पंजाब: गुमनाम डोनर ने PGIMER चंडीगढ़ को दिया 10 करोड़ का चेक
किडनी पेसेंट की परेशानी को समझते हुए एक गुमनाम डोनर ने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर को 10 करोड़ रुपये का दान दिया है। हॉस्पिटल के अफसरों का कहना है कि डोनर पहले पीजीआईएमईआर से जुड़ा था। उन्होंने गुमनाम रहते हुए अपनी सेविंग से 10 करोड़ का चेक रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर को दान करने का फैसला किया।
चंडीगढ़। किडनी पेसेंट की परेशानी को समझते हुए एक गुमनाम डोनर ने पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर को 10 करोड़ रुपये का दान दिया है। हॉस्पिटल के अफसरों का कहना है कि डोनर पहले पीजीआईएमईआर से जुड़ा था। उन्होंने गुमनाम रहते हुए अपनी सेविंग से 10 करोड़ का चेक रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर को दान करने का फैसला किया।
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सोर्सेज के अनुसार PGIMER ने अगस्त में 24 किडनी ट्रांसप्लांट किए थे। इनमें से एक पेसेंट डोनर का रिश्तेदार था। हालांकि PGIMER की ओर से कोई ऑफिसियल बयान शेयर नहीं किया गया है। लेकिन सोर्सेज ने कहा कि दान बतौर चेक के रूप में दिया गया है। यह चेक रेनल ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए था। हॉस्पिटल ने अभी तक यह तय नहीं किया कि पैसे का इस्तेमाल कैसे किया जाए। यह पीजीआईएमईआर को मिला अब तक का सबसे बड़ा दान है। इससे पहले उसे सबसे ज्यादा दान 50 लाख रुपये का मिला था।
तीन वर्षों में हॉस्पिटल के गरीब रोगी कल्याण कोष के माध्यम से 9,000 से अधिक रोगियों का इलाज किया गया
पिछले तीन वर्षों में हॉस्पिटल के गरीब रोगी कल्याण कोष के माध्यम से 9,000 से अधिक रोगियों का इलाज किया गया है। सेंटर के चीफ डॉ आशीष शर्मा ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट की न्यूनतम लागत 40,000 रुपये थी। कई मुश्किल मामलों में ये कीमत दो लाख रुपये तक बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, "अगर ब्लड ग्रुप असंगत है तो लागत बढ़कर छह लाख रुपये हो जाती है।" पेसेंट पर वित्तीय संकट यहीं समाप्त नहीं होता है। उनके जीवन भर की दवा की कीमत 1,200 से 15,000 रुपये प्रति माह है।
2600 किडनी फेल्योर के पेसेंट किसी डोनर की तलाश
ट्रांसप्लांट वैसे भी आसान नहीं होता है। वर्तमान में, 2,600 किडनी फेल्योर के पेसेंट किसी डोनर की तलाश में कतार में खड़े हैं। यहां तक कि जिनके पास डोनर है उन्हें भी ट्रांसप्लांट के लिए कम से कम एक या दो महीने इंतजार करना पड़ता है। एक डॉक्टर ने कहा कि ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहे लोग अपने इलाज के लिए पीजीआईएमईआर के बाहर छोटा मोटा काम भी कर लेते हैं।