Bangladesh:शेख हसीना ने छोड़ा देश, 15 साल तक राजनीतिक ऊंचाइयों पर किया राज 

बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता के बीच  तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है। बांग्लादेश भी म्यांमार और पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है। या फिर चीन की चालबाजियों के आगे लोकतंत्र ने घुटने टेक दिए हैं। कई दिनों से बांग्लादेश में चल रहा आंदोलन अब उग्र हो चला है।आंदोलनकारियों के आगे कानून-व्यवस्था धवस्त हो चुकी है।

Bangladesh:शेख हसीना ने छोड़ा देश, 15 साल तक राजनीतिक ऊंचाइयों पर किया राज 
शेख हसीना (फाइल फोटो)।
  • प्रदर्शन के दौरान शेख हसीना के फोटो पर पैर रखकर खड़े प्रदर्शनकारी।
ढ़ाका। बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता के बीच  तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है। बांग्लादेश भी म्यांमार और पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है। या फिर चीन की चालबाजियों के आगे लोकतंत्र ने घुटने टेक दिए हैं। कई दिनों से बांग्लादेश में चल रहा आंदोलन अब उग्र हो चला है।आंदोलनकारियों के आगे कानून-व्यवस्था धवस्त हो चुकी है।
बांग्लादेश में सेना बनायेगी अंतरिम सरकार
 ढाका में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने लोगों से शांति बहाली की अपील की है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने शेख हसीना के इस्तीफे की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अब सेना अंतरिम सरकार बनायेगी। हम हालात काबू में ले आयेंगे। भरोसा रखें। राष्ट्र के नाम एक टेलीविजन संबोधन में, सेना प्रमुख वकर-उज़-ज़मान ने कहा कि सेना अंतरिम सरकार बनायेगी। देश में हालात इतने खराब हैं कि पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। बाजार, बैंक और कंपनियां बंद कर दी गईं। स्कूलों और कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई। प्रदर्शन को दबाने के लिए देश में इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई। राजधानी ढाका हुड़दंगियों के हवाले हो चुकी है। प्रधानमंत्री निवास में अराजकता के निशान चारों ओर दिखाई दे रहे हैं। गृहमंत्री का घर आग के हवाले हो चुका है और सत्ताधारी पार्टी के दफ्तर को जला दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने बांग्‍लादेश के निर्माता और शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को भी तोड़ दिया है। 

बांग्लादेश पिछले एक महीने से हिंसा की आग में धधक रहा है। शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। हाईवे और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले छात्रों पर पुलिस गोली मारने के साथ में आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। इसमें 300 से ज्यादा की जान गईं है।हजारों घायल हुए।प्रधानमंत्री शेख हसीना को कई दिनों पहले ही यह समझ आ गया था कि देश की कमान उनके हाथों से निकल चुकी है। सोमवार को वो अपना विदाई भाषण दे ही रहीं थीं कि अचानक आंदोलनकारी वहां पहुंच गये।हसीना को जान बचाकर भागना पड़ा। बांगलादेश में हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा है। पीएम शेख हसीना (76) छोटी बहन शेख रेहाना के साथ सोमवार को एक सैन्य विमान से चुपचाप देश छोड़ कर निकल गयीं।  बांग्लादेश से भागकर भारत में शरण लेनेवाली एक्स पीएम शेख हसीना हिंडन एयरबेस से निकल चुकी हैं। उन्होंने किसी सुरक्षित ठिकाने का रुख किया है। हालांकि वह कहां गई हैं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। 
शेख हसीना के लंदन जाने संबंधी योजना अनिश्चित
जानकार सोर्सेज के अनुसार अभी शेख हसीना के लंदन जाने संबंधी योजना अनिश्चित है। इस बीच उनकी टीम अन्य देशों में भी शरण लेनेके विकल्प तलाश रही है। शेख हसीना सोमवार दोपहर बांग्लादेश एयरफोर्सके एयरक्राफ्ट पर सवार होकर दिल्ली पहुंची थीं। हसीना के यहां पहुंचने के तत्काल बाद ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सीनीयर आर्मी अफसर उनसे मिलने पहुंचे थे।बांग्लादेश या शेख हसीना के भविष्य को लेकर भारत सरकार ने अभी कोई ऑफिसियल बयान जारी नहीं किया है। सोर्सेज का कहना है कि उन्हें सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा दिया गया है। हालांकि उसने सुरक्षा कारणों से ज्यादा जानकारी देने से मना कर दिया। अनुमान लगाया जा रहा है कि हसीना अगले कुछ दिनों तक भारत में ही रह सकती हैं। इसके बाद वह अपने रिश्तेदारों के पास लंदन चली जायेंगी। हसीना के साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी हैं। शेख रेहाना की बेटी ट्यूलिप सिद्दिकी लंदन में लेबर पार्टी की नेता हैं। हाल ही में उन्होंने फिर से चुनाव जीता है। ट्रेजरी व सिटी मिनिस्टर की इकॉनमिक सेक्रेट्री नियुक्त की गई हैं। जानकारी के अनुसार हसीना को ब्रिटिश अथॉरिटीज की तरफ से आश्वस्त किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई 400 मौतों को लेकर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी। इस बीच ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा और मौतों की यूएन के नेतृत्व में जांच की मांग भी उठाई।
दो महीने में ही पावरफुल हो गये बांग्लादेश के आर्मी चीफ डॉ. युनूस 
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के चीफ के तौर पर डॉ. युनूस का नाम तय हुआ  है। डॉ. युनूस नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम भी आज शाम तक तय करनेकी बात है। लेकिन नई लोकतांत्रिक सरकार के बनने तक असली ताकत आर्मी के पास ही होगी। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद फिलहाल देश की व्यवस्था सेना के हाथों में है। आर्मी के नेतृत्व में ही अंतरिम सरकार का गठन होना है। 

