India China Tension: इंडियन आर्मी ने पैंगोंग झील के समीप फिंगर 4 की कई अहम चोटियों पर किया कब्जा

पिछले चार माह से ज्यादा समय से इंडिया-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की एलएसी पर गतिरोध जारी है। दोनों देश की आर्मी के बीच विभिन्न इलाकों में कई बार टकराव की स्थिति भी पैदा हो चुकी है। इस बीच, इंडियन आर्मी ने पैंगोंग सो झील के किनारे फिंगर-4 इलाके की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया है। अब आर्मी को चीनी जवानों पर नजर बनाए रखने में आसानी होगी। अगस्त महीने के अंत में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के पास ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए ये ऑपरेशंस किये गये थे।

India China Tension: इंडियन आर्मी ने पैंगोंग झील के समीप फिंगर 4 की कई अहम चोटियों पर किया कब्जा

नई दिल्ली। पिछले चार माह से ज्यादा समय से इंडिया-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की एलएसी पर गतिरोध जारी है। दोनों देश की आर्मी के बीच विभिन्न इलाकों में कई बार टकराव की स्थिति भी पैदा हो चुकी है। इस बीच, इंडियन आर्मी ने पैंगोंग सो झील के किनारे फिंगर-4 इलाके की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया है। अब आर्मी को चीनी जवानों पर नजर बनाए रखने में आसानी होगी। अगस्त महीने के अंत में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे के पास ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए ये ऑपरेशंस किये गये थे।
इंडियन आर्मी ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे फिंगर 4 पर ऊंचाई वाली जगह को अपने कब्जे में लेकर चीन के सामने अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है।एलएसी पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी छोर पर मौजूद ऊंचाई वालीं जगहों पर कब्जा करने के लिए इंडियन आर्मी ने अगस्त के आखिरी में ही चढ़ाई शुरू कर दी थी। सेना ने चीन की स्थिति को देखते हुए ऊंचाई वाली कई महत्वपूर्ण जगहों पर वापस से कब्जा कर लिया है। चीनी सेना अप्रैल- मई के आसपास फिंगर 4 पर बैठ गये थे। इसे अपना बताते हुए भपीछे हटने से इंकार कर दिया था। अब इंडियन आर्मी ने एक बार फिर से रणनीतिक महत्व वाली कई ऊंची जगहों पर कब्ज़ा कर के अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है।

उल्लेखनीय है कि लद्दाख के पैंगोंग के दक्षिण किनारे से लेकर रेजांग ला तक इंडियन आर्मी तैनात है। रेजांग ला, मगर हिल और गुरुंग हिल पर भी सेना मोर्चा संभाले हुए है। इससे पहले इंडियन आर्मी ने ब्लैक टॉप पर भी चीन की कब्जे करने की साजिश को विफल कर दिया था।इंडिया और चीन के बीच टेशनई की शुरुआत से ही जारी है। जून के मध्य में दोनों पक्षों के बीच गलवान घाटी में हिंसक टकराव हो गया था। इस टकराव में इंडिया के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के भी कई सैनिकों को जवानों ने मार गिराया था। इसके बाद, दोनों देशों में कूटनीतिक, सैन्य स्तर की बातचीत हुई, जिसमें तनाव को कम करने पर चर्चा की गई। हालांकि, अगस्त के अंत में एक बार फिर से चीन ने चुशूल सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की, जिसे सेना ने विफल कर दिया था।वहीं, दोनों देशों के बीच तनाव में कमी को लेकर रूस के मॉस्को में गुरुवार शाम को विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच मुलाकात में डाई घंटे तक वार्ता हुई। 
वर्ष 1975 के बाद एलएसी पर चलीं गोलियां

लद्दाख में वर्ष 1975 के बाद पहली बार बीते सोमवार को एलएसी पर गोलियां चलीं। पीएलए ने सोमवार देर रात झूठा आरोप लगाया कि इंडियन आर्मी ने एलएसी पार की और पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चेतावनी देने के लिए गोलियां चलाईं। हालांकि, चीन के इस दावे को इंडियाने सिरे से खारिज कर दिया। इंडियन आर्मी ने पीएलए के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उसने कभी एलएसी पार नहीं की या गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल नहीं किया। आर्मी ने कहा कि यह पीएलए है जो समझौतों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है और आक्रामकता अपना रहा है जबकि सैन्य, कूटनीतिक एवं राजनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है।