judge uttam anand murder case : लखन वर्मा व राहुल को आजीवन कारावास , CBI कोर्ट ने सुनायी सजा
धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस में CBI की स्पेशल कोर्ट ने शनिवार छह अगस्त 2022 को अपना फैसला सुनाया। स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट ने मामले के दोनों नेम्ड आरोपी ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा (22) व उसके सहयोगी राहुल वर्मा (21) को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। दोनों को आजीवन जेल में रहना होगा। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर 20-20 हजार व 10-10 का जुर्माना भी लगाया है।
- कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर 20-20 हजार व 10 का जुर्माना भी लगाया
- दोनों आरोपी धारा 302 व 201 के तहत दोषी
- CBI कोर्ट ने पांच माह में सुनाया फैसला
धनबाद। धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस में CBI की स्पेशल कोर्ट ने शनिवार छह अगस्त 2022 को अपना फैसला सुनाया। स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट ने मामले के दोनों नेम्ड आरोपी ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा (22) व उसके सहयोगी राहुल वर्मा (21) को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। दोनों को आजीवन जेल में रहना होगा। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर 20-20 हजार व 10-10 का जुर्माना भी लगाया है।
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इसके पूर्व सजा के बिंदु पर धनबाद सीबीआइ के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट में लगभग 45 मिनट तक सुनवाई चली। इस दौरान सीबीआइ के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि न्यायाधीश जैसे विशिष्ट पद पर बैठे व्यक्ति की हत्या विरल से विरलतम (रेयर ऑफ द रेयरेस्ट) प्रकृति के अपराध की श्रेणी में आता है। जिंदल ने इस बाबत सु्प्रीम कोर्ट द्वारा बच्चन सिंह स्टेट ऑफ पंजाब, धनंजय चटर्जी बनाम बंगाल राज्य में पारित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया। दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को सजा-ए-मौत देने की मांग की और कहा कि मानव जीवन के मूल्य का कोई महत्व इनके लिए नहीं है। दोनों आपराधिक इतिहास के लोग हैं। जज के तीन छोटे बच्चे हैं। वाइफ अब विधवा हो चुकी है। मांग की कि उनके जीवन यापन के लिए उन्हें मुआवजा भी दिलाया जाए।
वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने कहा कि दोनों कम उम्र के लड़के हैं। नशे की हालत में उनसे यह हादसा हुआ है। उनका हत्या का इरादा नहीं था। वह नहीं जानते थे कि जिन्हें उन्होंने टक्कर मारी है, वह जज हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। जवान हैं। गरीब हैं। मां-बाप को देखने वाला कोई नहीं है। लिहाजा अदालत दंडादेश में सहानुभूति पूर्वक विचार करे।दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने तीन बजकर 49 मिनट पर फैसला पढ़ना शुरू किया। तीन बजकर 58 मिनट पर उन्होंने दोनों मुजरिमों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को धारा 302/34 (सामान्य आशय से हत्या) में ताउम्र कैद (जीवित रहने तक) एवं 20-20 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 201 (सामान्य आशय से साक्ष्य छुपाने) के तहत सात वर्ष की कैद एवं 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआइ के पीपी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की बहस
मामले में सीबीआइ की ओर से अभियोजन का संचालन सीबीआइ के स्पेशल क्राइम ब्रांच दिल्ली के विशेष अभियोजक अमित जिंदल कर रहे थे। शनिवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बताया कि वह कोविड-19 से संक्रमित हो गये हैं। इस कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वह इस मामले में बहस करेंगे। लिहाजा अदालत ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस की इजाजत दी।
फैसला से पहले नर्वस थे दोनों मुजरिम
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों मुजरिमों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जज के समक्ष पेश किया गया। पेशी के दौरान दोनों युवक तिलक चंदन लगाकर अदालत के सामने खड़े थे। दोनों के चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी।
28 जुलाई को दिये गये थे दोषी करार
गुरुवार 28 जुलाई 2022 को न्यायाधीश उत्तम आनंद की पुण्यतिथि के दिन धनबाद के सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने दोनों आरोपितों राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को हत्या एवं साक्ष्य छुपाने के आरोप में दोषी करार दिया था। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख निर्धारित की है।
स्पीडी ट्रायल
स्पेशळ कोर्ट ने इस मामले में स्पीडी ट्रायल किया। 22 फरवरी 2022 को आरोप तय होने के बाद मात्र पांच महीने में 58 गवाहों का बयान दर्ज कर लिया। सीबीआइ के क्राइम ब्रांच के स्पेशल पीपी अमित जिंदल ने आरोप पत्र के कुल 169 गवाहों में से 58 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। सीबीआइ ने दावा किया था कि आरोपित लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा ने जानबूझकर जज साहब को टक्कर मारी थी, जिनसे उनकी मौत हुई। वहीं बचाव पक्ष ने इसे महज एक दुर्घटना बताया था।
पांच महीने में 58 गवाहों का बयान दर्ज
कोर्ट ने 26 जुलाई 22 को उभय पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद आज की तारीख फैसले के लिए निर्धारित की थी। धनबाद सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने इस मामले का स्पीडी ट्रायल किया। 22 फरवरी 22 को आरोप तय होने के बाद महज पांच महीने में 58 गवाहों का बयान दर्ज कर लिया। सुनवाई के दौरान सीबीआई के क्राइम ब्रांच के स्पेशल पीपी अमित जींदल ने आरोप पत्र के कुल 169 गवाहों में से 58 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। सीबीआई ने दावा किया था कि आरोपित लखन वर्मा एवं राहुल वर्मा ने जानबूझकर जज साहब को टक्कर मारी जिनसे उनकी मौत हुई। वहीं बचाव पक्ष ने इसे महज एक दुर्घटना बताया था।
मोबाइल छीनने के नियत से जज को टक्कर मारा
सीबीआई ने दावा किया था कि 27 जुलाई 21 को दोनों मोबाइल चोरी करने में कामयाब नहीं हो पाये थे जिस कारण दोनों को अफसोस था इसी कारण दोनों ने यह तय किया था कि आज मोबाइल चोरी कर लेना है इसीलिए सुबह पांच बजे दोनों ऑटो लेकर निकले थे। मोबाइल छीनने के नियत से लखन ने जज साहब को टक्कर मार भाग गये थे ।सीसीटीवी में भी यह घटना कैद हुई थी। घटना का सीसीटीवी फुटेज देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि यह हादसा नहीं है। जज को जानबूझकर धक्का मारा गया।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआइ ने मर्डर के अलावा ऑटो चोरी एवं मोबाइल चोरी की दो अलग एफआइआर भी दर्ज की है।मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने 16 नवंबर 2021 को उपरोक्त धाराओं में संज्ञान लिया। सीबीआइ ने चार्जशीट में 169 लोगों को गवाह बनाया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी।सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी। दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी गयी।