ईडी का दावा: दो सीनीयर अफसर कर रहे एजेंसी की जासूसी, जेल से पंकज मिश्रा ने अभिषेक प्रसाद को किया कॉल
ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट को बताया है कि स्टेट के दो सीनीयर अफसरों ने एजेंसी की जांच को बाधित करने के लिए बरहरवा टोल प्लाजा मामले की जांच के दौरान एजेंसी के अफशरों की जासूसी की थी। वहीं पंकज मिश्रा ने ज्यूडिशियल कस्टडी से सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया एडवाइजर अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को फोन कर शंभूनंदन प्रसाद व प्रकाशचंद्र यादव को सबक सिखाने को कहा था। इसके बाद साहिबंगंज पुलिस ने 30 जुलाई को रांची से प्रकाशचंद्र को अरेस्ट कर लिया था।
- कंपलेनेंट को अरेस्ट करने को कहा
रांची। ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट को बताया है कि स्टेट के दो सीनीयर अफसरों ने एजेंसी की जांच को बाधित करने के लिए बरहरवा टोल प्लाजा मामले की जांच के दौरान एजेंसी के अफशरों की जासूसी की थी। वहीं पंकज मिश्रा ने ज्यूडिशियल कस्टडी से सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया एडवाइजर अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को फोन कर शंभूनंदन प्रसाद व प्रकाशचंद्र यादव को सबक सिखाने को कहा था। इसके बाद साहिबंगंज पुलिस ने 30 जुलाई को रांची से प्रकाशचंद्र को अरेस्ट कर लिया था।
यह भी पढ़ें:बिहार: क्रिमिनलों को दौड़ाओ, नहीं तो वो आपको दौड़ायेंगे: DGP आरएस भट्टी
जानकार सोर्सेज का कहना है ईडी ने कोर्ट में दो सीनीयर अफसरों के नाम के उल्लेख किया है, जो नियमित फोन कॉल के जरिए निर्देश दे रहे हैं। ईडी अफसरों पर निगरानी रखने की योजना बना रहे हैं।अफसरों को सीएमओ का लॉ एडवाइजर के साथ-साथ सीएमओ के एक अफसर के रूप में भी जाना जाता है। ईडी ने उनकी बातचीत के फोन ट्रांसक्रिप्ट संलग्न किये हैं। ईडी ने दावा किया है कि सरकार के उक्त लॉ एडवाइजर ने अपने एक विश्वस्त व्यक्ति को पंकज मिश्रा से मिलने के लिए जेल तक भेजा था। यह जानने के लिए कि पुलिस रिमांड अवधि के दौरान ईडी ने उनसे और क्या पूछताछ की थी। विदितहो कि ईडी द्वारा इलिगल माइनिंग स्टोन घोटाले की जांच बरहरवा टोल प्लाजा घोटाला मामले की जांच से निकली है।
पंकज मिश्रा भी जेल से फोन पर दे रहे थे निर्देश
इलिगल माइनिंग मामले में ईडी द्वारा अरेस्ट किये गये पंकज मिश्रा भी जेल से फोन पर निर्देश दे रहे थे कि लोगों को उनकी अरेस्ट का विरोध करने के लिए उकसाया जाए। ऐसे ही एक फोन कॉल में पंकज मिश्रा ने बरहरवा में बंद और पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन करने के निर्देश दिए। सोर्सेज के अनुसार ईडी की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इस मामले की जांच को बाधित करने के लिए हाइलेवल प्रयास किय गये। ईडी द्वारा हलफनामे के बाद इस मामले की सुनवाई 22 दिसंबर को जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की बेंच में होगी। कोर्ट ने छह दिसंबर दिसंबर को अपनी पिछली सुनवाई में सीबीआई और ईडी को इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह आदेश शिकायतकर्ता शंभू नंदन द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया था, जिसमें पुलिस पर मिनिस्टर आलमगीर आलम और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को बचाने का आरोप लगाया गया था।
पंकज मिश्रा व अभिषेक प्रसाद नियमित फोन पर संपर्क में
ईडी का दावा है कि पंकज मिश्रा व अभिषेक प्रसाद नियमित फोन पर संपर्क में थे। पंकज मिश्रा ने फोन कर अभिषेक प्रसाद को कहा कि कंपलेनेंट को अरेस्ट करें। इस पर अभिषेक प्रसाद ने कुछ समय देने को कहा था। फोन कॉल से पता चलता है कि पंकज मिश्रा शंभूनंदन कुमार व प्रकाश चंद्र यादव के काफी नाराज थे। उनकी शिकायत को अपनी समस्याओं के लिए जिम्मवार ठहराया था। ईडी ने पंकज मिश्रा, अभिषेक प्रसाद व एक लॉ एडवाइजर के फोन कॉल के संबंध पुख्ता एवीडेंस इकट्ठा करने का दावा किया है। ईडी का दावा है कि इन तीनों ने इलिगल स्टोन माइनिंग की जांच में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। ईडी की ओर से हाई कोर्ट में डिटेल रिपोर्ट सौंपी गयी है। हाई कोर्ट बरहरवा टॉल मामले की सीबीआइ जांच करने वाली शंभूनंदन प्रसाद की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए डीएसपी
सोर्सेज ने कहा कि ईडी कोर्ट में बतायेगी कि कैसे साहिबगंज पुलिस ने मिनिस्टर व पंकज मिश्रा को क्लीन चिट देने के एकमात्र उद्देश्य से जल्दबाजी में अपनी जांच की। हालांकि, ईडी डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा का बयान दर्ज नहीं कर सकी है। डीएसपी रिकॉर्ड समय में इस मामले की सुपरविजन की थी। एफआइआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर सुपरविजन दे दिया था। दो समन के बावजूद डीएसपी राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का हवाला देते हुए ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए।
ईडी के शपथ पत्र से राजनीति गरमाया, राष्ट्रपति शासन की मांग
ईडी द्वारा कोर्ट में दायर किए गए शपथ पत्र में सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषएक प्रसाद का नाम आने की खबर पर राजनीति शुरु हो हो गयी है। बीजेपी लीडर एक्स सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस राज्य में पहले टेंडर और ठेका को मैनेज किया जा रहा था। अब केस को मैनेज किया जा रहा है। इन सब केपीछे सीएम के प्रेस एडवाइजर का हाथ है। स्टेट में कानून नाम की चीज ही नहीं बची है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए।