झारखंड: सम्राट गैंग का सरगना जयनाथ साहू ने कोर्ट में किया सरेंडर,20 वर्षों से खाक छान रही थी पुलिस
सम्राट गैंग का सरगना कुख्यात जयनाथ साहू ने लापुंग पुलिस स्टेशन में दर्ज आर्म्स एक्ट के एक मामले में रांची स्थित न्यायिक दंडाधिकारी कमलेश बेहरा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। रांची सहित विभिन्न जिलों की पुलिस को जयनाथ साहू की पिछले दो दशक से तलाश थी। कोर्ट के आदेश के बादबाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया है।
- जयनाथ साहू पर दर्ज कई कांडों में विभिन्न जिलों की पुलिस रिमांड पर लेकर करेगी पूछताछ
रांची। सम्राट गैंग का सरगना कुख्यात जयनाथ साहू ने लापुंग पुलिस स्टेशन में दर्ज आर्म्स एक्ट के एक मामले में रांची स्थित न्यायिक दंडाधिकारी कमलेश बेहरा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। रांची सहित विभिन्न जिलों की पुलिस को जयनाथ साहू की पिछले दो दशक से तलाश थी। कोर्ट के आदेश के बादबाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया है।
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जयनाथ ने जिस केस में सरेंडर किया है, उस केस में तीन आरोपित आंगन वर्मा, मंगरू लोहरा एवं संतू साहू को रांची की न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 22 जून 2019 को बरी कर दिया था। वहीं, जयनाथ साहू को फरार घोषित करते हुए स्थायी वारंट निर्गत किया गया था। अब रांची सहित वैसे सभी जिले जहां जयनाथ साहू पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, वे जयनाथ को रिमांड पर लेंगे और पूछताछ करेंगे।
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में ही जयनाथ साहू को मिला था अपराध का गुरु मंत्र
रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में ही जयनाथ साहू को अपराध का गुरु मंत्र मिला था। लापुंग-कर्रा के क्षेत्र के बलि साहू का दबदबा था। उस वक्त जयनाथ साहू बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से छोटी-मोटी रंगदारी वसूला करता था। बात वर्ष 1995 की है, जब गिरफ्तार कर जयनाथ साहू बिरसा मुंडा जेल भेजा गया था। वहां जेल में जहानाबाद का एक सिपाही राधे सिंह उर्फ बाबा भी मर्डर के मामले में बंद था। उसी राधे सिंह ने जयनाथ साहू को अपराध का गुरु मंत्र दिया। बताया कि वह जेल से बाहर निकलकर अपराध की दुनिया में बेहतर नाम कमाएगा और उसे शूटर राधे मुहैया करायेगा।
जेल में रहने के दौरान ही उसका बलि साहू से विवाद हो गया था। जेल से बाहर आने के बाद जयनाथ साहू ने और जोरदार तरीके से रंगदारी वसूलनी शुरू कर दी। उसे जहानाबाद के कई बड़े शूटरों का साथ मिल गया। बाद में उसने जेल से निकलकर बलि साहू के करीबी की मर्डर करवा दी थी। लापुंग के एक अन्य अपराधी सुरेश गोप की वर्ष 2000 में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सुरेश गोप का भाई दिनेश गोप ने जयनाथ साहू की मदद ली। जयनाथ साहू के माध्यम से दिनेश गोप को बहुत से हथियार भी मिले। इसके बाद धीरे-धीरे दिनेश गोप खुद को मजबूत बनाने लगा। दिनेश गोप का बढ़ता कद देखकर जयनाथ साहू की उससे खटपट हो गई। इसके बाद जयनाथ साहू ने सम्राट गिरोह बना लिया।
रांची में कभी सम्राट गैंग की बोलती थी तूती
रांची रेंज के चार जिले रांची, खूंटी, सिमडेगा व गुमला में सम्राट गिरोह की तूती बोलती थी। गैंग के सरगना जयनाथ साहू का नाम सुनते ही ठेकेदारों, क्षेत्र के व्यवसायियों में हड़कंप मच जाता था। हत्या, रंगदारी, मारपीट, आगजनी के दर्जनों मामले में सम्राट गैंग का नाम सामने आता था। अब यह गैंग पिछले एक दशक से निष्क्रिय पड़ा हुआ है।
अलग राज्य बनने के बाद ही दिनेश गोप के झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) के जवाब में जयनाथ साहू ने सम्राट गिरोह के नाम से अपना आपराधिक गिरोह खड़ा किया था। जेएलटी ही बाद में चलकर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (पीएलएफआइ) बना था। तब उक्त क्षेत्र में सम्राट गिरोह व जेएलटी में अक्सर खूनी संघर्ष होता था। दोनों आपराधिक गिरोह जाति आधारित थी। धीरे-धीरे दिनेश गोप का वर्चस्व कायम होने लगा। बाद में उसने पीएलएफआइ नामक उग्रवादी संगठन मजबूत कर लिया। पीएलएफआइ के मजबूत होते ही सम्राट गैंग कमजोर पड़ गया। लगभग एक दशक से यह गिरोह निष्क्रिय है। हालांकि, पीएलएफआइ के भी कई बड़े कैडर या तो पकड़े जा चुके हैं या मारे गये हैं। अब दिनेश गोप के सहित गिने-चुने ही बड़े उग्रवादी पीएलएफआइ में सक्रिय हैं, जिनकी पुलिस की खोज जारी है।
सुप्रीमो दिनेश गोप ने फूंका था लडाई का बिगुल
झारखंड जब बना था तब खूंटी के इलाके में सम्राट गैंग की तूती बोलती थी। सम्राट गैंग के खिलाफ पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने साल 2000 में लड़ाई का बिगुल फूंका। झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) का गठन किया। चर्चा है कि दिनेश गोप का परिवार गांव की ऊंची जाति के लोगों के निशाने पर था। उसके परिवार ने काफी प्रताड़ना भी सही थी। उस दौरान कर्रा और लापुंग के इलाके में सम्राट गैंग काफी सक्रिय था। उसके हथियारबंद गुर्गों के शोषण से शोषित स्थानीय लोगों ने दिनेश का समर्थन किया और। वर्ष 2001 के आसपास औपचारिक रूप से झारखंड लिबरेशन टाइगर के रूप में सम्राट गिरोह के खिलाफ एक नया दस्ता खड़ा हो गया। दोनों समूहों में खूनी भिड़ंत की कई घटनाएं हुईं। कई साथियों के मारे जाने से सम्राट गैंग कमजोर होता गया। दिनेश गोप और जेएलटी के रूप में एक नये गैंग का उदय हुआ।