बिहार: बारा नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि,स्मा रक स्थल पर पूजा-अर्चना
गया जिले के बारा गांव में आज के दिन 29 साल पहले एमसीसी उग्रवादियों ने 35 लोगों का गला रेत दिया था। नरसंहार में शहीदों को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी गयी। शहीद स्मारक स्थल पर दिवंगत परिजनों के लिए पूजा-अर्चना की गयी।
- गया में 29 साल पहले उग्रवादियों ने रेता था 35 लोगों का गला
- घटना याद कर आज भी सिहर उठते हैं लोग
गया। जिले के बारा गांव में आज के दिन 29 साल पहले एमसीसी उग्रवादियों ने 35 लोगों का गला रेत दिया था। नरसंहार में शहीदों को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी गयी। शहीद स्मारक स्थल पर दिवंगत परिजनों के लिए पूजा-अर्चना की गयी।
लगभग तीन दशक पूर्व 12 फरवरी 1992 को गया जिले के टिकारी ब्लॉक के बारा गांव में नक्सली संगठन MCC के सैकड़ों हथियारबंद उग्रवादियों ने गांव पर हमला कर दिया था। एक हीं जाति के 35 लोगों की गला रेतकर मर्डर कर दी थी। घटना के लगभग तीन दशक गुजर गये परंतु जख्म अभी भरे नहीं हैं। पीड़ितों के जेहन में भय व दुख-दर्द आज भी ताजा हैं। समय ने आग पर राख की एक परत डाल दी है, परंतु दर्द की चिंगारी अब भी अंदर सुलग रही है।
11 मृतकों के आश्रितों को अब तक नहीं मिली नौकरी
घटना के बाद तत्कालीन गवर्नमेंट ने पीड़ितों के आश्रितों को नौकरियां देकर मरहम लगाने का प्रयास किया था। परंतु उन पीड़ितों में 11 परिवार को वह लाभ आज तक नहीं मिल सका है। जनप्रतिनिधि और अधिकारीगण केवल उनके लिए वादों की खेती करते रहे हैं। पीड़ितों को अब तक केवल निराशा, तनाव और अवसाद जैसी फसलें हीं उपजती रही हैं। नरसंहार में मारे गये बारा गांव के हरिद्वार सिंह, भुषाल सिंह, सदन सिंह, भुनेष्वर सिंह, संजय सिहं, शिवजनम सिंह, गोरा सिंह, बली शर्मा, आशु सिंह तथा भोजपुर जिला अकबारी गांव के श्रीराम सिंह एवं परैया थाना राजाहरी गांव के प्रमोद सिंह के आश्रित अब भी नौकरी की आस में हैं। सरकार की दोरंगी नीति के शिकार ये पीड़त अब भी उम्मीदों के डोर थामें है कि शायद हुक्मरानों को तरस आ जाए। उनकी किस्मत पलटी खा ले।
सरकार की उपेक्षा नरसंहार की पीड़ा से कम नहीं
पूर्व सरपंच व वर्तमान पैक्स अध्यक्ष मदन सिंह कहते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद आश्रितों को नौकरी नहीं दिया जाना नरसंहार में मिली पीड़ा से कम दुखदायी नहीं है। एक्स सेंट्रल मिनिस्टर व सीनीयर बीजेपी लीडर डॉ. सीपी ठाकुर ने वर्तमान सरकार को पत्र लिखकर इस संबंध में कारवाई करने को कहा था। परंतु उसे भी अनसुना कर दिया गया। जबकि उनके पत्र के आधार पर स्थानीय डीएसपी ने एक जांच प्रतिवेदन भी सरकार को भेजा था।
तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद की घोषणाएं अधूरी
नरसंहार की घटना के बाद तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने संपर्क पथ का निर्माण, स्थायी पुलिस चौकी, स्वास्थ्य केंद्र के अलावा बिजली, सिंचाई, पेयजल आदि सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा की थी। लेकिन घोषणाएं आज तक पूरी तरह पूर्ण नहीं हो सकीं। सड़क बनी लेकिन अधूरी है। चौकी के लिए ग्रामीण श्लोेक सिंह जमीन दान में दे दी, लेकिन चौकी नही बनी। स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू तो कर दिया गया है, लेकिन पद सृजन आज तक नहीं हुआ है। इतने वर्षों में वे मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नही कराई जा सकी हैं, जो कि एक सामान्य गांव में भी हो जानी चाहिए थी। हलांकि चरणबद्ध तरीके से अलग अलग योजनाओं से हर गांव की तरह यहां भी विकास का सिलसिला जारी है।