Jharkhand: धनबाद जिला अध्यक्ष के दावेदारों में संतोष सिंह व रवींद्र वर्मा टॉप पर ! छह नामों की हुई शॉट लिस्टिंग
झारखंड कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की तैयारी। धनबाद में जिलाध्यक्ष पद के लिए लगभग 42 नेताओं ने दावेदारी की। एआइसीसी पर्यवेक्षक दिनेश गुर्जर ने आठ सितंबर तक किया रायशुमारी, 17 सितंबर को रिपोर्ट दिल्ली भेजी जायेगी।

- झारखंड कांग्रेस संगठन में होगा भारी फेरबदल
- पद और पावर के साथ बहुत कुछ बदला-बदला दिखेगा
- 25 जिलों में से आधे अधिक एससी, एसटी और ओबीसी के होंगे जिलाध्यक्ष
धनबाद। झारखंड में संगठन सृजन अभियान के तहत कांग्रेस जिलाध्यक्ष को अधिक सशक्त बनाने की योजना पर काम चल रहा है। संगठन सृजन अभियान के तहत झारखंड में पूरी टीम बदली जा रही है। जिलाध्यक्ष से लेकर अन्य तमाम पदों पर नये चेहरे दिख सकते हैं। धनबाद में जिलाध्यक्ष के लिए लगभग 42 नेताओं ने दावेदारी पेश की है। पर्यवेक्षक की ओर से छह दावेदारों का नाम शॉट लिस्टिंग किया गया है।
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धनबाद में भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) द्वारा नियुक्त मुख्य पर्यवेक्षक सह मुरैना (मध्य प्रदेश) के एमएलए दिनेश गुर्जर दो से आठ सितंबर तक जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर प्रखंड, मंडल और ग्राम पंचायत स्तर के संगठन पदाधिकारियों, कार्यसमिति सदस्यों और वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी कर लौट चुके हैं। एमएलए दिनेश गुर्जर के साथ पीसीसी पर्यवेक्षक अशोक कुमार चौधरी और मो तौशिफ भी धनबाद में थे। दो दिन पहले पर्यवेक्षक शांतनु मिश्रा भी धनबाद आकर राायशुमारी कर लौट गये हैं। पर्यवेक्षक की ओर से 17 सितंबर को एआइसीसी को रिपोर्ट सौंपनी है। इसके लिए छह नेताओं का नाम शॉट लिस्ट किया गया है।
कांग्रेस सोर्सेज का कहना है कि धनबाद जिला अध्यक्ष के लिए भेजे गये छह नामों में वर्तमान जिला अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह व रवींद्र वर्मा के अलावा अशोक सिंह, सुलतान अहमद, शमशेर आलम व बबलू दास के नाम हैं। ये नाम दिल्ली लीडरशीप को भेज गये हैं। पर्यवेक्षकों ने छह लोगों के बारे में डिटेल रिपोर्ट व रायशुमारी में मिले मंतव्य भी भी संलग्न किया है। जनरल कोटे से वर्तमान जिला अध्यक्ष संतोष सिंह व ओबीसी से रवींद्र वर्मा का नाम उपर चल रहा है।
संतोष कुमार सिंह: लगभग 30 माह से जिला कांग्रेस अध्यक्ष हैं। ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह के बाद संतोष को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। वर्तमान जिला अध्यक्ष के 26 माह के कार्यकाल में पार्टी संगठन की मजबूती, चुनावी समीकरण, विगत चुनाव के रिजल्ट आदि का विवरण भी काम कर रहा है। कहा जा रहा है कि जिले के प्राय: सभी नगर व प्रखंड अध्यक्षों ने संतोष को फिर से जिला अध्यक्ष बनाने के लिए हामी भरी है। धनबााद से लोकसभा कैंडिडेट रही अनुपमा सिंह, एमएलए कैंडिडेट रहे अजय कुमार दूबे, पूर्व जिला अध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने संतोष सिंह के पक्ष में है।
संतोष के कार्यकाल में एकमात्र विधानसभा सीट भी कांग्रेस हार गयी
संतोष सिंह के पक्ष के साथ-साथ विपक्ष में भी बड़ा तर्क है। संतोष सिंह के जिलाध्यक्ष रहते विधानसभा व लोकसभा चुनाव हुए लेकिन दोनों में कांग्रेस पार्टी को सफलता नहीं मिली है। पहले से जीती एक मात्र झरिया विधानसभा सीट से भी कांग्रेस कैंडिडेट पराजित हो गयी। संतोष सिंह पर झरिया एमएलए रही पूर्णिमा नीरज सिंह के खिलाफ काम करने का आरोप लगा है। इसी तरह का आरोप बाघमारा से चुनाव लड़ पराजित हुए जलेश्वर महतो ने भी लगाया है। विधानसभा व लोकसभा दोनों चुनाव में संतोष सिंह के खुद के बूथ पर कांग्रेस कैंडिडेट की बुरी तरह हार हुई है। अभी तक का काार्यकाल भी विवादास्पद रहा है। पार्टी विरोधी गतिविधियों का भी आरोप लगता रहा है। तत्कालीन पार्टी जिला अध्यक्ष मो मन्नान मल्लिक ने इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी किया था।
