झारखंड: देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने बोकारो डीसी का पदभार ग्रहण किया
देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने बुधवार को समाहरणालय सभाकक्ष में बोकारो डीसी के रुप में पदभार ग्रहण किया। 2007 बैच के आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने निवर्तमान डीसी मुकेश कुमार से चार्ज लिया।
- बोकारो के 32 वें डीसी बने राजेश कुमार सिंह ने कहा-सीएम हेमंत सोरेन तथा चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह के उम्मीदों पर खरा उतरूंगा
- बोकारो जिला के विकास में हर संभव प्रयास करूंगा जिला वासियों के समस्याओं का समाधान त्वरित हो इस दिशा में लगातार कार्य करूंगा
बोकारो। देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने बुधवार को समाहरणालय सभाकक्ष में बोकारो डीसी के रुप में पदभार ग्रहण किया। 2007 बैच के आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने निवर्तमान डीसी मुकेश कुमार से चार्ज लिया।
बोकारो डीसी का चार्ज लेने के बाद राजेश कुमार सिंह ने कहा कि पूरे देश के पटल पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन एवं चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह ने पहली बार किसी विजुअली चैलेंज्ड अफसर को जिले की कमान सौंपी है। मैं माननीय सीएम तथा चीफ सेकरेटरी का आभार प्रकट करते हुए उन्हें यह विश्वास दिलाता हूं कि मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा।बोकारो जिला के विकास में हरसंभव प्रयास करूंगा।
हौसले बुलंद हो तो विजुअली चैलेंज्ड हो ना अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है: डीसी
डीसी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि अगर आप के हौसले मजबूत हैं तथा लक्ष्य निर्धारित है तो विजुअली चैलेंज्ड होना कोई अभिशाप नहीं वरदान है। भारत में डायवर्सिटी की एक अलग पहचान है असमानता के बावजूद भी जो इस कसौटी पर बेहतर तरीके से मुकाम हासिल करते हैं वह विशेष कहलाते हैं। मुझे विजुअली चैलेंज्ड कमजोरी के रूप में नहीं देखती बल्कि यह मुझे अन्य लोगों से भिन्न बनाती है ताकि मैं एक समान सभी को समान अधिकार दिला सकूं। लक्ष्य निर्धारण करते वक्त मुझे किसी का चेहरा नहीं दिखाई देता बल्कि मैं लक्ष्य को लेकर ही चलता हूं आने वाले दिनों में मैं बोकारो जिला के विकास का लक्ष्य लेकर चलूंगा तथा बोकारो वासियों को सरकारी योजनाओं से हर संभव सुविधा प्रदान करने की दिशा में कार्य करूंगा।
डीसी का चार्ज सौंपने के बाद मुकेश कुमार ने कहा की सेवा के दौरान अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में हम अपने सेवा के दौरान अधिक से अधिक लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करते हैं। आने वाले दिनों में बोकारो के नये डीसी भी उसी सेवा तथा निष्ठा भाव से बोकारो वासियों की सेवा करेंगे जिस सेवा भावना से मैंने अब तक किया है।डीसी के पदभार ग्रहण करने के दौरान डीडीसी, एसी एसडीएम चास, एसडीएम तेनुघाट-बेरमो, जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी, उप निर्वाचन पदाधिकारी समेत जिला स्तर के सभी पदाधिकारियों कर्मी उपस्थित थे।
देश का पहले विजुअली चैलेंज्ड डीसी बने IAS राजेश सिंह
देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड IAS अफसर राजेश सिंह को बोकारो का नया डीसी बनाया गया है। यह गौरव हासिल करने वाले वह देश के पहले IAS अफसर हैं। इसके पहले वर्ष 2019 में 2018 बैच के विजुअली चैलेंज्ड IAS अफसर प्रांजल पाटिल को केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम का सब कलेक्टर बनाया गया था। राजेश ने इनसे एक कदमम लंबी छलांग लगाते हुए जिले का मुखिया बनने तक का सफर तय किया है। इससे पहले राजेश सिंह उच्च शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे।
बिहार के रहने वाले हैं आइएएस राजेश सिंह
विजुअली चैलेंज्ड राजेश कुमार सिंह बिहार के पटना के धनरूआ के रहने वाले हैं। बचपन में ही क्रिकेट खेलते के दौरान हुए एक हादसे में राजेश के आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू से पढ़ाई की। राजेश सिंह ने वर्ष 2007 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। देश के पहले नेत्रहीन आईएएस बने। विजुअली चैलेंज्ड होने के कारण उनकी नियुक्ति का विरोध किया गया।आइएएस बनने के बाद भी तमाम अड़चनें आयी लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने आईएएस बनने में सफलता हासिल की। लेकिन उनकी नियुक्ति लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2011 में हो पाई।
आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत
राजेश सिंह की तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी डॉ. उपेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। उपेंद्र सेंट स्टीफंस कॉलेज मे पढ़ाती थीं। उन्होंने राजेश को डॉ. मनमोहन सिंह से मिलवाया था। पीएम से मिलने के बाद राजेश सिंह सुप्रीम कोर्ट गये। सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई तत्कालीन सीजे अल्तमस कबीर और जस्टिस अभिजीत पटनायक की बेंच ने की। कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट को राजेश सिंह की नियुक्ति करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फैसले में यह टिप्पणी भी की कि आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत होती है। गवर्नमेंट ने राजेश सिंह की नियुक्ति की। राजेश सिंह को झारखंड कैडर मिला।