पंचतत्व में विलीन हुईं हीराबा, PM नरेंद्र मोदी ने किया अंतिम प्रणाम, मां के पार्थिव शरीर को दिया कंधा

पीएम नरेंद्र मोदी  की मां हीराबा पंचतत्व में विलीन हो गईं। पीएम मोदी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। गांधीनगर में एक श्मशान घाट में साधारण तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया गया। हीराबा 100 साल की थीं उन्होंने अहमदाबाद के यूएन मेहता हॉस्पिचल में सुबह 3:30 बजे अंतिम सांस ली।

पंचतत्व में विलीन हुईं हीराबा, PM नरेंद्र मोदी ने किया अंतिम प्रणाम, मां के पार्थिव शरीर को दिया कंधा
  • पीएम मोदी और उनके भाइयों ने हीराबा को मुखाग्नि दी

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी  की मां हीराबा पंचतत्व में विलीन हो गईं। पीएम मोदी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। गांधीनगर में एक श्मशान घाट में साधारण तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया गया। हीराबा 100 साल की थीं उन्होंने अहमदाबाद के यूएन मेहता हॉस्पिचल में सुबह 3:30 बजे अंतिम सांस ली।

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पीएम मोदी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। गांधीनगर में एक श्मशान घाट में साधारण तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी मां हीराबेन के पार्थिव शरीर को कांधा दिया। पीएम खुद उसी एम्बुलेंस से श्मशान घाट तक पहुंचे, जिसमें उनकी मां का पार्थिव शव रखा था। उनके साथ परिवार के और भी सदस्य मौजूद थे।

'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम'
इससे पहले शुक्रवार सुबह पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ''शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम...मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।''

संघर्ष को याद कर रो पड़े मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी हीराबा के संघर्ष के बारे में कई बार भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद करते हुए कहा था 'मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं।' इस दौरान पीएम मोदी भावुक होकर रो पड़े थे।


सादगी भरा रहा जीवन...
जब विवाह हुआ था तो हीराबेन की उम्र तब महज 15-16 साल थी। घर की आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिला। भले ही हीराबेन को पढ़ने का मौका ना मिला हो लेकिन अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्होंने दूसरे के घरों में काम किया। उन्होंने फीस भरने के लिए कभी किसी से उधार पैसे नहीं लिए।पीएम मोदी का मां हीराबा के प्रति प्रेम जगजाहिर है। वो अक्सर अपनी मां की बातों को याद किया करते हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में हीराबेन का जिक्र भी किया। हीरा बा के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनकी मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर के पालनपुर में हुआ था। ये वडनगर के काफी करीब है। हीराबा की मां यानी पीएम मोदी की नानी का स्पेनिश फ्लू महामारी से कम आयु में ही निधन हो गया था। हीराबेन को अपनी मां का चेहरा भी याद नहीं था। हीराबा ने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया।

खुद करती थीं काम
पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि कैसे उनकी मां ना केवल घर के सभी काम खुद करती थीं, बल्कि परिवार पालने के लिए दूसरों के घरों में काम भी करती थीं। पीएम मोदी वडनगर के उस छोटे से घर को अक्सर याद करते थे, जिसकी छत और दीवारें मिट्टी की थी। जहां वो अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे।

जब मां के संघर्ष को याद कर रो पड़े पीएम मोदी
हीराबा के संघर्ष के बारे में पीएम मोदी कई बार भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद करते हुए कहा था 'मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं।' इस दौरान पीएम मोदी भावुक होकर रो पड़े थे।

सादा जीवन, सादा भोजन और सकारात्मक विचार
100 साल की उम्र में भी हीराबा के स्वस्थ जीवन का राज सादा जीवन, सादा भोजन और सकारात्मक विचार था। जल्दी सोना और जल्दी उठकर भजन, पूजा-पाठ करना उनके दैनिक कार्यो में शुमार था। हीराबेन का विवाह दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी। हीराबेन और दामोदरदास की छह संतानें हुईं। नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे।

