नई दिल्ली: RBI ने रेपो रेट 0.25% घटाया, NEFT और RTGS पर कोई चार्ज नहीं लगेगा

नई दिल्‍ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में चौथाई फीसद की कटौती की है. मोदी गर्वमेंट -2 में पेश हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 परसेंट की कटौती की गयी है. होम और ऑटो लोन लेने वालों का अब EMI का बोझ घटेगा. यह लगातार तीसरी बार है जब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है. RBI द्वारा नीतिगत दरों में कटौती किए जाने के बाद रेपो रेट 6 परसेंट से घटकर 5.75 परसेंट और रिवर्स रेपो रेट 5.75 परसेंट से घटकर 5.50 परसेंट पर आ गयी है.वर्ष 2010 सितंबर के बाद पहली बार रेपो रेट 6 परसेंट के नीचे आया है. हाल ही में GDP (सकल घरेलू उत्‍पाद) ग्रोथ रेट के आंकड़े आए थे जिसके अनुसार वित्‍त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.8 परसेंट रही. एक्सपर्टों का अनुमान था कि आर्थिक विकास दर में कमी के कारण भी रिजर्व बैंक ब्‍याज दरों में कटौती कर सकता है. NEFT और RTGS से पैसे ट्रांसफर पर चार्ज नहीं लगेगा RBI ने आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन पर लगने वाले शुल्‍क को भी खत्‍म करने का निर्णय लिया है. सभी बैंकों को इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है. RBI ने कहा है कि एनबीएफसी सेक्‍टर की निगरानी की जा रही है साथ ही सिस्‍टम में पर्याप्‍त तरलता वह सुनिश्चित करेगा. मौद्रिक नीति कमेटी (MPC) के सभी सदस्‍य डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रविंद्र ढोलकिया, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा, डॉ् विरल आचार्य और शक्तिकांत दास ने एकमत से रेपो रेट घटाने का निर्णय किया. मौद्रिक नीति के नजरिए को 'न्‍यूट्रल' से 'एकोमोडेटिव' कर दिया है. रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए आर्थव्‍यवस्‍था के ग्रोथ अनुमानों में कटौती की है. ट्रेड वार के कारण कमजोर वैश्विक मांग से आगे भी भारत का निर्यात और निवेश गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं. RBI ने 2019-20 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 7.2 परसेंट से घटाकर 7 परसेंट कर दिया है. क्‍या है रेपो रेट रेपो रेट वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को उधार देता है. रेपो रेट घटने से यह संकेत मिलता है कि कॉरपोरेट और व्‍यक्तिगत तौर पर कर्ज लेने वालों के फंड की लागत घटेगी. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस साल रेपो रेट में दो बार कटौती गई जिसका पूरा लाभ बैंकों ने अपने ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया है.