झारखंड: महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ चलेगा अवमानना का मामला, हाई कोर्ट का फैसला
झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन व अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर कोर्ट अवमानना का मामला चलेगा। झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए नोटिस जारी कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में अपना आदेश पारित कर दिया है। दोनों से जवाब मांगा गया है।अवमानना से जुड़े इस मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
रांची। झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन व अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर कोर्ट अवमानना का मामला चलेगा। झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए नोटिस जारी कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में अपना आदेश पारित कर दिया है। दोनों से जवाब मांगा गया है।अवमानना से जुड़े इस मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
उल्लेखनीय कि मंगलवार को अवमानना चलाने की मांग वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी कर ली गई थी। आज फैसला सुनाया गया है। महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा था कि अवमानना का मामला नहीं चलाया जाना ही सभी के लिए अच्छा होगा।उस दिन क्या हुआ, यह कोर्ट ही जानती है। हम इसके बारे में नहीं जानना चाहते हैं, लेकिन मेरा आग्रह होगा कि इस मामले को नहीं चलाया जाए। हम इसके लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं। लेकिन लिखित रूप में आने पर यह कोर्ट के रिकॉर्ड पर आ जायेगा। इसलिए इस मामले को अनावश्यक नहीं बढ़ाया जाए। इस पर कोर्ट ने पूछा था कि अदालत में क्या महाधिवक्ता ऐसा व्यवहार कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा, समस्या तो यही कि उनकी ओर से ऐसा किया गया। सवाल उठाने पर हमने इस मामले को चीफ जस्टिस के यहां भेज दिया। सवाल सिर्फ जज पर ही नहीं, बल्कि न्यायिक संस्था पर उठा है। इस मामले में शपथ पत्र दाखिल किया जाए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा था कि महाधिवक्ता की ओर से इस मामले में प्रार्थी के अधिवक्ता की ओर से कही बातों के बारे में कोर्ट को अवगत कराया था। यह अवमानना का मामला नहीं बनता है। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि प्रार्थी का आवेदन सुनवाई योग्य नहीं है।
यह है मामला
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके द्विवेदी से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 11 अगस्त को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था। वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है। 200 परसेंट इस मामले की सीबीआइ जांच तय है। जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो कोर्ट से आग्रह होगा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें।
साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत मामले में प्रार्थी देवानंद उरांव की ओर से कोर्ट में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना चलाने के लिए आइए (इंटरलोकेटरी एप्लीकेशन) दाखिल की गई थी। कहा गया था कि पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार का व्यवहार अदालत की मर्यादा के प्रतिकूल था। इसलिए इनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस को भेजा था मामला
कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि जो बात आप कह रहे हैं, उसे शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें. लेकिन महाधिवक्ता ने शपथपत्र दाखिल करने से इन्कार कर दिया और कहा कि उनका मौखिक बयान ही पर्याप्त है।इसके बाद अदालत ने महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड करते हुए इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि एक आम आदमी भी न्यायालय पर सवाल खड़ा करे, तो यह न्यायपालिका के गरिमा के अनुरूप नहीं है। जब यह सवाल उठ गया है, तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ही निर्धारित करना चाहिए कि इस मामले की सुनवाई कौन कोर्ट करेगी.।लेकिन चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन ने इस मामले को सुनवाई के लिए जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में भेजा था।