पश्चिम बंगाल: कूचबिहार मे हिंसा पीड़ितों से मिले गवर्नर जगदीप धनखड़, बोले- संविधान की रक्षा मेरी जिम्मेदारी
श्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने स्टेट गवर्नमेंट के विरोध के बावजूद गुरुवार को कूचबिहार जिले में चुनाव रिजल्ट के बाद हुई हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने माथाभंगा, शीतलकूची, सिताई और दिनहाटा में हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दर्द साझा कर स्थिति की जानकारी ली।
- ‘संविधान का उल्लंघन कर रही हैं सीएम’
- माथाभंगा शीतलकूची सिताई और दिनहाटा में हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी ली
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने स्टेट गवर्नमेंट के विरोध के बावजूद गुरुवार को कूचबिहार जिले में चुनाव रिजल्ट के बाद हुई हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने माथाभंगा, शीतलकूची, सिताई और दिनहाटा में हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दर्द साझा कर स्थिति की जानकारी ली।गवर्नर बीएसएफ के हेलीकॉप्टर से कूचबिहार पहुंचे थे।
गवर्नर का विरोध, दिखाये काले झंडे
गवर्नर जगदीप धनखड़ को कुछ लोगों ने काले झंडे भी दिखाये।राज्यपाल के खिलाफ ‘गो बैक’के नारे भी लगाये गये। नागरिक मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाये।
कूचबिहार में मीडिया से बातचीत में गवर्नर ने कहा कि चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ। लेकिन हिंसा केवल बंगाल में ही क्यों हुई? सरकारी तंत्र ने मुझे जानकारी नहीं दी।मैंने निर्णय किया कि मैं हरसंभव कदम उठाऊंगा, जिससे लोगों का हौसला बढ़े।प्रशासनिक आदेश का हवाला देकर उन्हें संवैधानिक कर्तव्य के पालन से रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वह अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते रहेंगे।गवर्नर ने कहा कि सीएम संविधान का उल्लंघन कर रही हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद आगजनी और लूट हो रही है है। यह प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है। तीन मई के बाद सीएम के पास सर्वसम्मत अधिकार हैं। शपथ लेने के लगभग 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक भी दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि मैंने हिंसा के संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मांगी लेकिन मुझे मुहैया नहीं कराया गया।संविधान के तहत यह मेरी ड्यूटी है। देश और दुनिया से पूछा जा रहा है कि गवर्नरआप क्या कर रहे हैं? कैसे आप रंक्तरंजित करने दे रहे हैं, बंगाल को। किस प्रकार की आगजनी हो रही है। महिलाएं और बच्चे, जिन्होंने राजनीतिक समर्थन नहीं दिया, उनके अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है। उसकी कीमत अपनी मौत से चुकानी पड़ रही है। गवर्नर ने कहा कि चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के दुर्भाग्यपूर्ण आचरण से ये घटनाएं हुई हैं। चुनाव के दौरान सीएम के दुर्भाग्यपूर्ण आचरण से ऐसी घटनाएं हुई हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि सेंट्रल आर्म्ड फोर्स सदा नहीं रहेंगी। हम सभी को देख लेंगे। इस प्रकार की चुनौती की संविधान इजाजत नहीं देता है. सेंट्रल पुलिस और सशस्त्र पुलिस का टीएमसी वर्कर्स विरोध करें, यह कैसा आचरण है ? यह कैसे स्वीकार किया जा सकता है? प्रचार के दौरान जो कुछ भी धमकी दी गई थी. आज वो सब संविधान की मर्यादा लांघ कर हकीकत में दिख रहा है।जो कुछ चेतावनी दिया गया था, संविधान की मर्यादा लांघ कर वह तांडव नृत्य शुरू हो गया है।
गवर्नर को मुट्ठी में नहीं रखा जा सकता है'
