राजस्थान के रहने वाले हैं जगदीप धनखड़ ,कृषि परिवार में हुआ जन्म, लंबा रहा है कानूनी व राजनीति सफर
राजस्थान के झुंझुणूं जिले में एक सुदूर किठाना गांव में कृषि परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ 1989 में जनता दल पार्टी के टिकट पहली बार राजस्थान के झुंझुणूं जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंनेवे संसदीय कार्यमंत्री बनाये गये। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
नई दिल्ली। राजस्थान के झुंझुणूं जिले में एक सुदूर किठाना गांव में कृषि परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ 1989 में जनता दल पार्टी के टिकट पहली बार राजस्थान के झुंझुणूं जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंनेवे संसदीय कार्यमंत्री बनाये गये। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
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मुश्किलें भी नहीं तोड़ पाईं धनखड़ का हौसला
राजस्थान के झूंझणूं में छोटे से गांव किठाना में जन्मे जगदीप धनखड़ के इकलौते बेटे की 14 साल की उम्र में 1994 में मौत हो गयी थी। बेटे की मौत ने धनखड़ को झकझोर दिया था। धनखड़ पिछले तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। स्कूल के दिनों में धनखड़ को क्रिकेट खेलना काफी पसंद था। सैनिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद धनखड़ साल 1989 में जनता दल पार्टी के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुनू जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। साल 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। जगदीप धनखड़ का राजस्थान हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में लंबा कानूनी सफर भी रहा है।
बेटे की मौत ने झकझोर दिया था
जगदीप धनखड़ की शादी 1979 में हुई थी। दोनों के दो बच्चे हुए। बेटे का नाम दीपक और बेटी का नाम कामना रखा। 1994 में जब दीपक 14 साल का था, तब उसे ब्रेन हेमरेज हो गया। इलाज के लिए दिल्ली भी लाए, लेकिन बेटा बच नहीं पाया। बेटे की मौत ने जगदीप को पूरी तरह से तोड़ दिया। हालांकि, किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला।
2008 में बीजेपी में शामिल हुए
जनता दल और कांग्रेस से जुड़े रहे धनखड़ लगभग एक दशक के अंतराल के बाद 2008 में बीजेपी में शामिल हुए थे। वे राजस्थान में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा देने सहित अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित मुद्दों का समर्थन कर चुके हैं।