Mann Ki Baat:किसानों की मजबूती ही आत्मनिर्भर भारत का आधार: पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 69वें संस्करण में देश को संबोधित किया। हर महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण होता है। पीएम ने एक बार फिर कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने लोगों से दो गज की दूरी के नियम का पालन करने का आग्रह किया।
- कृषि बिलों से किसानों को कैसे और कितना फायदा होगा मोदी ने समझाया
- एपीएमसी ऐक्ट में बदलाव से किसानों को फायदा
- कई राज्यों के किसानों का उदाहरण देते हुए कुछ किसानों के अनुभव भी सुनाए
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 69वें संस्करण में देश को संबोधित किया। हर महीने के आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे मन की बात कार्यक्रम का प्रसारण होता है। पीएम ने एक बार फिर कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने लोगों से दो गज की दूरी के नियम का पालन करने का आग्रह किया।
पीएम ने कहा कि कोरोना के काल में पूरी दुनिया परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। इस संकट ने परिवारों को जोड़ने का काम किया है। कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, मास्क अवश्य रखें, फेस कवर के बिना बाहर ना जाएं। हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं।उन्होंने कहा कि देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।
सब्जियों को कहीं पर भी बेचने की ताकत
आज, गांव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इन किसानों के अपने फल- सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी। लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है। देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नीवं मजबूत होगी।
खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी
मोदी ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहां कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है।आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे।आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ।तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer’s producer company limited - ये किसानों का समूह है।अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है।बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है,अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।
कथा की परंपरा
पीएम ने कहा कि मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार। भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी मानव सभ्यता। कहानी की ताकत महसूस करना हो तो किसी मां को अपने बच्चों को खाना खिलाते वक्त कहानियां सुनाते हुए सुनें। हमारे यहां तरह-तरह की लोककथाए सुनाने की परंपरा रही है। कर्नाटक और केरल में कहानियां सुनाने की बहुत रोचक पद्धति है, इसे बिल्लू पाठ कहा जाता है।
नई शिक्षा नीति में खिलौने की चर्चा
मोदी ने नई शिक्षा नीति में खिलौने का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बताया था कि खेल-खेल में सीखना, जहां खिलौने बनते हैं वहां बच्चों का विजिट करना यह सब पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इससे बच्चों की क्षमता और रचनात्मकता बढ़ेगी। उन्होंने स्टार्ट अप से लेकर छोटे, लघु मध्यम, बड़े सभी शामिल हो सकते हैं ताकि सात लाख करोड़ के वैश्विक बाजार मे भारत भी हिस्सा ले सके।उन्होंने मां का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया। पीएम ने कहा कि गांधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो।चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना।
विद्वान और चिन्तक भी थे वीर भगत सिंह
पीएम ने कहा कि कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगत सिंह की जयंती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूं। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे और चिन्तक भी। अपने जीवन की चिंता किए भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।