नहीं रहे 'अंग्रेजों के जमाने के जेलर' असरानी, 84 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
बॉलीवुड के दिग्गज कॉमेडियन और अभिनेता असरानी (Asrani) का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दीवाली के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली। ‘शोले’ के ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’ वाले रोल से असरानी ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई थी। जानिए कैसे जयपुर से मुंबई भागकर उन्होंने बनाई कॉमेडी की बादशाहत।

मुंबई। बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और कॉमेडी किंग असरानी (Asrani) का सोमवार को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दीवाली के दिन यानी 20 अक्टूबर की शाम लगभग बजे मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिनों से फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे और पांच दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। असरानी के निधन की खबर से पूरे फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गय है।
यह भी पढ़ें:Bihar Election 2025: RJD ने 143 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी, तेजस्वी फिर राघोपुर से मैदान में
जयपुर से मुंबई तक का सफर
असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम गोवर्धन असरानी था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका झुकाव फिल्मों की ओर हुआ और वे पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में दाखिला लेकर अभिनय की बारीकियां सीखने लगे। यहीं पर उनकी मुलाकात ऋषिकेश मुखर्जी और गुलजार जैसे दिग्गजों से हुई, जिन्होंने असरानी के टैलेंट को पहचाना और उन्हें फिल्मों में मौका दिया।
फिल्मी करियर और शोले का जादू
असरानी ने 1967 में ‘हरे कांच की चूड़ियां’ फिल्म से डेब्यू किया, लेकिन पहचान मिली ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘गुड्डी’ से। इसके बाद उन्होंने ‘शोर’, ‘बावर्ची’, ‘सीता और गीता’, ‘नमक हराम’, ‘अचानक’ जैसी फिल्मों में यादगार रोल निभाए। लेकिन 1975 में आई ‘शोले’ ने असरानी को सिनेमा इतिहास में अमर कर दिया। उनका डायलॉग —
“हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं…”
आज भी दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान ले आता है।
निर्देशक के रूप में भी आजमाया हाथ
असरानी ने सिर्फ एक्टिंग ही नहीं, बल्कि डायरेक्शन में भी अपना हुनर दिखाया। उन्होंने ‘चला मुरारी हीरो बनने’, ‘हम नहीं सुधरेंगे’, ‘सलाम मेमसाब’, ‘दिल ही तो है’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
पांच दशकों का शानदार करियर
करीब 300 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम कर चुके असरानी ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से हर दिल जीत लिया। ‘भूल-भुलैया’, ‘ढोल’, ‘धमाल’ जैसी नई पीढ़ी की फिल्मों में भी उनकी मौजूदगी ने लोगों को हंसाया। आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो उनके द्वारा निभाए गए किरदार और उनके डायलॉग्स सिनेप्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।असरानी नहीं रहे, लेकिन ‘अंग्रेजों के जमाने का जेलर’ सदा हंसी की यादों में अमर रहेगा।