घर के अंदर भी जरूरत पड़ने पर मास्क लगाएं, कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में मिलेगी मदद, कोविड प्रोटोकॉल का 100% पालन जरूरी
सेंट्रल गवर्नमेंट ने कहा है कि अब घर के अंदर भी संक्रमण के लक्षणों के मद्देनजर मास्क लगाना जरूरी हो गया है। इससे कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी। सेट्रल हेल्थ मिनिस्टरी ने कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे पेसेंट की निगरानी पर फोकस की जरूरत है। लोगों को चाहिए कि वे कोविड प्रोटोकॉल का 100 फीसद पालन करें और मास्क लगाएं।
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट ने कहा है कि अब घर के अंदर भी संक्रमण के लक्षणों के मद्देनजर मास्क लगाना जरूरी हो गया है। इससे कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी। सेट्रल हेल्थ मिनिस्टरी ने कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे पेसेंट की निगरानी पर फोकस की जरूरत है। लोगों को चाहिए कि वे कोविड प्रोटोकॉल का 100 फीसद पालन करें और मास्क लगाएं।
मिनिस्टरी ने कहा कि रेमडेसिविर को लेकर डर का माहौल न बनाएं। कोरोना से लड़ने के लिए संक्रमण चेन को तोड़ना जरूरी हो गया है।कोरोना संक्रमण को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में हेल्थ मिनिसट्री की ओर से कहा गया कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ना सबसे जरूरी है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि यदि घर में कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो उसे मास्क पहनना ही चाहिए, ताकि घर के अन्य लोग उसके कारण संक्रमित न हों।
उन्होंने कहा, बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि अब समय आ गया है कि हम सामान्य तौर पर भी घर के भीतर मास्क पहनना शुरू करें। हम घर के बाहर मास्क लगाने के बारे में बात करते थे, लेकिन संक्रमण जिस तरह फैल रहा है, उसे देखते हुए यदि हम घर के भीतर किसी के भी पास बैठे हैं, तो भी हम मास्क पहनें। पॉल ने कहा, यदि घर में कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो उस व्यक्ति को और घर में रह रहे अन्य लोगों को भी मास्क लगाना चाहिए तथा संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाना चाहिए।
हॉस्पीटल में एडमिट होना ही एकमात्र विकल्प नहीं
उन्होंने कहा कि यदि घर में इस प्रकार की सुविधा नहीं है, तो लोगों को पृथक-वास केंद्रों में जाना चाहिए। पॉल ने कहा कि हॉस्पीटल में एडमिट होना ही एकमात्र विकल्प नहीं है और ' हॉस्पीटल के बेड जरूरतमंद लोगों के लिए होते हैं। वहीं, एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अस्पताल की सुविधाओं के उपयोग के लिए सामुदायिक भागीदारी अहम है। लोगों में अनावश्यक घबराहट के कारण लाभ के बजाए नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सामान्य ऑक्सीजन स्तर और मामूली लक्षण वाले लोग भी हॉस्पीटल में एडमिट होना चाहते हैं, जिसके कारण वास्तव में जरूरतमंद पेसेंट को हॉस्पीटल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है। उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पा रहा।
मिनिस्टरी द्वारा सोमवार सुबह आठ बजे तक अद्यतन की गई जानकारी के अनुसार, संक्रमण से 2,812 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,95,123 हो गई है। देश में अबतक 14.19 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। 12 राज्यों में 80 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, लद्दाख में 60 साल से ऊपर के लोगों के स्वास्थ्य का प्रदर्शन काफी अच्छा है। हमें कोरोना संक्रमण की चेन तोड़नी होगी और क्लीनिकल मैनेजमेंट पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें वायरस के प्रसार पर पहले नियंत्रण पाना है।
एक व्यक्ति 30 दिनों में कर सकता है 406 लोगों को संक्रमित
सरकार ने कोरोना पर जानकारी देते हुए बताया कि 'अनुसंधान से पता चला है कि यदि कोई शारीरिक दूरी नहीं है, तो एक व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। होम मिनिस्टरी में अतिरिक्त सचिव ने बताया, 'भारत खरीद व किराए दोनों ही आधार पर विदेशों से ऑक्सीजन टैंकर मंगवा रहा है। ऑक्सीजन टैंकरों का परिवहन एक बड़ी चुनौती है। रीयल-टाइम ट्रैकिंग का उपयोग करते हुए, हम ऑक्सीजन टैंकरों के आवागमन की निगरानी कर रहे हैं।'
ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ा
होम मिनिस्टरी के एडिशनल सेक्रेटरी ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन ज्यादा बढ़ा है। हमारी ऑक्सीजन प्रोडक्शन 7,259 मीट्रीक टन है और 24 अप्रैल को 9,103 मीट्रीक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ है।