IIT-ISM Convocation : IIT-ISM के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बोलीं – “आप केवल इंजीनियर नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माता हैं”
आईआईटी-आइएसएम धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्र-इंजीनियरों को 'भविष्य के निर्माता' बताते हुए शिक्षा, जिम्मेदारी और बदलाव का संदेश दिया। शताब्दी वर्ष पर विशेष डाक टिकट का विमोचन।

धनबाद। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT ISM) धनबाद के 45 वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। अपने प्रेरणादायी संबोधन में उन्होंने छात्रों को जीवन की नई दिशा देने वाले शब्द कहे। समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा "आप केवल इंजीनियर नहीं, भविष्य के निर्माता हैं", जिससे छात्रों को अपने ज्ञान के ज़रिए समाज और देश में सकारात्मक परिवर्तन लाने की जिम्मेदारी का एहसास हुआ।
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IIT-ISM धनबाद ने तकनीकी विकास और नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि IIT Dhanbad ने ऐसा ecosystem विकसित किया है जहाँ शिक्षा और नवाचार का उद्देश्य लोगों की ज़रूरतों से और देशवासियों की आकांक्षाओं के साथ जुड़ा हुआ है। pic.twitter.com/tRxANdgcez
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2025
ज्ञान और जिम्मेदारी का संगम
राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन हर छात्र के लिए सबसे खास होता है, क्योंकि यह केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि जीवन के नये अध्याय की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग केवल तकनीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को नई दिशा देने और राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का एक सशक्त माध्यम है।
उन्होंने कहा, यह जीवन के एक नये अध्याय की शुरुआत है। साथ ही शिक्षकों के प्रति सम्मान जताने का अवसर है। आप अपने ज्ञान एवं कौशल का उपयोग दुनिया में बदलाव लाने के लिए कर सकते हैं।अपने ज्ञान को व्यक्तिगत विकास तक के लिए सीमित नहीं रखें। ग्रीन इंडिया के निर्माण के लिए भी करें। अपनी बुद्धमिता से केवल नवाचार नहीं बल्कि सिद्धांत को भी बनाये रखें। आप भविष्य के निर्माता भी हैं।
The world has a lot of hope from India’s youth. I appeal to the graduating students of @IITISM_DHANBAD to embrace greater responsibilities. They should not just pursue employment, but also excellence. They must not wait for the future, but build it driven by values.
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) August 1, 2025
I am sure… pic.twitter.com/rFxCA3RljAतकनीकी शिक्षा की बढ़ती पहुंच और डिजिटल कौशल का प्रसार भारत को तकनीकी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहा है। भारत की शिक्षा प्रणाली को और अधिक व्यावहारिक, नवाचार-केंद्रित और industry-friendly बनाने से देश के युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा मिलेगी और उन्हें वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने… pic.twitter.com/ifS37bsxaU
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2025
IIT-ISM ने तकनीकी विकास और नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी
उन्होंने IIT-ISM धनबाद ने तकनीकी विकास और नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि IIT Dhanbad ने ऐसा ecosystem विकसित किया है जहां शिक्षा और नवाचार का उद्देश्य लोगों की ज़रूरतों से और देशवासियों की आकांक्षाओं के साथ जुड़ा हुआ है। देश के सम्पूर्ण विकास में IIT-ISM की महत्वपूर्ण भूमिका है। उत्कृष्ट इंजीनियर और शोधकर्ता तैयार करने के साथ-साथ करुणामय, संवेदनशील और उद्देश्यपूर्ण professionals का निर्माण भी इस संस्थान को करना है।
The Indian Institute of Technology (Indian School of Mines), Dhanbad, had the distinguished honour of hosting the Hon’ble President of India, Smt. Droupadi Murmu, as the Chief Guest at its 45th Convocation on August 1, 2025, during the Institute’s Centenary Year celebrations.… pic.twitter.com/2Psoue1Pch
