झारखंड: डिसमिस किये गये 24 कंपनी कमांडर सात साल बाद फिर हुए बहाल

झारखंड गवर्नमेंट ने डिसमिस किये गये सभी 24 कंपनी कमांडर को सात साल बाद बहाल कर लिया है। होम डिपार्टमेंट ने रोस्टर के पेंच को सुलझाते हुए हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सभी डिसमिस कंपनी कमांडर को बहाल किया। 

झारखंड: डिसमिस किये गये 24 कंपनी कमांडर सात साल बाद फिर हुए बहाल
  • होम डिपार्टमेंट ने ही रोस्टर का पेंच सुलझाया
  • एसआइ की रिक्तियों से आठ पद कंपनी कमांडर में उधार नहीं लिया गया

रांची। झारखंड गवर्नमेंट ने डिसमिस किये गये सभी 24 कंपनी कमांडर को सात साल बाद बहाल कर लिया है। होम डिपार्टमेंट ने रोस्टर के पेंच को सुलझाते हुए हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सभी डिसमिस कंपनी कमांडर को बहाल किया। 
होमगार्ड में पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जनजाति कटेगरी में कैंडिडेट की तुलना में रिक्तियां नहीं होने के कारण पिछड़ा वर्ग के चार व अनुसूचित जनजाति के चार यानी कुल आठ कंपनी कमांडर को उनके समतुल्य एसआइ के पोस्ट पर रांची जिला बल में ट्रांसफर कर दिया गया है।जैसे ही होमगार्ड में उनकी कटेगरी में पोस्ट रिक्त होगा, ये अपने पैतृक विभाग में वापस हो जायेंगे। यह होम डिपार्टमेंट के आदेश के आलोक में किया गया है। होमगार्ड में कंपनी कमांडर के कुल 29 पद रिक्त थे। कुल डिसमिस कंपनी कमांडर 24 थे। इनमें 23 को बहाल कराया जाना था। अब पेंच यह सामने आया गया था कि जेनरल कटगेरी में कुल 16 पद रिक्त थे, लेकिन इसमें कैंडिडेट केवल चार थे। ओबीसी में कुल तीन पद रिक्त थे, लेकिन यहां सात कैंडिडेट थे।एसटी में कुल सात पद रिक्त थे, लेकिन कैंडिडेट 11 थे। एससी में कुल रिक्त पद तीन थे, लेकिन यहां एक भी कैंडिडेट नहीं था।

ओबीसी में चार व एसटी में चार कैंडिडेट यानी कुल आठ कैंडिडेट रिक्तियों से अधिक थे। इन्हें सामंजित करने में परेशानी आ रही थी। इसके चलते ही कंपनी कमांडर बहाल नहीं हो पा रहे थे। डीजीपी ने इसका हल निकाला था कि उनके यहां एसआइ में एसटी के 259 व ओबीसी के 210 पद रिक्त हैं। इनमें से चार-चार पद होमगार्ड को उधार में देकर हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने के लिए डिसमिस कंपनी कमांडर को बहाल करा लिया जायेगा। होम डिपार्टमेंट ने डीजीपी की इस अनुशंसा को अस्वीकृत कर दिया। आदेश दिया कि पहले से बहाल कंपनी कमांडर से ओबीसी के चार व एसटी के चार कैंडिडेट को पद रिक्त होने तक उनके समतुल्य दारोगा के पद पर सामंजित किया जाय और इसी आधार पर उन्हें बहाल किया गया।

घटनाक्रम

वर्ष 2008 : दारोगा, कंपनी कमांडर व सार्जेंट के पद पर बहाली के लिए विज्ञापन निकला।
वर्ष 2012 : तीनों श्रेणी में कुल 384 अभ्यर्थी बहाल हो गए।
वर्ष 2014 : 24 कंपनी कमांडर व 15 सार्जेंट की बहाली को नियम विरुद्ध बताते हुए सेवा से डिसमिस कर दिया गया। डिसमिसने सरकार के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
वर्ष 2016 : हाई कोर्ट में सिंगल बेंच ने डिसमिस अफसरों के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार को इन्हें पुन: बहाल करने का आदेश दिया। सरकार अपील में गई।
वर्ष 2019 : हाई कोर्ट में डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा और सरकार से सभी डिसमिस अफसरों को बहाल करने का आदेश दिया। डिसमिस अफसरों को बहाल नहीं किया गया तो वे अवमानना वाद दायर कर दिए।
डिसमिस अफसरों नवंबर 2020 : अवमानना वाद की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस हेडक्वार्टर रेस।
दिसंबर 2020 : डीजीपी एमवी राव ने होमगार्ड को दिया सभी 42 डिसमिस अफसरों को बहाल करने का आदेश। सिर्फ 15 सार्जेंट ही बहाल किए गये। तीन सार्जेंट अयोग्य मिले थे। 24 कंपनी कमांडर अब तक बहाल नहीं।
चार जनवरी 2021 : तत्कालीन डीजीपी एमवी राव ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर बताया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो गया है।
18 फरवरी 2021 : सुप्रीम कोर्ट ने भी एसएलपी पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। बहाल करने का आदेश दिया। 13 अप्रैल 2021 : गृह विभाग ने रोस्टर के पेंच पर अपना मंतव्य दिया कि 24 कंपनी कमांडर में आठ का सीट नहीं होने पर उन्हें उनके समकक्ष दारोगा के पद पर बहाल किया जाय।
पांच मई 2021 : पुलिस मुख्यालय ने आठ कंपनी कमांडर को दारोगा में बहाल करने के प्रस्ताव को तकनीकी कारणों से ठुकराया। मंतव्य के साथ गृह विभाग को अनुशंसा की कि एसआइ के आठ पद को ही गृह रक्षा वाहिनी को उधार में दे दिया जाय।कंपनी कमांडर को बहाल करा दिया जाय। जब वहां रिक्ति होगी तो ये पद दारोगा को वापस हो जायेंगे।