रवींद्र वर्मा: रवींद्र वर्मा ओबीसी में कुशवाहा समाज से आते हैं। ये धनबाद नगर अध्यक्ष, कार्यकारी जिला अध्यक्ष व प्रदेश महासचिव रह चुके हैं। झरिया की एक्स एमएलए पूर्णिमा नीरज सिंह व बाघमारा के एक्स एमएलए जलेश्वर महतो के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की पसंद रवींद्र वर्मा बताये जा रहे हैं। इनके लिए दिल्ली में मीडिया से जुड़े कुछ लोग पैरवी कर रहे हैं। हालांकि इनका भी विवाद से चोली दामन का रिश्ता रहा है। संगठन की ओर से इनके खिलाफएक बार कार्रवाई भी हो चुकी है। कुछ आरोप भी लगे थे लेकिन साबित नहीं हो सके। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में रवींद्र वर्मा के बूथ पर पार्टी की बुरी तरह हार हुई है।
अशोक कुमार सिंह: राजनीति में शामिल होते ही अशोक कुमार सिंह ने हाल के वर्षों में कांग्रेस संगठन में गतिविधियां बढ़ायी है। समाजिक कार्यों में अग्रसर रहते हैं। राहुल गांधी के कार्यक्रम में बिहार तक पसीना बहाया है। कोरोना काल में लोगों की खूब मदद की है। पार्टी के कई बड़े नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है। हालांकि कांग्रेस पार्टी में कुछ वर्ष पहले जुडने के कारण जिला अध्यक्ष की दावेदारी करने से एक बड़ा तबका इनके खिलाफ है। जिला के गुटीय राजनीति में कमजोर पड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में अपने बूथ पर पार्टी को जीत नहीं दिला सके हैं।
सुलतान अहमद: प्रदेश के नेताओं से बेहतर तालमेल हैं। निर्विवाद व शांत स्वभाव के हैं। लगातार कोआर्डिनेटर व प्रदेश पदाधिकारी रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष दोनों सुलतान को मदद कर रहे है। पिछले दरवाजे से सुलतान जिला अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोर लगा रहे हैं। हालांकि जमीन पकड़ नहीं है। जमीन कार्यकर्ताओं से संपर्क का आभाव है। लॉबिंग के कारण मौका मिलता रहा है। पार्टी में काम का पुराना अनुभव नहीं है।
शमशेर आलम: शमशेर आलम युवक कांग्रेस की राजनीति से कांग्रेस में सक्रिय हैं। पिछड़ा अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। वर्ष 2015 के मेयर चुनाव में अपने बल पर अच्छी खासी वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। चंद्रशेखर अग्रवाल ने शमशेर आलम को 42494 वोटों से हराया था। चंद्रशेखर अग्रवाल को कुल 93105 वोटव शमशेर आलम को 50611 वोट मिले थे। पार्टी के बड़े नेताओं ने ही मेयर चुनाव में शमशेर का विरोध किया था। शमखेर लगातार संगठन से जुड़ रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस के रााष्ट्रीय अध्यक्ष की टीम तक शमशेर की पहुंच है। हालांकि वर्तमान माहौल में वे आ4थिक रुप से कमजोर पड़ जाते हैं। गुटीय राजनीति में भी पिछड़ रहे हैं। प्रदेश व जिला के कोई बड़ा नेता खुलकर साथ नहीं दे रहा है।
बबलू दास: बबलू दास दलित समुदाय से आते हैं। कांग्रेस में जमीन लेवल पर एक्टिव हैं। दलित राजनीति के केंद्र में खूब सक्रिय हैं। कार्यक्रमों में भागीदारी रहती है। सभी नेताओं से बेहतर संबंध हैं। लेकिन संगठन में पदधारी भी हैं। लेकिन आर्थिक समस्या आड़े आ रही है। प्रदेश व सेंट्रल लेवल पर लॉबिंग नहीं है।
जानकार सोर्सेज का कहना है कि जिला अध्यक्ष संतोष सिंह समेत कई दावोदार दिल्ली में कैंप किए हुए हैं। कई नेता रांची में जमे हैं। जिले के कुछ सीनीयर लीडर जिला अध्यक्ष के दावेदारों के खिलाफ पुरानी पेपर कटिंग,फरजी लेटर आदि कांग्रेस लीडरशीप को मेल कर रहे हैं। विरोधियों का पत्ता कटवाने के लिए फरजी कॉल करवा रहे हैं। जिले से मीडिया के नाम पर एक-दो दावेदारों ने पर्यवेेक्षक के पास अपने पक्ष में बात पहुंचायी है।