— IIT(ISM) (@IITISM_DHANBAD) August 1, 2025
ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रहने दें
राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीकी शिक्षा की बढ़ती पहुंच और डिजिटल कौशल का प्रसार भारत को तकनीकी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहा है। भारत की शिक्षा प्रणाली को और अधिक व्यावहारिक, नवाचार-केंद्रित और industry-friendly बनाने से देश के युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा मिलेगी। वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने के बाद आप अपने ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रहने दें, बल्कि जनहित का माध्यम बनायें। इसका उपयोग एक मज़बूत और अधिक न्यायपूर्ण भारत के निर्माण के लिए करें, जहां आगे बढ़ने के अवसर सबके लिए उपलब्ध हों।
आइआइटी-आइएसएम विशिष्ट इंस्टीच्युट
राष्ट्रपति ने कहा आइआइटी-आइएसएम एक विशिष्ट इंस्टीच्युट है। इस इंस्टीच्युट का 100 वर्षों का गौरवमय इतिहास रहा है। समय के साथ संस्थान ने अपने अंदर काफी बदलाव किया और एक अग्रणी संस्थान बन गया है। आइआइटी-आइएसएम ने शिक्षा एवं नवाचार का विकास किया है। यह इंस्टीच्युट समाज के लिए काम कर रहा है। आदिवासियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चला रहा है। यहां पर जनजातीय युवाओं, महिलाओं को कौशल विकास के तहत दक्ष किया जा रहा है।
देश के विकास में आईआईटी-आइएसएम की भूमिका
राष्ट्रपति ने कहा कि सिर्फ तकनीकी योग्यता ही नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व और नवाचार के साथ ज्ञान को एक बड़े उद्देश्य के लिए लगाना आवश्यक है। उन्होंने आदिवासी युवाओं और महिलाओं के कौशल विकास पर संस्थान के कार्यक्रमों को सराहा और कहा कि ऐसे प्रयास देश के व्यापक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। देश के विकास में आईआईटी-आइएसएम की भूमिका पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि डिजिटल युग में सामाजिक असमानताओं को कम करने के लिए तकनीकी सोच और नैतिक नेतृत्व दोनों की जरूरत है। उन्होंने स्टूडेंट्स से आग्रह किया कि वे सिर्फ उत्पाद या समाधान न बनायें, बल्कि उन सिद्धांतों को भी सशक्त करें जो इन नवाचारों को टिकाऊ और समावेशी बनायें।
दीक्षांत समारोह में उच्च प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स को सम्मानित भी किया गया। राष्ट्रपति ने टॉप रैंकिंग बीटेक स्टूडेंट प्रियांशु शर्मा को राष्ट्रपति गोल्ड मेडल प्रदान किया, जो कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता के लिए चुने गये हैं। इस अवसर पर कुल 37 स्टूडेंट्स को गोल्ड, 35 को सिल्वर तथा 21 को प्रायोजित मेडल एवं पुरस्कार दिये गये। इस कार्यक्रम में 2024-25 बैच के कुल 1,880 स्टूडेंट्स को डिग्रियां प्रदान की गयी, जो अब आईआईटी के एक्स स्टूडेंट्स के प्रतिष्ठित पंक्ति में शामिल हो रहे हैं।
President Droupadi Murmu graced the convocation ceremony of the Indian Institute of Technology (Indian School of Mines) Dhanbad. The President said that IIT-ISM has an important role in the overall development of the country. Apart from preparing excellent engineers and… pic.twitter.com/MBRQtW3Pqn
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2025
गूगल और चैटजीपीटी डिस्टर्बिंग गुरु: धर्मेंद्र प्रधान
दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि गूगल और चैटजीपीटी डिस्टर्बिंग गुरु बन रहे हैं। इससे निपटने के लिए सोचना होगा। सिर्फ नौकरी के लिए प्रयास नहीं करें, बल्कि नौकरी देने वाले बनें। एक बड़ी जिम्मेदारी है। स्टार्टअप के लिए प्रयास करें। डिग्री से ज्यादा कंपीटेंसी होती है। आप इंजीनियर नहीं, देश के भावी निर्माता हैं। भगवान बिरसा मुंडा और महात्मा गांधी अगर साधारण जिंदगी चुनते तो शायद यह देश आजाद नहीं होता। देश के नेतृत्व की चुनौतियों को स्वीकार करने को तैयार रहें। भारत को दुनिया की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार करना होगा।
शिक्षा का कोई अंत नहीं होता
