रेमडेसिविर ब्लैक मार्केटिंग मामला: हाईकोर्ट ने कहा- अब तक की जांच से घोर निराशा, बिना बताये चार्जशीट जमा करने पर नाराजगी

रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन प्रसाद और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बिना हाईकोर्ट को बताएं ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट जमा किये जाने पर नाराजगी जतायी। कोर्ट ने कहा कि यह गलत है।

रेमडेसिविर ब्लैक मार्केटिंग मामला: हाईकोर्ट ने कहा- अब तक की जांच से घोर निराशा, बिना बताये चार्जशीट जमा करने पर नाराजगी

रांची। रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन प्रसाद और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बिना हाईकोर्ट को बताएं ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट जमा किये जाने पर नाराजगी जतायी। कोर्ट ने कहा कि यह गलत है।
कोर्ट में सीआईडी को निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच कर रही एसआईटी समय-समय पर इन्वेस्टिगेशन की पूरी जानकारी देती रहे। सुनवाई के दौरान रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम का नेतृत्व कर रहे एडीजी रेल निल पलटा और सीआईडी के एडीजी प्रशांत कुमार भी कोर्ट में उपस्थित रहे।
स्टेट गवर्नमेंट की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कोर्ट में  पक्ष रखा। हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम जांच प्रक्रिया में नहीं उतर सकते, लेकिन जांच कर रही एजेंसी का यह दायित्व है कि जांच सही हो और सीआरपीसी की प्रकिया के तहत पूरी प्रक्रिया अपनायी जाये।कोर्ट ने कहा कि एसआईटी की अब तक जांच से उन्हें घोर निराशा हुई है। क्योंकि प्रोफेशनल तरीके से जांच होने के लिए ही इस मामले को उन्होंने एसआईटी को सौंपा था। इस मामले में जब एसपी का नाम आया तो उन्हें गवाह बना कर क्लीन चिट क्यों दे दी गई। इस मामले की जांच में ऐसे लूप होल छोड़े जा रहे हैं ताकि लोअर कोर्ट में आरोपियों को इसका लाभ मिल सके।

एसआईटी चीफ अनिल पालटा ने कहा कि इस मामले में शामिल एक निजी अस्पताल और एसपी की भूमिका की जांच की गई है। एसपी ने गलत मंशा से रेमडेसीविर नहीं ली थी। बल्कि वह किसी की जान बचाने के लिए ऐसा किए हैं। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि जब एसपी ने सरकारी सरकारी गाड़ी सहित अन्य संसाधनों का इस्तेमाल किया तो क्यों ना ऐसा समझा जाए कि वे रेमडेसीविर के कालाबाजारी करने वालों को संरक्षित कर रहे थे।अगर यह मान भी लिया जाए कि वह सिर्फ जान बचाने के लिए रेमडेसीविर ली थी। तो उन्हें इसकी जानकारी अपने सीनीयर अफसरों को देनी चाहिए थी। कालाबाजारी के खिलाफ कार्यवाही करना उनका दायित्व बनता था। कोर्ट ने इस मामले में जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगते हुए दो सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम यह कहना नहीं चाहते कि आपलोग एक आरोपी की मदद करना चाहते हैं, लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि कुछ गड़बड़ है। कोर्ट ने सरकार से  एक सप्ताह में जवाब मांगते हुए पूछा था कि आपने कोर्ट को बिना बताए या दिखाए चार्जशीट कैसे फ़ाइल कर दी ? किसी को अप्रूवर बनाने या नहीं बनाने का निर्णय बिना कोर्ट को विश्वास में लिए कैसे ले लिया गया?.
झारखंड में रेमडेसिविर एवं अन्य महत्वपूर्ण दवाइयों की कालाबाजारी की खबरों पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है।इस मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर सुनवाई की जा रही है। झारखंड हाई कोर्ट लगातार इस मामले को मॉनिटरिंग कर रहा है।