Bihar Elections 2025: ‘धोखा और नाराजगी की कहानी’: बिहार चुनाव से JMM का नाम वापस, हेमंत सोरेन का बड़ा फैसला!

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी ने राजद और कांग्रेस पर गठबंधन धर्म तोड़ने और धोखा देने का आरोप लगाया है। क्या इसका असर झारखंड की राजनीति पर भी पड़ेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Bihar Elections 2025: ‘धोखा और नाराजगी की कहानी’: बिहार चुनाव से JMM का नाम वापस, हेमंत सोरेन का बड़ा फैसला!
नाराजगी और आरोपों के सिलसिले।
  • JMM ने बिहार चुनाव से खुद को किया अलग
  •  कहा- राजद और कांग्रेस ने दिया धोखा

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी ने बिहार चुनाव से नाम वापस ले लिया है। पार्टी ने राजद (RJD) और कांग्रेस पर गठबंधन धर्म न निभाने और धोखा देने का आरोप लगाया है।
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JMM क्यों हटी बिहार चुनाव से पीछे?
नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, “बिहार चुनाव में JMM के साथ राजनीतिक चालबाजी की गई। महागठबंधन के नेताओं ने हमारे साथ न्याय नहीं किया। इसलिए JMM अब बिहार में किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी।”उन्होंने कहा कि झामुमो को बिहार में पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी थी, लेकिन आखिरी वक्त पर पार्टी को महागठबंधन से बाहर कर दिया गया। इस पर JMM बेहद नाराज है।
राजद और कांग्रेस पर गंभीर आरोप
JMM नेताओं ने कहा कि 2015 में झामुमो ने राजद की मदद की थी, लेकिन 2020 और 2025 दोनों चुनावों में पार्टी के साथ गठबंधन धर्म का उल्लंघन हुआ।
सुदिव्य कुमार ने कहा –“राजद जितना दोषी है, उतनी ही जिम्मेदार कांग्रेस भी है, क्योंकि इस पूरे मामले में कांग्रेस ने चुप्पी साध ली।”
JMM ने पहले 6 सीटों पर अकेले लड़ने का किया था ऐलान
कुछ दिन पहले JMM ने जमुई, चकाई, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती और कटोरिया सीटों पर अकेले लड़ने की घोषणा की थी। लेकिन अब पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों को वापस लेने का फैसला किया है। पार्टी महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि राजद और कांग्रेस ने “अंतिम समय तक गुमराह किया”, जिसके बाद यह कदम उठाना पड़ा।
 झारखंड की राजनीति पर भी असर संभव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में JMM के इस फैसले का असर झारखंड की सियासत पर भी दिख सकता है। JMM ने संकेत दिया है कि वह महागठबंधन की समीक्षा करेगी और आगे का निर्णय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लेंगे।
क्या बोले झारखंड के मंत्री?
सुदिव्य कुमार ने कहा —“हमने झारखंड में राजद और कांग्रेस को मंत्री पद देकर सम्मान दिया, लेकिन बिहार में हमारे कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान के साथ सौदा किया गया। झामुमो समय आने पर इसका जवाब देगा।”
तेजस्वी यादव को राहत, पर गठबंधन में दरार कायम
JMM के पीछे हटने से तेजस्वी यादव और महागठबंधन को राहत जरूर मिली है, क्योंकि सीट बंटवारे का विवाद खत्म हो गया। लेकिन झारखंड में कांग्रेस और RJD के साथ रिश्ते में अब तनाव और अविश्वास बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कर्ष
JMM का बिहार चुनाव से हटना सिर्फ एक चुनावी फैसला नहीं, बल्कि गठबंधन की राजनीति में दरार का संकेत है। आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।