उत्तराखंड: कुमाऊं में भारी बारिश से तबाही, 40 की मौत, नौ लापता, रोड तक पहुंचा नैनी झील का पानी

उत्तराखंड में भारी बारिश के दौरान हुए भूस्खलन की घटनाओं में कुमाउं के छह जिलों में 40 लोगों की मौत हो गई। नैनीताल जिले में ही 29 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में 14 उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर शामिल हैं। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक में नौ मजदूर घर में ही जिंदा दफन हो गये। जबकि, झुतिया गांव में ही एक मकान मलबे में दबने से दंपति की मौत हो गई, जबकि उनका बेटा अभी लापता है। दोषापानी में पांच मजदूरों की दीवार के नीचे दबने से मौत हो गई।

उत्तराखंड: कुमाऊं में भारी बारिश से तबाही, 40 की मौत, नौ लापता, रोड तक पहुंचा नैनी झील का पानी
  •  छह सौ लोगों को बचाया, हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू

देहरादुन। उत्तराखंड में भारी बारिश के दौरान हुए भूस्खलन की घटनाओं में कुमाउं के छह जिलों में 40 लोगों की मौत हो गई। नैनीताल जिले में ही 29 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में 14 उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर शामिल हैं। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक में नौ मजदूर घर में ही जिंदा दफन हो गये। जबकि, झुतिया गांव में ही एक मकान मलबे में दबने से दंपति की मौत हो गई, जबकि उनका बेटा अभी लापता है। दोषापानी में पांच मजदूरों की दीवार के नीचे दबने से मौत हो गई।

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नैनीताल जिले में ही क्वारब में दो, कैंची धाम के पास दो, बोहराकोट में दो और ज्योलिकोट में एक की मौत हुई। अल्मोड़ा में छह लोगों की मलबे में दबने से मौत हुई है। चंपावत में तीन और पिथौरागढ़-बागेश्वर में भी एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। बाजपुर में तेज बहाव में बहने से एक किसान की मौत हो गई। बारिश का पानी घर में घुसने से फैले करंट से किच्छा में यूपी के देवरिया के एमएलए कमलेश शुक्ला के घर में फैला करंट फैलने से बहू की मौत हो गई। नैनीताल के ओखलकांडा और चम्पावत में आठ लोग लापता हैं।

रोड तक पहुंचा नैनी झील का पानी; ट्रेन भी रहीं निरस्त

ऊधम सिंह नगर व चंपावत के मैदानी इलाकों से 6800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। नैनीताल व पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय का सड़क संपर्क पूरी तरह से कट गया है। काली, गोरी, सरयू, गोमती, शारदा, कोसी और गौला नदी उफान पर हैं। नैनी झील के लबालब होने के बाद पहली बार माल रोड व बोट हाउस क्लब तक पानी भर गया है। झील का पानी ओवरफ्लो होकर दुकानों में घुसने लगा तो आर्मी की मदद से दुकानदारों को सुरक्षित निकाला गया। हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर गरमपानी व खैरना क्षेत्र में आपदा को देखते हुए 14-डोगरा रेजीमेंट के जवानों ने खाद्य सामग्री व दवाइयां बांटी हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने भारी बारिश के कारण हुई जानमाल की क्षति पर शोक व्यक्त किया। साथ ही घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की। आपदा को लेकर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से बातचीत कर हर संभव मदद का भरोसा दिया है। केंद्रीय एजेंसियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए।पिथौरागढ़ जिले में भारी बारिश का दौर जारी है। वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हिमपात हो रहा है। गांव कुटी, दांतू, मिलम आदि बर्फ से ढक चुके हैं। इससे मुनस्यारी के मालूपाती और पिथौरागढ़ के क्वीताड़ गांव में दो मकान क्षतिग्रस्त हो चुके है।

चार-चार लाख मुआवजा की घोषणा

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आपदा की वजह से जान गंवाने वालों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा भी की। मंगलवार सुबह सचिवालय में आपदा कंट्रोल रूम का मुआयना कर आपदा की स्थिति की जानकारी ली।

 राहत-बचाव को मिले सेना के तीन हेलीकॉप्टर

सीएम पुष्कर धामी ने बताया कि, सेना के तीन हेलीकॉप्टर को आपदा को लेकर संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है। सभी डीएम से बारिश की वजह से किसानों की फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है।

 17 साल बाद टूटा गंगा का रिकार्ड

उत्तराखंड में ठीक सत्रह साल पहले भी अक्टूबर के महीने में गंगा ने खतरे का निशान पार किया था। सिंचाई विभाग के पूर्व एचओडी इंजीनियर डीपी जुगरान बताते हैं कि यह घटना 19 और 20 अक्टूबर 2003 की है। जुगरान उस दौरान ऋषिकेश बैराज पर अधिशासी अभियंता के रूप में तैनात थे। दीवाली की छुट्टी पर वो अपने घर श्रीनगर जाने की तैयारी कर रहे थे। दीवाली 25 अक्टूबर की थी। किसी को उम्मीद नहीं थी कि अक्टूबर में बारिश होगी। पर, 18-19 अक्टूबर को बारिश शुरू हुई और कुछ ही समय बाद उसने भयावह रूप ले लिया। नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा। जुगरान बताते हैं कि नदियों में इतना पानी बढ़ गया था कि बैराज को संभालना भारी पड़ गया। बैराज के फाटक भी खतरे में आ गए थे। अत्यधिक पानी होने की वजह से बैराज से डिस्चार्ज करना पड़ा। उस वर्ष भी अक्टूबर के महीने में गंगा खतरे के निशान के पार चली गई थी।