झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: शहीद SP अमरजीत बलिहार के हत्यारों की फांसी अब उम्रकैद में बदली

झारखंड हाईकोर्ट ने शहीद SP अमरजीत बलिहार हत्याकांड में दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। तीसरे जज ने कहा—दोष सिद्ध होने पर भी फांसी बरकरार रखना कानूनन संभव नहीं। पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: शहीद SP अमरजीत बलिहार के हत्यारों की फांसी अब उम्रकैद में बदली
झारखंड हाईकोर्ट (फाइल फोटो)।
  •  हाईकोर्ट ने कहा—‘फांसी बरकरार रखना कानूनन संभव नहीं’

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने 2013 में हुए प्रख्यात नक्सली हमले में शहीद हुए दुमका के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) अमरजीत बलिहार और पांच अन्य पुलिसकर्मियों की हत्या के मामलों में दोषियों को दी गई फांसी की सजा को बदलकर उम्रकैद में कर दिया है।

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यह फैसला हाईकोर्ट की विशेष डिवीजन बेंच के जजों की अलग-अलग राय के कारण तीसरे जज की अदालत में भेजा गया था। जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि दोष सिद्ध होने के बावजूद इस मामले में मौत की सजा बरकरार रखना कानूनी रूप से संभव नहीं है।

 क्या था पूरा मामला?

दुमका के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार पाकुड़ की ओर एक सशस्त्र एस्कॉर्ट टीम के साथ जा रहे थे। रास्ते में घने जंगल में उग्रवादियों ने अचानक पुलिस दल पर भीषण फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में— SP अमरजीत बलिहार सहित 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गये। कई जवान गंभीर रूप से घायल हुए। जांच में अपीलकर्ताओं की संलिप्तता सामने आई, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें कई गंभीर धाराओं में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

 जजों की अलग राय, इसलिए मामला पहुंचा तीसरे जज के पास

डिवीजन बेंच के— जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व  जस्टिस संजय प्रसाद दोष निर्धारित करने के मुद्दे पर एकमत नहीं थे। इसलिए मामला तीसरे जज जस्टिस गौतम कुमार चौधरी को भेजा गया। उन्होंने माना— घायल पुलिसकर्मियों की सीधी चश्मदीद गवाही ने यह स्थापित किया कि आरोपी हमले में शामिल थे। इसलिए दोषसिद्धि बरकरार रखी गई। परंतु सजा के मामले में उन्होंने कहा— जब दो जज दोष निर्धारण पर सहमत नहीं थे, तो मौत की सजा को बरकरार रखना कानूनन उचित नहीं। इस आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया।

 कोर्ट की सख्त टिप्पणी: ‘यह हमला सरकार की संप्रभु शक्ति पर हमला था’

जस्टिस चौधरी ने अपने फैसले में कहा— यह हमला सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। इसमें राज्य की संप्रभु शक्ति पर सीधी चोट की गई। एसपी सहित 6 जवानों की हत्या सिर्फ पुलिस बल नहीं बल्कि राज्य के शासन और कानून व्यवस्था को चुनौती थी। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि हथियारबंद समूहों द्वारा इस तरह राज्य की कानून व्यवस्था को चुनौती दी जाती रही, तो कानून के शासन की नींव हिल जाएगी।