छात्र संगठनों के आंदोलन से उपजे हालातों में फिलहाल आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां(58 ) सबसे ताकतवर शख्स बनकर उभरे हैं। वह 23 जुलाई को ही सेना प्रमुख नियुक्त हुए थे। मात्र दो महीने के अंदर ही वह इतनी ताकतवर शख्सियत बन चुके हैं। उन्होंने ही ऐलान किया था कि शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। वह देश छोड़कर निकल चुकी हैं। उन्होंने इस ऐलान के साथ ही यह भी बता दिया था कि अब 17 करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश की कमान सेना के हाथों में रहेगी। उसके नेतृत्व में ही अंतरिम सरकार का गठन होगा। फिलहाल अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर डॉ. युनूस का नाम तय हुआ है।

पीएमओ में प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर के तौर पर भी काम कर चुके वकार ने सोमवार को जमात-ए-इस्लामी, जातीय पार्टी और बांग्लादेश नेशनल पार्टी की मीटिंग बुलाई। इसमें शेख हसीना की अवामी लीग को शामिल नहीं किया गया। वहीं उन्होंने जनता को संबोधित करतेहुए कहा कि हम लोग मिलकर सारी समस्याएं सुलझा लेंगे। किसी भी तरह से विवाद न करें और नियमों का पालन करें।  वकार-उज-जमां ने आम लोगों को भरोसा दिलाते हुए यह भी कहा कि हम प्रदर्शन के दौरान हुई 300 से ज्यादा हत्याओं की जांच करेंगे। न्याय दिलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि आप लोग मेरा भरोसा रखें। हर हत्या की जांच होगी और इंसाफ किया जायेगा। आपको सेना पर भरोसा रखना होगा।
जमां ने जमात के चीफ शफीकुर रहमान और अन्य नेताओं से मुलाकात की। यह बैठक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के आदेश पर की गई थी। दरअसल यह पहला मौका नहीं है, जब आर्मी  के हाथ में बांग्लादेश की कमान जाती दिख रही है। 1971 में बने बांग्लादेश में पहला सैन्य तख्तापलट अगस्त 1975 मेंही हो गया था। तब शेख मुजीबर रहमान की परिवार के चार लोगों के साथ मर्डर कर दी गई थी। इसके बाद नवंबर मेंही फिर तख्तापलट हुआ। तत्कालीन आर्मी चीफ जियाउर रहमान नेसत्ता संभाल ली। इसके बाद 1981 में रहमान का भी कत्ल हो गया। आर्मी के ही इरशाद ने कमान संभाल ली थी। यह तख्तापलट मार्च 1982 में हुआ था।