बिहार: आनंद मोहन शुक्रवार को आयेंगे जेल से बाहर, बेटी की शादी में शामिल होने को मिला 15 दिनों का पेरोल
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में सजा काट रहे एक्स एमपी आनंद मोहन अब शुक्रवार को जेल से बाहर आयेंगे। आनंद मोहन को अपनी पुत्री सुरभि के शुभलग्न एवं मां गीता देवी (97) के बिगड़ रहे स्वास्थ्य के कारण 15 दिनों के पैरोल की सुविधा मिली है।
पटना। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में सजा काट रहे एक्स एमपी आनंद मोहन अब शुक्रवार को जेल से बाहर आयेंगे। कागजी प्रक्रिया पूरी होने के कारण वह बुधवार व गुरुवार को बाग नहीं आ सके। आनंद मोहन को अपनी पुत्री सुरभि के शुभलग्न एवं मां गीता देवी (97) के बिगड़ रहे स्वास्थ्य के कारण 15 दिनों के पैरोल की सुविधा मिली है।
यह भी पढ़ें:विराट कोहली टी 20 वर्ल्ड कप 2022 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बैट्समैन बने, 220 की औसत से बनायें हैं रन
आनंद मोहन वर्ष 2007 से सहरसा मंडल कारा में बंद हैं। लगभग पंद्रह साल से जेल में बंद आनंद मोहन को पहली बार पेरोल मिला है। बुधवार व गुरुवार को जेल गेट, कचहरी और गंगजला स्थित उनके आवास पर समर्थकों की गहमागमी रही। समर्थक इस उम्मीद में थे कि वो जेल से बाहर आएंगे लेकिन देर शाम तक तकनीकी बाधा दूर नहीं के कारण उनकी रिहाई टल गयी । जेल के प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि शाम पांच बजे तक पूरे कागजात जेल प्रशासन का उपलब्ध नहीं करवाया जा सका इसलिए उनकी रिहाई नहीं हो पायी।आनंद मोहन के पुत्र सह शिवहर एमएलए चेतन आनंद ने अपने फेसबुक पेज पर समर्थकों से किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देने का अनुरोध किया। उन्होंने लिखा कि एक्स एमपी के विषय पर उनके आधिकारिक पेज पर दी गयी जानकारी को ही लोग सत्य मानें।
जाने आनंद मोहन को
जेपी के समग्र क्रांति के उभरकर सत्ता के उच्च शिखर तक अपनी पहुंच रखनेवाले एक्स एमपी आनंद मोहन वर्तमान में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास के तहत पिछले 14 वर्ष दस महीने से सहरसा जेल में बंद हैं। सत्रवाद 115/96 में सजा काट रहे आनंद मोहन अपनी पुत्री सुरभि आनंद के शुभलग्न और 97 वर्षीय मां गीता देवी के बिगड़े स्वास्थ्य के कारण 15 दिनों के पैरोल पर बाहर आये हैं।
17 वर्ष की आयु में शुरू किया राजनीतिक जीवन
आनंद मोहन ने मात्र 17 वर्ष की आयु में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। 1974 में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में जुड़ने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। बढ़- चढ़ कर उस आंदोलन में हिस्सा लिया था। जिस कारण उस वक़्त लगे इमरजेंसी में सबसे अधिक दिन दो वर्ष जेल में रहना पड़ा था। वे देशभर में एक निडर और बाहुबली नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे स्टेट के कोर्ट में चल रहे थे।। इसमें प्राय के सभी मामलों में वो बरी हो चुके हैं। जबकि डीएम जीकृष्णैया हत्याकांड में वो सजायाफ्ता हैं।
नेल्सन मंडेला व भगत सिंह हैं आनंद मोहन के आदर्श
भगत सिंह और नेल्सन मंडेला को अपना आदर्श मानने वाले आनंद मोहन हमेशा सत्ता विरोधी रहे हैं। इसके कारण उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण कई बार जेल भी जाना पड़ा है। अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में मैथिली भाषा को अष्टम अनुसूची में शामिल कराने में सांसद के रूप में उनकी भी बड़ी भूमिका मानी जाती है। लोकल लेवल पर महान स्वतंत्रता सेनानी एक्स एमएलए परमेश्वर कुमर के शिष्यवत रहे आनंद मोहन एक्स पीएम चंद्रशेखर के काफी करीबी नेता रहे। पीएम रहते भी चंद्रशेखर उनके घर पंचगछिया आये थे। राजनीतिक विरोध के बावजूद सीएम नीतीश कुमार समेत राजनीतिक दिग्गज उनके पारिवारिक समारोह में शिरकत करते रहे हैं। जेल में भी इनसे विभिन्न दलों के नेताओं के मिलने का सिलसिला चलता रहा है।
पहली बार 1990 में बने थे एमएलए
आनंद मोहन ने 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता लहटन चौधरी को पराजित कर जनता दल के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। आनंद मोहन सिंह अभी 66 वर्ष के हैं। उनका जन्म 28 जनवरी 1954 ई को सहरसा ज़िले के गांव पंचगछिया में हुआ था। उनके दादा राम बहादुर सिंह एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनसे मिलने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उनके घर आये थे।1993 में उन्होंने जब जनता दल ने सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की तो सभी वर्ग के गरीबों को आरक्षण को लाभ देने की मांग पर उन्होंने जनता दल से नाता समाप्त कर बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन किया। वे दो बार शिवहर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने हैं। महिला बिल समेत कई मुद्दे पर संघर्ष के कारण वे संसद ने भी मार्शल आउट कराये गये।