हीराबा को पैदल चलना पसंद था
हीराबा के छोटे पुत्र प्रहलाद मोदी बताते हैं कि मां सकारात्मक और धार्मिक विचारों से ओत-प्रोत रहने के कारण हमेशा प्रसन्न और स्वस्थ रहतीं। कभी कोई शारीरिक परेशानी हो तो घरेलू उपचार से ठीक हो जातीं थीं। हीराबा आसपास जाने के लिए पैदल चलना पसंद करती थीं। खाली समय में झूले पर बैठने के साथ आस-पड़ोस के बच्चों के साथ बातचीत करतीं। बुजुर्ग होने के कारण पड़ोस की महिलाएं भी उनसे कई तरह की सलाह लेती थीं।
मां हीराबा का जीवन
हीराबा का जन्म 18 जून साल 1923 को मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था। हीराबा ने बचपन में ही अपनी मां का प्यार खो दिया था। उनकी मां की मौत स्पेनिश फ्लू महामारी में हो गई थी। हीराबा का बचपन गरीबी में बीता था उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा था। यही कारण है कि वह कम उम्र में ही चुनौतियों से परिपक्व हो गई थी। हालांकि वह परिवार में सबसे बड़ी थी जिस कारण घर की सारी जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई और उन्होंने बचपन में ही परिवार की जिम्मेदारी भी उठा ली थी।
गरीबी में बीता जीवन
हीराबा का विवाह गुजरात के वडनगर में एक छोटे से घर में रहने वाले मोदी परिवार में हुआ था। उनके पति मोदी परिवार में सबसे बड़े दामाद थे। लेकिन शादी के बाद भी हीराबा के जीवन में संघर्ष रहा था। शादी के तुरंत बाद ही उन्होंने मोदी परिवार की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली थी। कई जिम्मेदारियों और संघर्षों के बावजूद उन्होंने पूरे परिवार को एक साथ रखा है। हीराबा का परिवार वडनगर में एक छोटे से घर में रहता था। उसमें कोई खिड़की भी नहीं थी। हीरबा के पति दामोदरदास मोदी ने बांस के डंडे और लकड़ी के तख्तों से एक चबूतरा बनाया हुआ था उसमें ही हीराबा खाना बनाती थी।
घर का खर्च चलाने के करती था साफ- सफाई
हीराबा का जीनव हमेशा से ही संघर्षों से भरा रहा था। वह शुरूआत से ही घर का खर्च चलाने के लिए घरों की साफ-सफाई करती थीं। वे व्हील स्पिनर का भी काम करती थी। वे कला फोलवा से लेकर रूकांतवा तक का काम करती थी। समय बीतने के साथ नरेंद्र मोदी समेत उनके सभी बच्चे बड़े हो गए थे। हीराबा गांधीनगर के रायसन में अपने बेटे पंकज मोदी के साथ रहती हैं। 18 जून 2022 को 100 साल की हुईं हीरा बा इस उम्र में भी अपना काम खुद करने की जिद पर अड़ी थीं। वह साफ-सफाई में भी उतना ही विश्वास करती थी।

हीराबा को सादा खाना और लपसी बहुत पसंद
हीराबा ज्यादातर घर का बना खाना ही खाती थीं। उन्हें खिचड़ी, दालभात, लपसी बहुत पसंद थी। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी भी जब मां हीराबा के साथ भोजन करते थे तो वह भी रोटली, सब्जी, दाल चावल और सलाद जैसे सादा खाना खाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 में देश के पीएम बने थे। वह 2016 में अपनी मां को अपने साथ दिल्ली ले गए थे। पीएम मोदी ने उन्हें अपने हाथ से व्हीलचेयर पर बिठाया और उन्हें बगीचा दिखाया था।
हीराबा के जन्मदिन पर आयोजित हुए थे विभिन्न कार्यक्रम
हीराबा के 100 वर्ष पूरे होने पर 18 जून 2022 को वडनगर में उनके 100 वर्ष पूरे होने पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। 18 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रायसन आए और मां से मिले थे। वडनगर के हाटकेश्वर महादेव मंदिर में 100 दीवानी आरती की गई थी। वडनगर के हर स्कूल में बच्चों को पोषाहार भी दिया गया। साथ ही वडनगर में नवचंडी यज्ञ किया गया था।