73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का देश को संबोधन: अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस वीरो को याद करने का दिन है। राष्ट्रपति ने कहा कि 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई! यह हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का उत्सव है। उन्होंने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू हैं।
यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से रहा विशेष महत्वपूर्ण
नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस वीरो को याद करने का दिन है। राष्ट्रपति ने कहा कि 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई! यह हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का उत्सव है। उन्होंने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू हैं।
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राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हिमालय की असहनीय ठंड में और रेगिस्तान की भीषण गर्मी में अपने परिवार से दूर वे मातृभूमि की रक्षा में तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण रहा है। अब नये क्षेत्रों में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की सुविधा आरंभ हो गई है।उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का प्रभाव अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है, हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में ढील नहीं देनी चाहिए। हमने अब तक जो सावधानियां बरती हैं, उन्हें जारी रखना है। संकट की इस घड़ी में हमने यह देखा है कि कैसे हम सभी देशवासी एक परिवार की तरह आपस में जुड़े हुए हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्व में सबसे ऊपर की 50 ‘इनोवेटिव इकोनोमीज’ में भारत अपना स्थान बना चुका है। यह उपलब्धि और भी संतोषजनक है कि हम व्यापक समावेश पर जोर देने के साथ-साथ योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के बल पर हमारी अर्थव्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है। इस प्रभावशाली आर्थिक प्रदर्शन के पीछे कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों में हो रहे बदलावों का प्रमुख योगदान है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हमारे किसान, विशेषकर छोटी जोत वाले युवा किसान प्राकृतिक खेती को उत्साह-पूर्वक अपना रहे हैं।उन्होंने कहा कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर आघात हुआ है। विश्व समुदाय को अभूतपूर्व विपदा का सामना करना पड़ा है। नित नए रूपों में यह वायरस नए संकट प्रस्तुत करता रहा है। मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य क्षमता का प्रदर्शन किया है।