीप जाने के अनुमति नहीं मिलेगी।

धनबाद: एसडीएम ने पूजा पंडालों का निरीक्षण किया, कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करने वाली सर्वश्रेष्ठ कमेटियां होंगी सम्मानित
  • हीरापुर दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा के दौरान नो इंट्री, पुष्पांजलि भी नहीं दे सकेंगे श्रद्धालु

धनबाद। एसडीएम सुरेंद्र कुमार ने मंगलावर को शहर के विभिन्न पूजा पंडालों का निरीक्षण किया। उन्होंने सरायढेला स्टील गेट, हरि मंदिर तथा झारखंड मैदान का निरीक्षण किया। एसडीएम ने बताया कि सरायढेला एवं हरि मंदिर पूजा समिति ने राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आयोजन की तैयारी की है। झारखंड मैदान में एसओपी का उल्लंघन हुआ है। यहां, मां दुर्गा की प्रतिमा जहा स्थापित होगी, वहां पंडाल का रूप दिया गया है। आयोजकों को एसओपी का पालन करते हुए पंडाल बनाने का निर्देश दिया है।

एसडीएम ने कहा कि इस बार राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के एसओपी का सर्वश्रेष्ठ पालन करने वाली पूजा समितियों को विशेष रूप से सम्मानित किया जायेगा। उन्होंने सभी पूजा समितियों से कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव के रोकथाम के लिए जिला प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि कोरोना को लेकर इस साल दुर्गा पूजा का आयोजन छोटे पूजा पंडाल, मंदिरों और घरों में ही किया जायेगा। पूजा पंडालों में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन अनिवार्य है। पूजा पंडाल को ऐसा बनाया जायेगा, ताकि बाहर से मूर्ति न दिखे और श्रद्धालुओं की भीड़ न लगे।

पंडाल में एक समय में पुजारी और आयोजकों को मिलाकर कुल सात लोगों के ही रहने की छूट है। पूजा पंडाल को खुला रखने को कहा गया है। मूर्ति जहां रहेगी, उसी जगह ढका रखना है। पूजा पंडाल या मंडप के आस-पास किसी प्रकार की लाइटिंग या सजावट नहीं होगी। स्टेट गवर्नमेंट की ओर से मूर्ति को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किया गया है। मूर्ति का आकार चार फीट से अधिक नहीं होना चाहिए। पूजा के दौरान मेले के आयोजन पर बैन है। मूर्ति विसर्जन के दौरान जुलूस निकालने की भी मनाही है। जिला प्रशासन द्वारा फिक्स जगह पर ही मूर्ति विसर्जित की जायेगी।
हीरापुर दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा के दौरान नो इंट्री, पुष्पांजलि भी नहीं दे सकेंगे श्रद्धालु
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हीरापुर के दुर्गा मंदिर में होने वाली दुर्गा पूजा में भी इस बार श्रद्धालुओं को मां दुर्गा के समीप जाने के अनुमति नहीं मिलेगी। अंदर नो इंट्री रहेगी। लोगों को गेट के बाहर से ही मां का दर्शन करना होगा। पुष्पांजलि की अनुमति भी नहीं दी गई है। मंदिर कमेटी ने सादगी के साथ विधि-विधान और पारंपरिक पूजा आयोजन का निर्णय लिया है।

इस बार पूजा की थाली स्वीकार नहीं की जाएगी। भोग वितरण भी नहीं होगा। दु्र्गा मंदिर में षष्ठी की शाम से विजयदशमी तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। अष्टमी को पुष्पांजलि के दौरान भीड़ जुटती है। दुर्गा मंदिर में दुर्गापूजा के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। धनबाद के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के कलाकार भी इसमें शरीक होते हैं। इस बार ऐसे आयोजन भी नहीं होंगे।

दुर्गा मंदिर में वर्ष 1913 में शुरू हुई थी पूजा
दुर्गा मंदिर में वर्ष 1913 में पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ था। इसकी शुरुआत मणि मोहन चटर्जी ने की थी। उस समय मंदिर नहीं बना था। बिचाली से बनी कुटिया में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गयी थी। कई वर्षों तक इसी तरह पूजा का आयोजन होता रहा। वर्ष 1921 में दुर्गा मंदिर का निर्माण हुआ।दुर्गा मंदिर हीरापुर क्षेत्र के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। वर्ष 2013 में इसका शताब्दी वर्ष समारोह धूमधाम से मनाया गया था।