झारखंड: सरकार के चहेते हैं दुमका के DSP नूर मुस्तफा, DIG ने भी की अनेदखी: बाबूलाल मरांडी
झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हर कोई जानता है कि डीएसपी नूर मुस्तफा सरकार के चहेते हैं। तीन माह पहले एसपी ने कुछ मामले में डीआइजी को पत्र लिखकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी, इसके बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
दुमका। झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हर कोई जानता है कि डीएसपी नूर मुस्तफा सरकार के चहेते हैं। तीन माह पहले एसपी ने कुछ मामले में डीआइजी को पत्र लिखकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी, इसके बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
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बाबूलाल मरांडी ने दुमका सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एसडीपीओ नुर मुस्तफा शिकारीपाड़ा में इलिगल माइनिंग में एक ट्रक से प्रतिमाह 95 हजार रुपया लेते हैं, यह पैसा कहां जाता है? उन्होंने कहा कि दुमका एसपी ने इलिगल माइनिंग रोकने में रुचि नहीं दिखाने और कोल माइनिंग व ट्रांसपोर्टिंग कार्य में लिप्त अभियुक्तों के खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन देर से समर्पित करने के लिए इसी साल 20 मई को डीएसपी के खिलाफ डीआइजी को पत्र लिखा था। लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि डीएसपी ने अंकिता के मर्डर करने वालों को बचाने के लिए प्रयास किया था। पुलिस जब किसी को पकड़ती है तो उसकी सारी हेकड़ी निकल जाती है, लेकिन जिस समय अंकिता को जलाने वाला शाहरुख हुसैन अरेस्ट कर जेल भेजा जा रहा था, उसके चेहरे की मुस्कान देखने लायक थी। उसे इस बात का पूरा विश्वास था कि ऊपर बैठे आका उसे कुछ होने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि पुलिस व गवर्नमेंट ने अंकिता के इलाज में संवेदनशीलता नहीं दिखाई। वह चाहती तो रांची दंगा में पुलिस की गोली से घायल नदीम की तरह अंकिता को भी एयरलिफ्ट करा सकती थी। रिम्स की हालत किसी से छुपी नहीं है। उसे 24 अगस्त की सुबह चार बजे रिम्स में भर्ती कराया। यहां नौ बजे से पहले कोई डाक्टर नहीं आता है। कहा कि जिस तरह से अंकिता की हत्या में शामिल दो आरोपित जेल में हैं, उसी तरह से डीएसपी पर 120 बी का केस कर जेल भेजने पर ही अंकिता की आत्मा को शांति मिलेगी। शिकारीपाड़ा में पश्चिम बंगाल के एपेल शेख की इलिगल माइंस में एक मजदूर की मौत हो गई। डीएसपी ही उस मामले को देख रहे हैं, आज तक एपेल की अरेस्टिंग नहीं हुई। डीएसपी जानते हैं कि अगर उसकी गिरफ्तारी हुई तो वह उनका सारा काला चिटठा खोल देगा।
खुद को आदिवासी हितैषी बताना बंद करें हेमंत
बाबूलाल ने कहा कि जब भी कोई गड़बड़ी सामने आती है तो सीएम आदिवासी कार्ड खेलते हैं। कहते हैं कि बीजेपी सब करा रही है। आदिवासियों की भावना से खेलते हैं, जबकि उनके 32 माह के कार्यकाल में आदिवासियों पर ही सबसे अत्याचार हुआ है। उन्होंने साहिबगंज की महिला सब इंस्पेक्टर रूपा तिर्की, हिरणपुर थाने में मंत्री हांसदा की पिटाई कर हत्या, तालझारी में देबू तूरी की पुलिस स्टेशन में तीन दिन रखकर मर्डर व रांची में गो तस्करी रोकने पर महिला बस इंस्पेक्टर संध्या टोप्पो की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी आदिवासी हैं। फिर कैसे सीएम को अपने को आदिवासी का हितैषी बताते हैं। उन्हें तो नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
हाई कोर्ट ने अंकिता मर्डर केस का स्वत लिया संज्ञान, कहा- झारखंड में कानून का राज नहीं, अपराधियों में डर नहीं
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच ने दुमका की छात्रा अंकिता मर्डर मामले में स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्टेट में कानून का राज नहीं रह गया है। क्रिमिनलों में प्रशासन और कानून का थोड़ा भी डर नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि यह जघन्य अपराध है, लेकिन इस मामले में पुलिस की कार्रवाई भी कई सवाल खड़ा कर रही है। कोर्टने डीएसपी के उस बयान की भी आलोचना की। जिसमें अंकिता हत्याकांड के अभियुक्त को मानसिक रोगी बताया गया था। डीएसपी ने एक इंटरव्यू में अभियुक्त को मानसिक रोगी बताया था।
कोर्ट में जानकारी देने पहुंचे डीजीपी
कोर्ट ने डीजीपी से पीड़िता के परिजनों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पीड़िता के इलाज से संबंधित भी सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूरी रिपोर्ट अगले सप्ताह पेश करने का निर्देश दिया। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और महाधिवक्ता से डीजीपी को कोर्ट में हाजिर करने को कहा। इसके बाद दोपहर 12 बजे के डीजीपी कोर्ट में हाजिर हुए। कोर्ट ने डीजीपी से पूरी घटना की जानकारी मांगी। डीपीजी ने बताया कि इस मामले में कार्रवाई हुई है। मुख्य आरोपित सहित एक अन्य को अरेस्ट किया गया है। फिलहाल जांच जारी है। इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जायेगी। इसकी अनुशंसा सरकार ने भी की है। जांच जारी है। पीड़िता को न्याय दिलाया जायेगा।
पुलिस जांच की हाई कोर्ट करेगा निगरानी
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस इन्विस्टीगेशन की कोर्ट निगरानी करेगा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में लापरवाही बरती गयी है। सरकार ने भी पीड़िता के त्वरित और बेहतर इलाज का प्रयास नहीं किया। पीड़िता की हालत जब गंभीर थी तो उसे बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जानी चाहिए थी। जरूरत पड़ने पर उसे उच्च अस्पताल भी भेजा जाना चाहिए था लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकार को अगली तिथि को इस मामले में पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह बताने को कहा है कि पीड़िता के बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए क्या किया गया।
शाहरुख ने पेट्रोल छिड़कर जिंदा जला दिया
दुमका की 12 वीं की छात्रा अंकिता घर में सो रही थी। शाहरुख खान नामक आरोपी ने एकतरफा प्यार में 24 अगस्त को पेट्रोल छि़ड़क कर अंकिता की बॉडी में आग लगा दी थी। वह अंकिता के पीछे पड़ा था, लेकिन अंकिता उससे बात नही करती थी। पेट्रोल से जलाने के बाद अंकिता को दुमका मेडिकल कालेज ले जाया गया था जहां से चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेज दिया था। रिम्स में इलाज के दौरान अंकिता की 28 अगस्त को मौत हो गई।