महाराष्ट्र : कभी कबाड़ी रहे नवाब मलिक ने समाजवादी पार्टी से शुरू की पॉलिटिक्स, अब में स्टेट में मिनिस्टर
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे गवर्नमेंट में नवाब मलिक के पास अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास का कैबिनेट मिनिस्टरी है। मनी लॉड्रिंग केस व दाऊद इब्राइम यानी D कंपनी से कनेक्शन के आरोप में मलिक ED के रडार पर हैं।
- मलिक का उत्तर प्रदेश से भी है गहरा नाता
मुंबई। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे गवर्नमेंट में नवाब मलिक के पास अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास का कैबिनेट मिनिस्टरी है। मनी लॉड्रिंग केस व दाऊद इब्राइम यानी D कंपनी से कनेक्शन के आरोप में मलिक ED के रडार पर हैं।
झारखंड: चतरा के मगध आम्रपाली प्रोजेक्ट में 83.63 करोड़ रुपये के कोयला घोटाला में ईडी ने दर्ज किया FIR
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के रहने वाले हैं मलिक
नवाब मलिक एनसीपी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। पार्टी के मुंबई शहर के अध्यक्ष भी हैं। मलिक ने अपने करियर की शुरुआत एक कबाड़ी के तौर पर शुरू की थी। कुछ साल पहले तक वे इससे जुड़े रहे हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रहने वाला नवाब मलिक का परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा था। परिवार के कुछ सदस्य कारोबार से जुड़े थे, इसलिए पूरा परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला तालुका के एक गांव में नवाब का जन्म 20 जून 1959 को हुआ था।
मलिक परिवार का मुंबई में एक होटल था और परिवार के अन्य सदस्य कबाड़ के कारोबार से जुड़े थे। मलिक ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "हां, मैं कबाड़ीवाला हूं। मेरे पिता मुंबई में कपड़े और कबाड़ का कारोबार करते थे। एमएलएबनने तक मैंने भी कबाड़ का कारोबार किया। मेरा परिवार अब भी वही करता है। मुझे इस पर गर्व है।" नवाब मलिक का पूरा परिवार अभी मुंबई के कुर्ला के नूर मंजिल स्थित घर पर रहता है।
लोकसभा चुनाव में मिले सिर्फ 2620 वोट
नवाब मलिक ने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस के गुरुदास कामत और बीजेी प्रमोद महाजन के खिलाफ 1984 में लड़ा था। उस समय मलिक की उम्र सिर्फ 25 साल थी। कामत को दो लाख 73 हजार वोट मिले और उन्होंने 95 हजार वोटों से प्रमोद महाजन को हराया था। उस चुनाव में मलिक को सिर्फ 2620 वोट ही मिले थे। मलिक ने संजय विचार मंच से चुनाव लड़ा था। चूंकि उनके पास एक राजनीतिक दल का दर्जा नहीं था, इसलिए उस चुनाव में मलिक को निर्दलीय उम्मीदवार ही माना गया।
दो बेटियां और दो बेटे के पिता हैं मलिक
नवाब ने 21 साल की उम्र में 1980 में महजबीन से शादी। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटों का नाम फराज और आमिर है। बेटियों का नाम नीलोफर और सना है। मलिक के कारोबार को उनके बेटे और बेटियां मिल कर चला रहे हैं।
विरोध के कारण छोड़ा अंग्रेजी स्कूल, उर्दू स्कूल में पढ़े
मुंबई आने के बाद प्रारंभिक शिक्षा के लिए नवाब का एडमिशन सेंट जोसेफ इंग्लिश स्कूल में कराया गया। लेकिन पिता मोहम्मद इस्लाम के रिश्तेदारों और दोस्तों के विरोध के कारण वे इंग्लिश स्कूल में नहीं गये। बाद में नवाब का एडमिशन एनएमसी के नूरबाग उर्दू स्कूल में कराया गया। यहीं से उन्होंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने डोंगरी के जीआर नंबर दो स्कूल में सातवीं कक्षा तक और सीएसटी क्षेत्र के अंजुमन इस्लाम स्कूल में 11वीं (तब मैट्रिक) तक पढ़ाई की। मैट्रिक के बाद उन्होंने बुरहानी कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। इसी कॉलेज में BA में एडमिशन भी लिया। पारिवारिक कारणों से उन्होंने BA फाइनल ईयर की एग्जाम नहीं दी।
छात्र आंदोलन से हुई पॉलिटिक्स में एंट्री
