बिहार: न कंपलेनेंट जीवित न आरोपित, नालंदा में जज ने 52 वर्ष पुराने मामले का कर दिया डिस्पोजल
नालंदा एसीजेएम पंचम के पोस्ट पर योगदान देने के एक वीक के अंदर भर के भीतर ही मानवेंद्र मिश्र ने चार से पांच दशक पुराने दो मामलों का डिस्पोजलकर दिया है। एक मामला 1970 और दूसरा 1978 से चल रहा है। कंपलेनेंट और आरोपी दोनों की मौत के बाद इन दोनों मामलों का डिस्पोजल हुआ है। इनमें से एक मामला तो नालंदा जिले के गठन से पहले का है।
बिहारशरीफ। नालंदा एसीजेएम पंचम के पोस्ट पर योगदान देने के एक वीक के अंदर भर के भीतर ही मानवेंद्र मिश्र ने चार से पांच दशक पुराने दो मामलों का डिस्पोजलकर दिया है। एक मामला 1970 और दूसरा 1978 से चल रहा है। कंपलेनेंट और आरोपी दोनों की मौत के बाद इन दोनों मामलों का डिस्पोजल हुआ है। इनमें से एक मामला तो नालंदा जिले के गठन से पहले का है।
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वर्ष 1970 में दर्ज हुआ था पहला मामला
नालंदा जिला का गठन के पहले वर्तमान के पटना जिला के परसा निवासी स्वर्गीय सीता गोप पर 1970 में सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगा था। उस समय नालंदा पटना जिला में ही शामिल था। तब फतुहा पुलिस स्टेशन में यह मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद जब नालंदा जिला का गठन हुआ तो यह मामला ट्रांसफर होकर नालंदा जिला में आ गया। तब से यह मामला यहां के कोर्ट में ही पेंडिंग चल रहा था। मामले के कंपलेनेंट और प्रतिवादी दोनों की ही मृत्यु हो चुकी है। एसीजेएम 5 का पद संभालने के बाद जज मानवेन्द्र मिश्रा ने दोनों की मृत्यु होने का सत्यापन कर शनिवार को मामले का डिस्पोजल कर दिया। 52 वर्ष बाद इस मामले 25/सी 1970 का डिस्पोजल हुआ।
देवराज सिंह 1978 में थे थाना प्रभारी, मौत के बाद मिली मुक्ति
रोहतास जिले के काराकाट निवासी देवराज सिंह 1978 में हरनौत के थाना प्रभारी थे। कुछ स्थानीय लोगों ने थाना प्रभारी के पद पर रहने के दौरान ही उन पर मामला दर्ज कराया था। कांड संख्या 1544/78 अभी तक लंबित चला आ रहा था। जज मिश्र ने इसे भी प्राथमिकता से लेते हुए संबंधित पुलिस स्टेशन से देवराज सिंह के जीवित या मृत रहने की पुष्टि करायी। बेटे ने भी पिता की मृत्यु की पुष्टि की। जिसके बाद उन्होंने मामले का डिस्पोजल कर दिया।