नहाय खाय के साथ सूयोर्पासना का महापर्व चैती छठ शुरू
लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ 16 अप्रैल शुक्रवार से शुरू हो गया।सूयोर्पासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए कल नहाय खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया।
धनबाद। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ 16 अप्रैल शुक्रवार से शुरू हो गया।सूयोर्पासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए कल नहाय खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया।
महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूयार्स्त होने पर पूजा करते हैं। इसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं। जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और पकवान (ठेकुआ) से अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भाष्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है। इसके बाद व्रती अन्न ग्रहण करते हैं।
परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है। छठ पर्व में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष भी सरकार और प्रशासन ने घाटों तलाबों में छठ अर्घ्य नहीं देने की हिदायत छठव्रतियों को दी है। लोगों से घर पर ही छठ व्रत मनाने की अपील की है।