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा का कोई अंत नहीं होता। यह तो एक पड़ाव है। यहां के नये छात्रों से मिलने का मौका मिला। गुलामी काल में यह दूसरा तकनीकी शिक्षण संस्थान था। यह शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। कोयला की राजधानी भले ही धनबाद को कहा जाता है, लेकिन आज सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन ओडिशा में हो रहा है। कोयला से उनका नाता बचपन से रहा है। पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए भी आईआईटी आईएसएम से वे जुड़े रहे।
खुद को वट वृक्ष की तरह करें विकसित
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि आज परिस्थितियां सहज नहीं हैं. असहजता के बीच अपने को वट वृक्ष की तरह विकसित करना होगा।देश और दुनिया के लिए कुछ करना होगा। आज सभी अपने अधिकार को लेकर चिंतित हैं, लेकिन जिम्मेदारी लेने को लेकर नहीं। यह जिम्मेदारी लेने का समय है, ताकि दूसरे के अधिकारों की भी रक्षा हो। अलग सोचने के लिए आपको साहसी बनना होगा। आपके मन में जो इच्छा है उसे पूरा करो।
आईआईटी आईएसम का धनबाद में होना गर्व की बात: सुदिव्य सोनू
झारखंड के नगर विकास एवं उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य सोनू ने कहा है कि झारखंड की इस धरती ने देश के उत्थान के लिए काफी कुछ किया है। शिक्षा प्रेमी के सोच को सलाम जिन्होंने 1926 को आइएसएम जैसी संस्थान का बीजोरोपण किया। व्यक्ति नश्वर है। संस्थान चलता रहता है। धनबाद की धरती पर इस संस्थान का होना गर्व की बात। आइआइटी-आइएसएम के साथ मिल कर यहां के स्टूडेंट्स को एक्सपोजर देने के लिए तैयार किया है। यह प्रीमियम इंस्टीट्यूट है। झारखंड के स्टूडेंट्स के हित में सहयोग करे आई्आईटीआईएसएम। आनेवाला समय तकनीक का है। एआइ का एक्सपोजर यहां के साथ-साथ झराखंड के बच्चों को भी मिले।
IIT-ISM ने दुनिया भर में बनायी पहचान, शिक्षा के साथ देशहित में शोध भी जारी: चेयरमैन
आईआईटी आईएसएम के बोर्ड आफ गवर्नर प्रो. प्रेम व्रत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आइआइटी-आइएसएम आज हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है। न केवल भारत बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में भी आइआइटी-आइएसएम ने अपनी अलग पहचान बनायी है। छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ देश हित में कई शोध भी कर रहा है।
81 परसेंट स्टूडेंट्स का हुआ प्लेसमेंट: डायरेक्टर
आइआइटी आइएसएम के डायरेक्टर प्रो सुकुमार मिश्रा ने दीक्षांत समारोह में इंस्टीच्युट का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। उन्होंने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में विभिन्न कोर्स के कुल 1880 स्टूडेंट्स को आज डिग्री दी जा रही है। प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल सहित कुल 94 मेडल प्रदान किये गये। आइआइटी-आइएसएम का कैंपस प्लेटसमेंट लगातार बेहतर हो रहा है। पिछली बार 81 परसेंट स्टूडेंट्स का कैंपस प्लेटसमेंट हुआ था।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आईआईटी आईएसएम धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में भाग लेने रांची से भारतीय वायु सेना के विमान से बरवाअड्डा एयरपोर्ट पहुंची। बरवाअड्डा एयरपोर्ट पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान, गवर्नर संतोष गंगवार, मंत्री सुदिव्य कुमार, जिला परिषद अध्यक्ष शारदा देवी,आईजी अखिलेश झा, क्रांति कुमार गढ़ीदेशी, आयुक्त पवन कुमार, डीसी आदित्य रंजन व एसएसपी प्रभात कुमार ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। समारोह में एमपी ढुलू महतो, एमएलए राज सिन्हा, शत्रुघ्न महतो, रागिनी सिंह, आईआईटी आईएसएम के चेयरमैन प्रेम बराट व डिप्टी डायरेक्टर धीरज कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
बरवाअड्डा एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति के स्वागत
समारोह से पहले धनबाद शहर में राष्ट्रपति के स्वागत की तैयारिया ज़ोरों पर थीं। बरवाअड्डा एयरस्ट्रिप से आई्आईटीआईएसएम तक के रोड को झारखंड की सांस्कृतिक विविधता के रंगों से सजाया गया। जिसमें शहरी विकास, स्वच्छता, यातायात सुरक्षा और शिक्षा जागरूकता को दर्शाने वाले थीमैटिक पेंटिंग्स शामिल थे। जिला प्रशासन ने रास्तों की चौड़ाई बढ़ाने, अतिक्रमण हटाने और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए व्यापक तैयारियां कीं, गयी थी ताकि राष्ट्रपति का स्वागत और यात्रा सहज रहे।