Anand Mohan की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे BJP लीडर केजे अल्फोंस
बिहार के बाहुबली लीडर व एक्स एमपी आनंद मोहन की जेल से रिहाई के खिलाफ बीजेपी लीडर एक्स सेंट्रल मिनिस्टर केजेअल्फोंस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं। उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है।
नई दिल्ली। बिहार के बाहुबली लीडर व एक्स एमपी आनंद मोहन की जेल से रिहाई के खिलाफ बीजेपी लीडर एक्स सेंट्रल मिनिस्टर केजेअल्फोंस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं। उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है।अब एक बार फिर आनंद मोहन के भाग्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा जिससे ये तय होगा कि उनकी रिहाई ठीक है या वो वापस जेल भेजे जायेंगे।
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आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आठ मई को जब दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की वाइफउमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई चल रही थी तो एक्स सेंट्रल मिनिस्टर अल्फोंस ने कोर्ट में खुद पेश होकर कहा कि वो बिहार सरकार के फैसले से आहत हैं। इस मामले में रिहाई के खिलाफ पार्टी बनना चाहते हैं। कोर्ट ने अल्फोंस को अगली तारीख पर मामले की सुनवाई में सहयोग करनेकी इजाजत दे दी है। अल्फोंस पेशे से वकील भी हैं। केरल हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ते हैं।
नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट पर्यटन मंत्री रह चुके हैं केजे अल्फोंस
केजे अल्फोंस केरल के सीनीयर बीजेपी लीडर हैं। नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं। आईएएस अफसर अल्फोंस दिल्ली में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कमिश्नर के तौर काफी चर्चित रहे। उन्होंने 10 हजार करोड़ की सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया था। अवैध निर्माण की वजह से 14 हजार से अधिक मकान को गिराने का आदेश दिया था।
अल्फोंस ने राजनीति में उतरने के लिए 2006 में इस्तीफा दे दिया। केरल में लेफ्ट पार्टियों के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2011 में विधानसभा से इस्तीफा देकर अल्फोंस बीजेपी में शामिल हो गये और तब से बीजेपी के साथ हैं। 2019 में बीजेपी ने अल्फोंस को एर्नाकुलम सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाया था लेकिन वो तीसरे नंबर पर रहे।
सुप्रीम कोर्ट का नीतीश गवर्नमेंट को नोटिस
सजायाप्ता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को सुनवाई के दौरान बिहार के नीतीश कुमार गवर्नमेंट व अन्य को नोटिस जारी किया है।गोपालगंज के डीएम रहे IAS अफसर जी कृष्णैया की की मर्डर के मामले में दोषी उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को जेल के नियमों में संशोधन कर 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। बिहार गवर्नमेंट के इस फैसले को कृष्णैया की वाइफ उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार गवर्नमेंट समेत अन्य को नोटिस जारी किया है।
नियमों में संशोधन कर दी गई रिहाई
एक्स एमपी आनंद मोहन को पांच दिसंबर 1994 को हुई गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पीट-पीट कर मर्डर मामले में आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक मुकदमा चला। इसके बाद साल 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तब से वे बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहे थे। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल के नियमों में संशोधन कर 27 कैदियों को रिहा किया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल थे। आनंद मोहन की रिहाई पर सियासी बवाल मचा, लेकिन इस पर आनंद मोहन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दलित संगठन से जुड़े अमर ज्योति ने भी 26 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में PIL दायर की। कारागार अधिनियम 2012 को संशोधित कर सरकार ने जो अधिपत्र निकाला है। उसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। अमर ज्योति (30) भोजपुर के पीरो के रहने वाले हैं। उन्होंने कोर्ट से सरकार की ओर से जारी उस अधिपत्र को निरस्त करने की अपील की है।
आनंद मोहन ऐसे जेल से बाहर आये
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की मर्डर के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को स्टेट गवर्नमेंट ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया। आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई के आदेश सोमवार को जारी किये गये थे। आनंद मोहन पर तीन और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।
पहले यह था नियम
26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।
ऐसे किया बदलाव किया गया
10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
फ्लैश बैक
बिहार के मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पांच दिसंबर, 1994 को भीड़ ने पहले पीटा और फिर गोली मारकर मर्डर कर दी थी। इस मामले में आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में हाइकोर्ट की तरफ से ही इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की थी, जो खारिज हो गयी थी। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की मर्डर मामले में आनंद मोहन अपनी 14 साल की कारावास अवधि पूरी कर चुके हैं। आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के कहने वाले हैं। उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में की थी।आनद मोहन एमएलए व एमपी रह चुके है। उनकी वाइफ लवली आनंद भी एमएलए व एमपी रह चुकी है।
गोपालगंज डीएम मर्डर केस में क्या हुआ
पांच दिसंबर 1994-डीएम जी कृष्णैया की मर्डर
तीन अक्टूबर 2007-आनंद मोहन समेत तीन को फांसी। 29 बरी। कुछ को उम्रकैद |
10 दिसंबर 2008-हाईकोर्ट ने आनंद मोहन की फांसी को उम्र कैद में बदला।
10 जुलाई 2012- हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया।
10 अप्रैल 2023- मैनुअल से काम के दौरान सरकारी सेवक की मर्डर का बिंदु हटा।
आनंद मोहन का पॉलिटिकल करियर
1990-पहली बार एमएलए बने, महिषी विधानसभा से चुनाव जीता।
1996- समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से लोकसभा चुनाव जीता।
1998- लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर शिवहर से जीते।
19990 और 2004 में भी शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही बार हार गये।