Shibu Soren Death: सेंट्रल की पॉलिटिक्स में रहा 'गुरुजी' का दबदबा, झारखंड के 'महानायक' बने शिबू सोरेन
झारखंड के महानायक शिबू सोरेन का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 'गुरुजी' के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने न सिर्फ झारखंड बल्कि केंद्र की राजनीति में भी गहरी छाप छोड़ी।

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन, जिन्हें उनके समर्थक गुरुजी कहकर संबोधित करते हैं। शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर स्थापित किये। जिसमें केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में कार्य करना और संसद के उच्च सदन, राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करना भी शामिल है।
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दुमका से संसदीय यात्रा का आरंभ
शिबू सोरेन ने अपनी संसदीय यात्रा की शुरुआत 1980 में दुमका लोकसभा सीट से सांसद के रूप में की थी। उस समय झारखंड अविभाजित बिहार का ही हिस्सा था। यह उनकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण शुरुआत थी, जिसने उन्हें राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलायी।
केंद्रीय कोयला मंत्री बने
शिबू सोरेन को केंद्र सरकार में कोयला मंत्री का पदभार दो बार संभालने का अवसर मिला। ये दोनों ही कार्यकाल मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान थे।
पहला कार्यकाल
मई 2004 से 24 जुलाई 2004 तक। इस दौरान उन्हें 1975 के चिरूडीह नरसंहार से जुड़े एक गिरफ्तारी वारंट के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, बाद में उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया था।
दूसरा कार्यकाल
29 जनवरी 2006 से 28 नवंबर 2006 तक।
राज्यसभा में प्रतिनिधित्व
लोकसभा के साथ-साथ, शिबू सोरेन ने राज्यसभा में भी झारखंड का प्रतिनिधित्व किया है। वह तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।
आठ जुलाई 1998 से 18 जुलाई 2001 तक
10 अप्रैल 2002 से दो जून 2002 तक
22 जून 2020 से चार अगस्त 2025 तक (यह उनका वर्तमान कार्यकाल है)
शिबू सोरेन अगलग झारखंड राज्य के गठन के आंदोलन में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। उन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य के रूप में उनके कार्यकाल ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रभावी नेता के रूप में स्थापित किया।