गवर्नर ने कहा कि सीएम ने कहा कि कूचबिहार में नरसंहार हुआ था। प्रांत में और कहीं हिंसा हो रही है, उसपर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा। केवल राजनीति के लक्ष्य को संविधान को तार-तार नहीं कर सकते। अत्यंत विवशता में मैंने कठोर निर्णय लिया और संविधान की रक्षा करने के लिए राज्यपाल की हैसियत से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाने का निर्णय लिया। कोई भी बाधा से मैं प्रभावित नहीं हो सकता है। मैं अपने संविधानिक ड्यूटी का पालन करूंगा। प्रजातंत्र की मूल भावना पर कुठराघात नहीं होना चाहिए। हर उस व्यक्ति को दंडित करना चाहिए, जिसने बंगाल के किसी भी भाग में कानून को अपने हाथ में लिया है। लेकिन अभी तक सरकार की कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। राज्यपाल की भूमिका सिर्फ राजभवन में है, मु्झे यह स्वीकार नहीं है। राज्यपाल को मुट्ठी में नहीं रखा जा सकता है। प्रशासनिक आदेश संविधान से ऊपर नहीं है। राज्य के प्रथम सेवक के नाते मैं अपनी ड्यूटी निभाऊंगा।'
संविधान से बाहर कोई नहीं
उन्होंने कहा कि मैं सीएम के पत्र का जवाब दिया। संविधान के बाहर कोई नहीं जा सकता है।कोई प्रशासनिक आदेश संविधान को अवरुद्ध नहीं कर सकता है। इतिहास ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ का फैसला करेगा। मुझे कहते हुए बड़ा संकोच हो रहा है, बंगाल में कहां और क्या कुछ नहीं हो रहा है?लोग अपने अधिकारों को नहीं बचा पा रहे हैं। सुरक्षा के लिए गांव के गांव खाली हो गये हैं। कहां हैं मानवाधिकार बचाने वाली संस्थाएं? कहां है वह मीडिया? रक्त रंजित वातावरण को कुंठित करने के लिए यह समय टक्कर और टकराव का नहीं है। सहभागिता का है। स्टेट, अफसरों को अपनी मुट्ठी में नहीं रख सकते।
‘देश के संविधान को नहीं मानती हैं CM’, सोशल मीडिया हुए ट्रोल
जगदीप धनखड़ ने ने कहा प्रशासनिक आदेश का हवाला देकर उन्हें संवैधानिक कर्तव्य के पालन से रोकने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, वो अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते रहेंगे। न्यूज एजेंसी ने जब इसकी जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट पर इस न्यूज को फ्लैश किया, तो प्रतिक्रिया की बाढ़ आ गयी। लोगों ने राज्यपाल को ट्रोल करना शुरू कर दिया।गवर्नर कहा कि संविधान की संरक्षा, सुरक्षा और रक्षा उनकी जिम्मेदारी है। उनके इसी बयान पर सोशल मीडिया में लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। राकेश मीणा ने कहा कि राष्ट्रपति को भी देश मे ऐसे ही हालात संभालना चाहिए।इससे पहले, अभिनव ने लिखा- वॉयलेंस थोड़ा शांत हो गया ना अब? प्रो फूल बड्डी ने लिखा- कांस्टिट्यूशन ही डिफेंड करना, लोगों को तो नहीं कर पाओगे। बोर्ड पार्टिकल के नाम से ट्विटर हैंडल चलाने वाले शख्स ने लिखा- लोग फिर से जन्म ले सकते हैं, संविधान फिर से प्रिंट करने में टाइम और पैसा लगेगा।किरीट शाह ने कहा कि राज्यपाल को ऐसे बयान देने से पहले कलकत्ता हाइकोर्ट के उस बयान को पढ़ लेना चाहिए था, जिसमें चुनाव के बाद हुई हिंसा से निबटने के लिए ममता बनर्जी की तारीफ की गयी है।फॉरएवर कांग्रेस ने पूछा कि राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों से कब मिलेंगे। अभिषेक कटियार ने लिखा- राजनीति. और फिर तो आपको कोरोना से मरने वालों के घर जाना चाहिए, पर शायद वो आपकी definition to 'preserve, protect and defend the constitution' के अंतर्गत नहीं आती होगी। कोई नहीं साहब, आप कुछ भी कर और कह सकते हो, क्योंकि आप राज्यपाल जो हो।
पश्चिम बंगाल से हिंसा को तुरंत खत्म करना होगा
पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्होंने पुलिस अफसरों को अगाह किया था। डीजीपी और गृह सचिव को बुलाया था। तीन मई को डीजीपी से रिपोर्ट मांगी थी, जो आज तक नहीं मिली. लोग अपने अधिकारों को नहीं बचा पा रहे हैं.।जान बचाने के लिए गांव के गांव खाली हो गये।ऐसी स्थिति में खुद की पीठ थपथपाना अच्छा नहीं है। यह किसी भी तरीके से जायज नहीं है। इसे बदलना होगा. पश्चिम बंगाल में हिंसा को तुरंत खत्म करना होगा।
हिंसा के डर से बंगाल से असम भागे लोगों से आज मिलेंगे गवर्नर
गवर्नर शुक्रवार असम के रणपगली और श्रीरामपुर शिविरों का भी दौरा करेंगे, जहां चुनाव के बाद बदला लेने के लिए हुई हिंसा की वजह से बंगाल से बड़ी संख्या में लोगों ने सुरक्षा के लिए शरण ली है। रणपगली असम के धुब्री जबकि श्रीरामपुर कोकराझार जिले में है। दोनों जिले बंगाल से सटे हुए हैं।