देश का पहले विजुअली चैलेंज्ड डीसी बने IAS राजेश सिंह, बोकारो में पहली पोस्टिंग
पहली बार दृष्टिबाधित आइएएस अफसर को जिले का डीसी बनाया गया है। दृष्टिबाधित आइएएस राजेश सिंह को पहली बार बोकारो जिले के डीसी बने हैं।
- लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला था आइएसए कैडर
रांची। विजुअली चैलेंज्ड IAS अफसर राजेश सिंह को बोकारो का नया डीसी बनाया गया है। यह गौरव हासिल करने वाले वह देश के पहले IAS अफसर हैं। इसके पहले वर्ष 2019 में 2018 बैच के विजुअली चैलेंज्ड IAS अफसर प्रांजल पाटिल को केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम का सब कलेक्टर बनाया गया था। राजेश ने इनसे एक कदम लंबी छलांग लगाते हुए जिले का मुखिया बनने तक का सफर तय किया है। इससे पहले राजेश सिंह उच्च शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे।
बिहार के रहने वाले हैें आइएएस राजेश सिंह
विजुअली चैलेंज्ड राजेश कुमार सिंह बिहार के पटना के धनरूआ के रहने वाले हैं। बचपन में ही क्रिकेट खेलते के दौरान हुए एक हादसे में राजेश के आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू से पढ़ाई की। राजेश सिंह ने वर्ष 2007 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। देश के पहले नेत्रहीन आईएएस बने। विजुअली चैलेंज्ड होने के कारण उनकी नियुक्ति का विरोध किया गया।आइएएस बनने के बाद भी तमाम अड़चनें आयी लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने आईएएस बनने में सफलता हासिल की। लेकिन उनकी नियुक्ति लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2011 में हो पाई।
आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत
राजेश सिंह की तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी डॉ. उपेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। उपेंद्र सेंट स्टीफंस कॉलेज मे पढ़ाती थीं। उन्होंने राजेश को डॉ. मनमोहन सिंह से मिलवाया था। पीएम से मिलने के बाद राजेश सिंह सुप्रीम कोर्ट गये। सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई तत्कालीन सीजे अल्तमस कबीर और जस्टिस अभिजीत पटनायक की बेंच ने की। कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट को राजेश सिंह की नियुक्ति करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फैसले में यह टिप्पणी भी की कि आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत होती है। गवर्नमेंट ने राजेश सिंह की नियुक्ति की। राजेश सिंह को झारखंड कैडर मिला।