नई दिल्ली : मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के एलजी पोस्ट की शपथ ली

एक्स सेंट्रल मिनिस्टर मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के नये एलजी (उपराज्यपाल) के रूप में शपथ ली। मनोज सिन्हा  यहां के दूसरे एलजी और पहले पॉलिटिकल पर्सन हैं जिन्होंने यूटी में यह जिम्मेदारी संभाली है।

नई दिल्ली : मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के एलजी पोस्ट की शपथ ली
  • श्रीनगर में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिलाई शपथ 

श्रीनगर। एक्स सेंट्रल मिनिस्टर मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के नये एलजी (उपराज्यपाल) के रूप में शपथ ली। मनोज सिन्हा  यहां के दूसरे एलजी और पहले पॉलिटिकल पर्सन हैं जिन्होंने यूटी में यह जिम्मेदारी संभाली है। उल्लेखनीय है कि गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद यहां एलजी का पद खाली था। मुर्मू को देश नया सीएजी एप्वाइंट किया गया है।

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने राजभवन में आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में सिन्हा को शपथ दिलायी। इससे पूर्व चीफ सेकरेटरी बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने सिन्हा को जम्मू कश्मीर का एलजी एप्वाइंट किए जाने संबंधी राष्ट्रपति के आदेश को पढ़ कर सुनाया। शपथ ग्रहण समारोह में चुनिंदा गेस्ट ही शामिल हुए।

जम्मू कश्मीर के पहले एलजी गिरीश चंद्र मुर्मू ने पांच अगस्त को पद से त्यागपत्र दिया था। राष्ट्रपति भवन ने कल सुबह मुर्मू के त्यागपत्र को स्वीकार किए जाने और सिन्हा को एलजी नियुक्त किये जाने की घोषणा की थी। श्री सिन्हा गुरुवार दोपहर श्रीनगर पहुंच गये थे। शपथ व कार्यभार ग्रहण करने से पहले कल दिन भर उन्होंने अफसरों के साथ बैठक की और परिस्थितियों की जानकारी ली।

उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले के मोहनपुर में मनोज सिन्हा का जन्म एक जुलाई 1959 को हुआ था। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े गांवों के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं। अपने क्षेत्र में 'विकास पुरुष' के नाम से जाते हैं। सिन्हा का राजनीतिक करियर 1982 में काशी हिंदू यूनिवर्सिटी का प्रसिडेंट चुने जाने के साथ शुरू हुआ। वह वर्ष 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे। 

वह तीन बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। मनोज सिन्हा 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गये। उन्होंने 1999 में दोबारा जीत 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार जीत दर्ज की। बीजेपी ने मोदी के लीडरशीप में सेंट्रल में सत्ता में वापसी की तो सिन्हा ने 2016 में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर संचार मंत्रालय संभाला। इस दौरान संचार उद्योग स्पेक्ट्रम की बिक्री में जुटा था।