Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास, समर्थन में पड़े 454 व विरोध में दो वेट पड़े
महिला आरक्षण बिल 20 सितंबर को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत से पास हो गया। बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि दो वोट इसके खिलाफ पड़े। AIMIM पार्टी के दो एमपीअसदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने विरोध में वोट डाले। वोटिंग पर्ची के जरिए हुई। बिल पर 21 सितंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी।
नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल 20 सितंबर को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत से पास हो गया। बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि दो वोट इसके खिलाफ पड़े। AIMIM पार्टी के दो एमपीअसदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने विरोध में वोट डाले। वोटिंग पर्ची के जरिए हुई। बिल पर 21 सितंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी।
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पीएम मोदी ने बुधवार देर रात X पर पोस्ट करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। पीएम ने लिखा - लोकसभा में संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने पर खुशी हुई। मैं सभी दलों के सांसदों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में वोट किया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून है जो महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा और हमारी राजनीतिक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
महिला आरक्षण बिल बीजेपी के लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं: शाह
अमित शाह ने कहा ने कहा कि इस बिल के जरिए एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जायेंगी। कुछ पार्टियों के लिए ये बिल पॉलिटिकल एजेंडा हो सकता है, लेकिन हमारी पार्टी और पीएम मोदी के लिए ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है। पीएम मोदी के लिए ये मान्यता का सवाल है। ये बिल पहले चार बार पेश हो चुका है, लेकिन तब ऐसा क्या हुआ कि ये पास नहीं हो पाया। देवगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह तक ने कोशिश की, लेकिन ये पास नहीं हुआ। आखिर ऐसी कौन सी वजह थी, जो इसे पास नहीं होने दिया गया?
शाह ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी समझ है कि देश सेक्रेटरी चलाते हैं, लेकिन मेरी समझ है कि देश सरकार चलाती है। बीजेपी की सरकार में 29 परसेंट यानी 85 एमपी ओबीसी कैटेगरी के है। 29 मिनिस्टर भी OBC कैटेगरी के हैं। बीजेपी के 1358 में से 365 यानी 27 परसेंट एमएलए OBC हैं। अमित शाह ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाओं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आयेगा। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में 60 एमपी ने अपने विचार रखे।
महिला आरक्षण का बिल सबसे पहले राजीव लाए: सोनिया गांधी
सोनिया ने कहा कि स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में सात वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया। इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जायेगा। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि बिल को फौरन अमल में लाया जाए। सरकार को इसे परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए। इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस बिल में SC-ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए।इस पर बीजेपी एमपी निशिकांत दुबे ने कहा कि ये सिर्फ PM मोदी का बिल है, जिसने गोल किया, नाम उसी का होता है। हमारे प्रधानमंत्री और हमारी पार्टी ये बिल लेकर आई है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है।
बिल में OBC आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए: राहुल
लोकसभा में बिल पर चर्चा में 60 एमपी ने अपने विचार रखे। कांग्रेस एमपी राहुल गांधी ने कहा कि OBC आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है। राहुल गांधी ने कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करता हूं। महिला आरक्षण बिल पर बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए। इसे आज से ही लागू कर देना चाहिए, लेकिन ये बिल पूरा नहीं है। इसमें OBC आरक्षण होना चाहिए था। मैंने सवाल पूछा कि जो 90 सेक्रेटरी है, जो कि हिंदुस्तान की सरकार चलाते हैं, इनमें से OBC कितने हैं, लेकिन मैं जवाब से हैरान रह गया क्योंकि 90 में से सिर्फ तीन ओबीसी सेक्रेटरी हैं।
बिल ओबीसी और मुस्लिम विरोधी: असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार केवल 'सवर्ण' महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। इस बिल से OBC महिलाओं और मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर असर पड़ेगा। यह ओबीसी विरोधी, मुस्लिम विरोधी बिल है। मोदी सरकार सिर्फ 'बड़े' लोगों के लिए सोच रही है। ये लोग नहीं चाहते कि 'छोटे' लोग इस सदन का नेतृत्व करें। ये बिल संसद में मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए दरवाजे बंद करने वाला है।
संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं: स्मृति ईरानी
डिंपल यादव ने मांग की थी कि महिला आरक्षण बिल में पिछड़े वर्ग और मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाए। इस पर स्मृति ईरानी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जो लोग अल्पसंख्यकों को महिला आरक्षण बिल में आरक्षण की मांग कर रहे हैं, उन्हें बताना चाहती हूं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है।
देश में बाढ़ आ रही, स्पेशल सेशन क्यों बुलाया?
सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व भाजपा प्रमुख ने मुझसे टीवी पर कहा था कि सुप्रिया सुले तुम घर जाओ, खाना बनाओ। देश कोई और चला लेगा। भाजपा इस पर जवाब दे। उन्होंने आगे कहा कि जनगणना और परिसीमन होने तक महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता। फिर इसके लिए स्पेशल सेशन क्यों बुलाया गया। इसे विंटर सेशन में भी पास कर सकते थे। देश के कई हिस्सों में बाढ़ आ रही है, इस समय सेशन बुलाने की क्या जरूरत है।
बृजभूषण सिंह पर एक्शन क्यों नहीं
TMC एमपी काकोली घोष ने कहा कि देश में सिर्फ पश्चिम बंगाल में महिला CM है। बीजेपी की 16 राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी राज्य में महिला CM नहीं है। देश के लिए मेडल जीतने वाली महिलाओं का सेक्शुअल हैरेसमेंट किया गया। आरोपी बृजभूषण सिंह आज संसद में बैठे हैं। बीजेपी उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लेती।
2024 का चुनावी जुमला: ललन सिंह
जेडीयू एमपी ललन सिंह ने कहा कि ये 2024 का चुनावी जुमला है। I.N.D.I.A गठबंधन से सरकार घबरा गई और ये बिल लेकर आई। इनकी मंशा सही होती तो 2021 में जनगणना शुरू करवा दी होती। इससे अब तक जनगणना पूरी हो जाती और महिला आरक्षण 2024 से पहले लागू हो जाता।
नई संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ था बिल
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जायेगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा।इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नये बिल में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है। इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।
तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव लगभग तीन दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।
संसद के विशेष सत्र में ये चार बिल भी पेश होने की संभावना
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल, 2023: यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के अनुसार आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।
एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023: इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।
प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023: यह बिल किसी भी न्यूजपेपर, मैग्जीन और किताबों के रजिस्ट्रेशन और पब्लिकेशंस से जुड़ा है। बिल के जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 को निरस्त कर दिया जायेगा।
पोस्ट ऑफिस बिल, 2023: यह बिल 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को खत्म कर देगा। इस बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने के साथ ही पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को अतिरिक्त पावर देने का काम करेगा।