नई दिल्ली: पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स की डिस्ट्रिक हॉस्पीटल्स में Deployment  mandatory

मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस की पढ़ाई करने वाले सभी पीजी स्टूडेंट्स  को रोटेशन के आधार पर तीन-तीन महीने के लिए डिस्ट्रिक हॉस्पीटल्स में mandatory Deployment की जायेगी।एजुकेशनल सेशन 2020-21 से इस तरह की अ mandatory रेजिडेंशियल Deployment  Syllabus  का हिस्सा होगी। यह निर्देश मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा जारी नोटिफकेशन में दिया गया है।

नई दिल्ली: पीजी मेडिकल स्टूडेंट्स की डिस्ट्रिक हॉस्पीटल्स में Deployment  mandatory

नई दिल्ली। मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस की पढ़ाई करने वाले सभी पीजी स्टूडेंट्स  को रोटेशन के आधार पर तीन-तीन महीने के लिए डिस्ट्रिक हॉस्पीटल्स में mandatory Deployment की जायेगी।एजुकेशनल सेशन 2020-21 से इस तरह की अ mandatory रेजिडेंशियल Deployment 
Syllabus  का हिस्सा होगी। यह निर्देश मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा जारी नोटिफकेशन में दिया गया है।

पीजी syllabus के थर्ड, फोर्थ और फिफ्थ सेमेस्टर के दौरान स्टूडेंट्स की जिलों में Deployment की जायेगी। इस रोटेशन को डिस्ट्रिक्ट रेजिडेंसी प्रोग्राम (डीआरपी) नाम दिया गया है। जिलों में ट्रेनिंग के लिए Deployed students को डिस्ट्रिक्ट रेजिडेंट या जिला रेजिडेंट कहा जायेगा। पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन संशोधन नियम-2020 के अनुसार जिला रेजिडेंसी की अवधि को संतोषजनक तरीके से पूरा करना एग्जाम में बैठने की अनिवार्य शर्त होगी। बिना इसके स्टूडेंट पीजी की फाइनल एग्जाम में नहीं बैठ सकेंगे।

स्टूडेंट्स को नेशनल प्रोगाम से कराया जायेगा से अवगत 
जिला रेजिडेंसी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पीजी स्टूडेंट्स को जिला चिकित्सा सेवा प्रणाली से अवगत कराना और उन्हें जिला चिकित्सा सेवा में शामिल करना है। इससे उन्हें ट्रेनिंग के दौरान सेवा करते हुए सीखने का मौका मिलेगा। इसके अलावा वह जिला स्तरीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की जाने वाली निगरानी, मूल्यांकन और योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रक्रिया से भी अवगत हो सकेंगे।

डिस्ट्रिक रेजिडेंट डॉक्टर बनेंगे
पीजी स्टूडेंट जिला अस्पतालों में स्पेशलिस्ट रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में मेडिकल सर्विस देंगे। कार्यक्रम के तहत पीजी स्टूडेंट की Deployment उन्हीं जिला हॉस्पटलों में की जायेगी जो सरकारी होंगे। वहां कम से कम 100 बिस्तर होंगे। वे डायग्नोस्टिक, लैबोरेटरी, फार्मेसी, फॉरेंसिक और जनरल क्लिनिकल सेवा देने समेत प्रबंधकीय भूमिका भी निभायेंगे। पीजी स्टूडेंट्स को आईसीएमआर और अन्य राष्ट्रीय रिसर्च संगठनों के अनुसंधान केंद्रों में भी तैनात किया जा सकता है।
परजेंट पर निर्भर करेगा सैलरी

रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में कार्यरत स्टूडेंट को इस अवधि के दौरान वही वेतन और स्टाइपेंड मिलेगा जो उन्हें उनके मेडिकल कॉलेजों में मिलता था। लेकिन उनका सैलरी उनकी उपस्थिति पर भी निर्भर करेगा। मेडिकल कॉलेजों को उपस्थिति का रिकॉर्ड जिला प्रशासन द्वारा भेजा जायेगा।
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