यूपी: कोरोना संक्रमण से प्राविधिक शिक्षा मिनिस्टर कमलरानी रानी वरुण की मौत

यूपी के प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण का रविवार को कोरोना से निधन हो गया। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित होने के बाद वह  लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में एडमिट थीं। देश में किसी मिनिस्टर की कोरोना से यह पहली मौत है। 

यूपी: कोरोना संक्रमण से प्राविधिक शिक्षा मिनिस्टर कमलरानी रानी वरुण की मौत
कमाल रानी वरुण (फाइल फोटो)।

लखनऊ। यूपी के प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण का रविवार को कोरोना से निधन हो गया। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित होने के बाद वह  लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में एडमिट थीं। देश में किसी मिनिस्टर की कोरोना से यह पहली मौत है। 
मिनिस्टर कमलरानी वरुण के निधन की सूचना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज का अपना अयोध्या और बाराबंकी का दौरा स्थगित कर दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर कैबिनेट की बैठक की। बैठक में कमलरानी वरुण को श्रद्धांजलि दी गई। उनके साथ ही निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया। कैबिनेट की ओर से श्रद्धांजलि दी गई। 

पीजीआइ लखनऊ में 18 जुलाई से थी एडमिट

पीजीआई सीएमएस डॉ. अमित अग्रवाल का कहना कि प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण को सीवियर कोविड-19 निमोनिया हो गया था। इस वजह से वह एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम में चली गई थी। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। कोरोना के लिए निर्धारित रेमडेसिविर समेत अन्य  निर्धारित दवाएं उन्हें लगातार दी जा रही थी, लेकिन सुधार नहीं हो रहा था।
मिनिस्टर कमलरानी को पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन व थायराइड से पीड़ित थी। उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था। हालांकि, शुरुआत के 10 दिनों में उनकी तबीयत स्थिर रही, लेकिन पिछले तीन दिनों से अचानक स्थिति खराब होने लगी थी। शनिवार की शाम करीब 6:00 बजे तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें बड़े वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। रविवार को सुबह 9:00 बजे उनका निधन हो गया। मिनिस्टर की बेटी भी कोरोना पॉजिटिव थी। वह ठीक हो गयी है।  

कमला रानी 18 जुलाई को हुईं थी एडमिट

कोरोना वायरस संदिग्ध होने पर मिनिस्टर कमलरानी वरूण का 17 जुलाई को सैंपल लिया गया था। वह कोरोना पॉजिटिव आयी थी। इसके बाद उन्हें लखनऊ के पीजीआइ हॉस्पीटल में 18 जुलाई को एडमिट कराया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते आइसीयू में रखा गया था।

पार्षद से एमपी फिर स्टेट गवर्नमेंट में मिनिस्टर

कमला वरुण रानी का वर्ष 1958 की तीन मई को लखनऊ में जन्म हुआ ता। कमलरानी वरुण का विवाह वर्ष 1975 की 25 मई को किशन लाल वरुण से हुआ था। कमलरानी वरुण ने बूथ पर घूंघट में वोटर पर्ची काटने से राजनीति की सीढ़ी चढऩी शुरू की। एमपी-एमएलए बनने के साथ स्टेट में मिनिस्टर तक का सफर तय किया था। योगी आदित्यनाथ गवर्नमेंट में कैबिनेट मिनिस्टर कमलरानी वरुण के पिचा एलआईसी में किशन लाल हैं जो एलआइसी में अफसर थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिबद्ध स्वयंसेवक थे। बहू बनकर कानपुर आईं कमलरानी ने पहली बार 1977 के चुनाव में बूथ पर मतदाता पर्ची काटने के लिए घूंघट में घर की दहलीज पार की। सोसोलॉजी से एमए कमलरानी को हसबैंड किशनलाल ने प्रोत्साहित किया तो वह आरएसएस के मलिन बस्तियों में संचालित सेवा भारती के सेवा केंद्र में बच्चों को शिक्षा के साथ गरीब महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और बुनाई का प्रशिक्षण देती थीं।

दो बार जीती लोकसभा चुनाव

बीजेपी ने वर्ष 1989 में कमला रानी को टाउन के द्वारिकापुरी वार्ड से कानपुर पार्षद का टिकट दिया था। सभासद का चुनाव जीत कर नगर निगम पहुंची कमलरानी 1995 में दोबारा उसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुई थीं। आरएसएस की सेवा भारती के बाद सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली कमल रानी वरुण 1988 में पहली बार सभासद चुनी गईं। इसके बाद दो बार लोकसभा मेंबर बनी।  विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद उन्हें योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनी।कमलरानी घाटमपुर लोकसभा सीट से 1996 में लोकसभा में पहुंची। लोकसभा का सत्र पूरा ना हो सका। वर्ष1998 में दोबारा चुनाव हुआ और इस चुनाव में भी कमल रानी वरुण ने भी जीत हासिल कर पार्टी का भरोसा कायम रखा। लगातार दूसरी बार लोकसभा का सत्र पूरा नहीं हुआ और अगले ही वर्ष 1999 में फिर लोकसभा का चुनाव हुआ। दो बार की विजयी कमलरानी इस चुनाव में बहुत ही करीबी संघर्ष में पराजित हो गईं। बसपा के प्यारेलाल शंखवार ने जीत हासिल की जबकि सपा की अरुण कुमारी उनसे करीब सौ वोट पीछे थीं। कमल रानी तीसरे नंबर पर रहीं। वह प्यारेलाल शंखवार से मात्र 500 वोटों के अंतर से पिछड़ीं। यह कमलरानी के लिए एक बड़ा झटका था।

एक-एक बार लोकलभा व विधानसभा चुनाव में पराजित होना पड़ा

बीजेपी ने कमलारानी को वर्ष  2004 लोकसभा चुनाव में  टिकट नहीं दिया। वर्ष 2009 का चुनाव आया परिसीमन बदल चुका था और घाटमपुर लोकसभा सीट खत्म हो गई थी। इसके बाद 2012 में पार्टी ने उन्हें रसूलाबाद से विधानसभा का टिकट दिया लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सकीं।  2017 के चुनाव में जब मोदी लहर अपना कमाल दिखा रही थी और भाजपा पूरी मजबूती से आगे बढ़ रही थी उन्हें घाटमपुर विधानसभा सीट से टिकट मिला। उनके राजनीतिक सितारे फिर से चमके और घाटमपुर में जीत हासिल की। वह प्रदेश सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री भी बनीं। विधानसभा क्षेत्र में उनकी स्थिति थी कि राह चलते लोग भी उन्हें आवाज देकर रोक लेते थे। वहह पूरी तन्मयता से उनकी बात सुन समस्याओं का निराकरण करती थीं।

अब तक यूपी के छह मिनिस्टर कोरोना संक्रमित 

यूपी के छह  मिनिस्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, ग्राम विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, होमगार्ड्स मंत्री चेतन चौहान, आयुष राज्यमंत्री( स्वतंत्र प्रभार) धरम सिंह सैनी, खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री( स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी और श्रम निर्माण एवं परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष ठाकुर रघुराज सिंह कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं।