झारखंड: गोपाल जी तिवारी ने CM के OSD का पोस्ट छोड़ने का आग्रह किया,पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव बने रहेंगे

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के ओएसडी (ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी) गोपाल जी तिवारी ने पद छोड़ने का आग्रह किया है।

झारखंड: गोपाल जी तिवारी ने CM के OSD का पोस्ट छोड़ने का आग्रह किया,पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव बने रहेंगे

रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के ओएसडी (ऑफिसर इन स्पेशल ड्यूटी) गोपाल जी तिवारी ने पद छोड़ने का आग्रह किया है। हालांकि वो पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर बने रहेंगे। उल्लेखनीय है कि स्टेट सीएम हेमंत सोरेन के शपथ लेने के बाद गवर्नमेंट बनते ही सबसे पहले गोपाल जी तिवारी की ओएसडी पोस्ट पर एप्वाइंट किया था। बतौर ओएसडी गोपाल जी तिवारी को हमेशा सीएम हेमंत सोरेन के साथ ही देखा जाता था। वह हर मीटिंग में भी मौजूद रहते थे। अचानक कुछ दिनों से वह नहीं दिख रहे थे। 

विदेश दौरे और जमीन खरदीने संबंधी आरोप लगे 
सीएम के ओएसडी गोपाल जी तिवारी पर कई गंभीर आरोप लगे थे। सीनीयर एडवोकेट राजीव कुमार ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा था कि विदेश यात्रा पर जाने के बाद विधानसभा कमिटी की रिपोर्ट में इन पर कार्रवाई करने का निर्देश हुआ था। ये पब्लिक सर्वेंट हैं, लेकिन विदेश यात्रा से जुड़ी सारी बातें सरकार से छुपायी थी। श्री तिवारी पर राजधानी के मोरहाबादी स्थित आशाश्री गार्डेन के पास जमीन खरीदन को लेकर भी आरोप लगाया गया है।आरोपों के बाद गोपाल जी तिवारी 19 जुलाई तक छुट्टी ले ली थी।

सीएम के ओएसडी  के साथ-साथ पथ निर्माण विभाग में भी हैं संयुक्त सचिव 

गोपाल जी तिवारी सीएम के ओएसडी होने के साथ-साथ पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव भी थे।  विभाग में उनके पास कई अहम जिम्मदारियां सौंपी गयी थीं।लेकिन हाल के दिनों में उनसे कई जिम्मेदारियां वापस ले ली गयी थीं।विभाग में उनके पास निगरानी, अभियंताओं की स्थापना, योजना और बजट की जिम्मेदारी थी। ये जिम्मेदारी जिसके पास होती है, उन्हें विभाग में काफी पावरफुल माना जाता है। लेकिन इन सभी जिम्मेदारियां उनसे लेकर दूसरे संयुक्त सचिव प्रदीप मिश्रा को दे दी गयी थी।सोर्सेज का कहना है कि कुछ आंतरिक विवादों में ओएसडी नाम आने की वजह से सीएम हेमंत सोरेन उनसे नाराज बताये जाते हैं। उनके करीबी रिश्तेदारों द्वारा बड़े-पैमाने पर जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़ा मामला विवाद का कारण है। कयास लगाया जा रहा था कि सीएमओ में उन्हें ओएसडी के पद से हटाकर कुछ अन्य कार्य दिया जा सकता है।