बिहार: पूर्णिया में दो करोड़ की गेको छिपकली जब्त,तंत्र-मंत्र-मेडिसीन में होता यूज, पुलिस ने दो तस्करों को किया अरेस्ट
बिहार के पूर्णिया में पुलिस ने दुलर्भ प्रजाति की दो करोड़ की छिपकली जब्त की किया है। पुलिस ने दो लोगों पश्चिम बंगाल के रहने वाले शेख गरीबुल और मोहन लाल सरकार को अरेस्ट है।दवा दुकान की आड़ में दुर्लभ प्रजाति की छिपकली की तस्करी की जा रही थी। इस छिपकली की इंटरनेशनल मार्केट में काफी ज्यादा कीमत है। डिमांड भी ज्यादा है।
- दवा दुकान की आड़ में हो रही थी तस्करी
- विदेश भेजने की थी तैयारी
पटना। बिहार के पूर्णिया में पुलिस ने दुलर्भ प्रजाति की दो करोड़ की छिपकली जब्त की किया है। पुलिस ने दो लोगों पश्चिम बंगाल के रहने वाले शेख गरीबुल और मोहन लाल सरकार को अरेस्ट है।दवा दुकान की आड़ में दुर्लभ प्रजाति की छिपकली की तस्करी की जा रही थी। इस छिपकली की इंटरनेशनल मार्केट में काफी ज्यादा कीमत है। डिमांड भी ज्यादा है।
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टोके गेको छिपकली को गुड लक और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इससे दवाईयां बनती हैं। पुलिस ने जब्त छिपकली को वन विभाग को सौंप दिया है। पुलिस ने जिले के बायसी बाजार स्थित में ताज मेडिकल में रेड कर टोके गेको प्रजाति की दुर्लभ छिपकली की बरामदगी की है। पुलिस ने कोडिन युक्त कफ सिरफ के कारोबार का भी भंडाफोड किया है।
छिपकिली को नेपाल के रास्ते विदेश भेजने की थी तैयारी
बरामदी छिपकली का इस्तेमाल कई दवाइयों में होता है। यह खासकर पश्चिम बंगाल और केरल के घने जंगलों में पाई जाती हैं। छिपकली को नेपाल के रास्ते विदेश पहुंचाने की फिराक में थे। हालांकि, पुलिस ने नेपाल जाने से पहले ही दबोच लिया है।
ऐसे चलता था गोरखधंधा
बायसी में ताज मेडिकल के नामक दवा की दुकान है। इसमें प्रतिबंधित वन्य जंतुकी तस्करी से लेकर कोडिन युक्त कफ सिरफ का कारोबार चल रहा था। बायसी डीएसपी आदित्य कुमार ने बताया कि दवा दुकान में छिपकली खोजने के दौरान कार्टून में पैक को खोला गया तो 600 बोतल प्रतिबंधित कोडिन युक्त कफ सिरफ भी बरामद किया गया। कफ सिरफ के साथ मोहम्मद जफ्फर,मोहम्मद अरसद आलम और दुकान मालिक मोहम्मद दिलनवाज को अरेस्ट किया गया है। लेकिन दवा दुकानदार फरार चल रहा है।
साउथ-ईस्ट एशिया खासकर चीन में इस प्रजाति टेको गेको (Tokay gecko) की छिपकली को गुड लक और समृद्धि के प्रतीक के तौर पर माना जाता है। इन्हें लेकर कई लोक-कथाएं भी प्रचलित हैं। इन छिपकलियों की स्मगलिंग सबसे ज्यादा दवाइयां बनाने के लिए होती है। ऐसा माना जाता है कि इन छिपकलियों के अंगों से बनी दवाइयां किडनी और फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं। चीन में इन छिपकलियों से मेडीसीनल लीकर बनाई जाती है, जिसे लोग चाव से पीते हैं। इनसे बने तेल को लोग त्वचा पर भी लगाते हैं।
साउथ एशिया में पाई जाती हैं ये छिपकलियां
ये छिपकली एशिया में भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में पाई जाती हैं। इनके अलावा फिलिपींस और इंडोनेशिया में भी ये मिलती है। इस प्रजाति की छिपकली आमतौर पर 35 सेंटीमीटर लंबी और सिलेंडर के आकार की होती है। इसके शरीर का निचला हिस्सा सपाट होता है। - ज्यादातर छिपकलियों की बाहरी त्वचा ग्रे कलर की होती है, जिस पर लाल धब्बे होते हैं। हालांकि, ये वातावरण के हिसाब से अपना रंग बदल भी सकती हैं।