आनंद मोहन की वाइफ लवली आनंद ने लालू प्रसाद यादव समर्थित एक्स सीएम सत्येंद्र नारायण सिंहा की पत्नी किशोरी सिंह को पराजित कर वैशाली से सांसद बनी। बाद में वह नवीनगर से एमएलए बनी। बाढ़ से चुनाव जीतने के बाद भी तत्कालीन सत्ता से मतभेद के कारण उन्होंने उपचुनाव में टिकट को त्यागकर सीट छोड़ दिया। विगत चुनाव में सहरसा विधानसभा से लगभग 85 हजार मत प्राप्त कर भी वह चुनाव हार गई।
तीन बच्चों के पिता हैं आनंद मोहन
आनंद मोहन के तीन बच्चे हैं। ज्येष्ठ पुत्र चेतन आनंद वर्तमान में शिवहर के एमएलए हैं। पुत्री सुरभि आनंद सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट हैं। कनिष्ठ पुत्र अंशुमन आनंद अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
आनंद मोहन का साहित्य से है गहरा नाता
एक राजनेता के साथ-साथ आनंद मोहन एक कवि लेखक भी है। उनकी रचनाएं कैद में आज़ाद कलम, काल कोठरी से, तेरी मेरी कहानी के अलावा आत्मकथा बचपन से पचपन तक काफी चर्चित है। जेल यात्रा के दौरान भी वे कारा की कुव्यवस्था को लेकर अनशन व अन्य आंदोलनों करते रहे हैं। जेल से कोर्ट की पेशी के क्रम में भी वे कई बार विवादों में रहे। लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद उनके समर्थकों की संख्या में कमी नहीं आई। पैरोल पर उनके बाहर आने की खबर से समर्थकों में भारी उत्साह है।
डीएम जी. कृष्णैया मर्डर केस
बिहार में बाहुबलियों की दबंगई 90 के दशक में चरम पर थी। 1994 में पांच दिसंबर की दोपहर में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया एक बैठक में शामिल होने के बाद लौट रहे थे। मुजफ्फरपुर में इसके एक दिन पहले ही पांच दिसंबर को उत्तर बिहार के नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। उत्तर बिहार में भारी रोष था। और हजारों लोग बॉडी के साथ हाइवे पर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच, तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की लाल बत्ती लगी कार नेशनल हाइवे से गुजर रही थी। हाइवे पर मौजूद उग्र भीड़ ने अचानक पथराव शुरू कर दिया।
मैं मुजफ्फरपुर नहीं गोपालगंज का डीएम हूं
घटना के दौरान कार के ड्राइवर और बॉडीगार्ड ने डीएम को बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह असफल रहे। भीड़ डीएम कृष्णैया को खींचकर कार से बाहर ले गई। कार के ड्राइवर और सिक्युरिटी गार्ड चीखते रहे कि वह मुजफ्फरपुर के नहीं बल्कि गोपालगंज के डीएम हैं, लेकिन खबरा गांव के पास पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई। दिनदहाड़े हुए एक पद पर तैनात डीएम की हत्या ने पूरे देश में सनसनी फैला दी। मामले में छोटन शुक्ला के भाई पर आरोप लगा कि उसने डीएम के कनपटी पर गोली भी मारी थी। सियासी गलियारों के साथ प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया।
फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदला
डीएम हत्या मामले में लोअर कोर्ट ने एक्स एमपी और कोसी इलाके के बाहुबली कहे जाने वाले आनंद मोहन के अलावा एक्स मिनिस्टर अखलाक अहमद और अरुण कुमार को 2007 में फांसी की सजा सुनाई। बाद में लोअर कोर्ट के इस फैसले को पटना हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया। इसी मर्डर मामले में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला और दो अन्य को भी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, साल 2008 में साक्ष्यों के अभाव में इन्हें बरी कर दिया गया था लेकिन आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी।
उल्लेखनीय है कि आईएएस जी. कृष्णैया, तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। जी. कृष्णैया 1985 बैच के बिहार कैडर के आइएएस अफसर थे। जब उनकी मर्डर हुई तो वह गोपालगंज के तत्कालीन डीएम थे। आईएएस जी. कृष्णैया की छवि एक ईमानदार और सादगी पसंद अधिकारियों में होती थी। इसके अलावा आईएएस जी. कृष्णैया अपने कामों के चलते लोकप्रिय भी थे। उल्लेखनीय है कि इसी मामले में अदालत ने आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, मुन्ना शुक्ला, शशि शेखर और हरेन्द्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2008 में सबूत के अभाव में इन्हें बरी कर दिया था।