यूपी: कानपुर बिकरू के विकास दुबे मामले में एसआईटी ने रिपोर्ट सौंपी, 75 अफसर व स्टाफ खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा

एसआईटी ने बहुचर्चित कानपुर के जघन्य बिकरू विकास दूबे कांड में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में 75 अफसरों व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

यूपी: कानपुर बिकरू के विकास दुबे मामले में एसआईटी ने रिपोर्ट सौंपी, 75 अफसर व स्टाफ खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा
विकास दूबे (फाइल फोटो)।

लखनऊ। एसआईटी ने बहुचर्चित कानपुर के जघन्य बिकरू विकास दूबे कांड में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में 75 अफसरों व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जांच रिपोर्ट में पुलिस की भारी गलती उजागर की गई है। दोषी पाये गये अफसरों व स्टाफ में  से कुछ पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। शेष पर जल्द कार्रवाई होने की संभावना है। 

अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित इस एसआईटी ने लगभग 3200 पेज की डिटेल रिपोर्ट तैयार की है। एसआईटी को कुल नौ प्वाइंट पर जांच करके अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। सोर्सेज का कहना है कि जिन 75 अफसरों व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है, उनमें से 60 परसेंट पुलिस डिपार्टमेंट के ही हैं। शेष 40 परसेंट प्रशासन, राजस्व, खाद्य एवं रसद तथा अन्य डिपार्टमेंट के हैं।

रिपोर्ट में प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों के स्तर से भी कुख्यात विकास दुबे को संरक्षण दिये जाने का आरोप है। दागियों को आर्म्स लाइसेंस, जमीनों की खरीद-फरोख्त और क्रिमिनल गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश न लगाए जाने के कई मामलों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। एसआईटी ने विकास दुबे और उसके गैंग के सहयोगियों की संपत्तियों और उसके सहयोगी रहे गवर्नमेंट अफसर व स्टाफ के बारे भी अहम रिकार्ड जुटाए हैं।विकास दुबे की कॉल डिटेल रिकार्ड से भी कई अहम जानकारियां जुटाई हैं।हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के पुलिस व प्रशासन के कई अधिकारियों व कर्मियों से सीधे कनेक्शन भी सामने आये हैं। बिकरू गांव में पुलिस टीम विकास दुबे को पकड़ने गई थी, लेकिन इसकी सूचना विकास दुबे को पहले ही मिल गई थी। घटना से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं के साथ ही गहन रिकार्ड के साथ स्थल जांच भी की गयी है। 

फ्लैश बैक
गैंगस्टर विकास दुबे व उसके गुर्गों के साथ एनकाउंटर में कानपुर के बिकरू में दो जुलाई को आठ पुलिस कर्मियों के मारे गये थे। विकास दुबे 10 जुलाई को  पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। इसके बाद गवर्नमेंट ने 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें एडीजी एचआर शर्मा और डीआईजी जे. रवीन्द्र गौड़ सदस्य बनाये गये थे।  एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। इसे बाद में बढ़ाकर 30 अगस्त कर दिया गया।हालांकि जांच का दायरा व्यापक होने के कारण एसआईटी के अनुरोध पर फिर समयसीमा बढ़ाई गई। लगभग तीन महीने से भी ज्यादा समय लेने के बाद एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।