Jharkhand : झारखंड में एक जुलाई से नहीं लागू होगी नयी एक्साइज पॉलिसी ! वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी
झारखंड स्टेट में एक जुलाई से शराब की खुदरा दुकानों का संचालन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गयी है। ऐसे में स्टेट में एक जुलाई से एक्साइज पॉलिसी लागू नहीं होगी। सरकार इस दिशा में वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी में है।

- वैकल्पिक व्यवस्था से शराब दुकानें चलाने की तैयारी में विभाग
- एसीबी की कार्रवाई से विभाग में सीनीयर अफसरों की कमी
- शराब दुकानों में कार्यरत प्लेसमेंट एजेंसियों के कर्मचारियों को अपने अधीन लेने की तैयारी में विभाग
रांची। झारखंड स्टेट में एक जुलाई से शराब की खुदरा दुकानों का संचालन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गयी है। ऐसे में स्टेट में एक जुलाई से एक्साइज पॉलिसी लागू नहीं होगी। सरकार इस दिशा में वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी में है।
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झारखंड स्टेट बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड(जेएसबीसीएल) के अधीन स्टेट में चल रही खुदरा दुकानों का संचालन प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से कराया जा रहा है। इन दुकानों में प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से मैनपावर की आपूर्ति की गई है। इन प्लेसमेंट एजेंसियों को 30 जून तक के लिए ही कंट्रेक्ट मिला हुआ है। ऐसी स्थिति में एक जुलाई से शराब दुकानों का संचालन कौन करेगा, यह विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बुधवार को अधिकारियों से बैठक की और आगे का प्लान बनाया।
विभाग अपने स्तर से कर्मचारी रखेगा और उनके वेतन भुगतान विभाग के स्तर से होगा
बैठक में यह समस्या सामने आई कि हाल के दिनों में एसीबी की कार्रवाई से विभाग में सीनीयर अफसरों की भारी कमी हो गई है। आयुक्त उत्पाद भी ट्रेनिंग के सिलसिले में बाहर हैं। यही वजह है कि प्रस्तावित नई उत्पाद नीति एक जुलाई से लागू नहीं हो सकेगी। एक जुलाई से शराब दुकानों में ताला नहीं लटके, इसके लिए बैठक में यह सहमति बनी कि विभाग स्वयं शराब दुकानों का संचालन करायेगा। इसके लिए शराब दुकानों में विभाग अपने स्तर से कर्मचारी रखेगा और उनके वेतन भुगतान विभाग के स्तर से होगा।
एक जुलाई से दुकान संचालन संबंधित प्रस्ताव तैयार करने का आदेश
मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने अफसरों को एक जुलाई से दुकान संचालन संबंधित प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। प्रस्ताव यह तैयार किया जा रहा है कि नई उत्पाद नीति लागू होने तक एक जुलाई से विभाग अपने कर्मचारियों के माध्यम से शराब की खुदरा दुकानों का संचालन करायेगा। विभाग के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की स्वीकृति के बाद ही आगे कोई कार्रवाई होगी। इसके लिए विभाग के पास सिर्फ जून महीना ही बचा है। इस एक महीने में वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जानी है।
लंबित कार्यों के निष्पादन के लिए अफसरों को अतिरिक्त प्रभार
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास के जेल जाने, आयुक्त उत्पाद विजय कुमार सिन्हा के प्रशिक्षण पर जाने से विभाग में कई महत्वपूर्ण कार्य लंबित पड़े हैं। इन लंबित कार्यों के निपटारे के लिए विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने विभाग में बचे हुए अन्य अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। अधिकारियों को सभी रूटीन कार्यों को शीघ्र निष्पादित करने को कहा गया है।
आठ महीने से बकाया भुगतान के लिए प्लेसमेंट एजेंसियां जिम्मेदार
मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि शराब की खुदरा दुकानों के कर्मचारियों को आठ महीने से वेतन नहीं मिलने के लिए विभाग नहीं, बल्कि प्लेसमेंट एजेंसियां स्वयं जिम्मेदार है। प्लेसमेंट एजेंसियां जानबूझकर ब्योरा (अबसेंटी) नहीं दे रही है, जिसके चलते आठ महीने तक का बकाया हो गया है। प्लेसमेंट एजेंसियों के मन में चोर है कि ब्योरा देने पर उन्हें नुकसान हो जाएगा। जब तक ये एजेंसियां ब्योरा नहीं देगी, तब तक बकाया भुगतान कैसे होगा। दो प्लेसमेंट एजेंसियां ने अपना ब्योरा दिया तो विभाग ने उनका भुगतान कर दिया है, जो नहीं दे रही हैं उनका बकाया है।