नवाब कॉलेज में पढ़ रहे थे तभी मुंबई यूनिवर्सिटी ने कॉलेज की फीस बढ़ा दी थी। उसके विरोध में शहर में आंदोलन चल रहा था। उस आंदोलन में नवाब मलिक ने एक आम स्टूडेंट की तरह भाग लिया था। आंदोलन के दौरान पुलिस की पिटाई से नवाब घायल हो गये। अगले दिन, स्टूडेंट्स ने पुलिस कमिश्नर हेडक्वार्टर पर भी मार्च किया। नवाब मलिक कहते हैं कि इसी दौरान उनकी पॉलिटिक्समें रुचि हो गई। उन्होंने कांग्रेस से 1991 में नगर निगम चुनाव के लिए टिकट मांगा, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वह राजनीतिक तौर पर अपनी जगह बनाने की कवायद में जुटे रहे।
अपना अखबार निकाला
बाबरी की घटना के बाद दिसंबर 1992 में मुंबई में दंगे भड़क उठे। हर तरफ संवेदनशील माहौल था। इसके बाद मलिक ने नीरज कुमार के साथ मुंबई में सांझ समाचार नामक एक न्यज पेपर शुरू किया, लेकिन कुछ साल बाद आर्थिक तंगी के चलते यह बंद हो गया।
समाजवादी पार्टी में भी रहे हैं नबाव मलिक
मुंबई और आस-पास के इलाकों में बाबरी मस्जिद की घटना के बाद समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही थी। इसी लहर में नवाब मलिक भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये। 1995 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी से मुस्लिम बहुल नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला। उस समय शिवसेना के सूर्यकांत महादिक 51 हजार 569 वोट पाकर जीते थे।नवाब मलिक 37,511 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। मलिक हार गये, लेकिन अगले ही साल विधानसभा पहुंच गए। धर्म के आधार पर वोट मांगने को लेकर विधायक महादिक के खिलाफ दायर याचिका पर उन्हें दोषी पाया गया। चुनाव आयोग ने चुनाव रद्द कर दिया। इसलिए 1996 में नेहरू नगर निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव हुआ। इस बार नवाब मलिक ने करीब साढ़े छह हजार मतों से जीत हासिल की।
शरद पवार से प्रभावित होकर नवाब मलिक NCP में हुए शामिल
नवाब मलिक 1999 के विधानसभा चुनाव में फिर से समाजवादी पार्टी से जीते। तब कांग्रेस और NCP सत्ता में आई। समाजवादी पार्टी से दो एमएलएचुने गये। उन्हें भी मोर्चे का समर्थन करने के लिए सत्ता में भागीदारी मिली। इसके बाद नवाब मलिक आवास राज्य मंत्री बने।राजनीतिक तौर पर वह बहुत अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन समय के साथ समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ मलिक के मतभेद हो गये। इससे तंग आकर मलिक ने आखिरकार मिनिस्टर होते हुए भी NCP में शामिल होने का फैसला किया। इसके बाद वे उच्च और तकनीकी शिक्षा और श्रम मंत्री बने। शरद पवार के विचारों से प्रभावित होकर नवाब मलिक NCP में शामिल हुए थे।मलिक महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं।
अन्ना हजारे के आरोपों पर कैबिनेट से दिया था इस्तीफा
सीएम विलासराव देशमुख की सरकार में 2005-06 के दौरान मिनिस्टर रहे नवाब मलिक को इस्तीफा देना पड़ा था। मलिक पर माहिम की जरीवाला चाल पुनर्विकास परियोजना में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी इस मामले को उठाया। फिर एक जांच शुरू की गई और नवाब मलिक को इस्तीफा देना पड़ा। 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर फैसला सुनाते हुए मलिक को इस मामले में बरी कर दिया था।
आर्यन केस में मलिक ने किये कई खुलासे
नवाब मलिक लगातार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मुंबई के डिविजनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और उनके परिवार पर आरोप लगाते रहे हैं। दो अक्टूबर 2021 को आर्यन खान गिरफ्तार हुए थे। उन्हें 26 दिनों के बाद 28 अक्टूबर को जमानत मिली थी। इस दौरान यह पूरा मामला कई नाटकीय पड़ावों से गुजरता रहा। मलिक की इसमें अहम भूमिका रही है। उन्होंने समीर वानखेड़े के जन्म से लेकर विवाह के तथ्यों को लेकर और उनके परिवार तक पर कई आरोप लगाए जिसके चलते अब समीर वानखेड़े के खिलाफ भी जांच चल रही है। उन्हें NCB से भी हटना पड़ना।आर्यन खान की रिहाई के बाद मलिक के ट्वीट 'पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त' ने सबका ध्यान खींचा। इसके बाद एक नवंबर को उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व CM देवेंद्र फड़णवीस की पत्नी की जयदीप राणा के साथ फोटो डालते हुए लिखा, "चलो आज BJP और ड्रग्स पैडलर के रिश्तों की चर्चा करते हैं।