बिहार: कोरोना जांच में फरजीवाड़ा, गड़बड़ी करने वाले सिविल सर्जन समेत पांच अफसर सस्पेंड

बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा मामले में जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल समेत पांच अफसर व मेडिकल स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया है। फरजीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद सभी जिलों के प्रशासन से टेस्ट में गड़बड़ी की जांच कराने के निर्देश दिये गये हैं।

बिहार: कोरोना जांच में फरजीवाड़ा, गड़बड़ी करने वाले सिविल सर्जन समेत पांच अफसर सस्पेंड
  • जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल सस्पेंड

पटना। बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा मामले में जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल समेत पांच अफसर व मेडिकल स्टाफ को सस्पेंड कर दिया गया है। फरजीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद सभी जिलों के प्रशासन से टेस्ट में गड़बड़ी की जांच कराने के निर्देश दिये गये हैं। जांच के लिए स्वास्थ विभाग की 12 टीमों का भी गठन किया गया है। दिल्ली से शुक्रवार को पटना लौटने के बाद पत्रकारों द्वारा इस संबंध में पूछे गये एक प्रश्न में नीतीश कुमार कहा कि इस मामले में कार्रवाई हो रही है।

हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय ने कहा कि जांच में गड़बड़ी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई है। पांडेय ने कहा कि जमुई में सिकंदरा और बरहट ब्लॉक में गड़बड़ी की बात आई थी, जिसकी जांच करने पर सही पाया गया। उन्होंने कहा कि जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल सहित पांच अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। कई अन्य स्वास्थकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है।

फोन नंबर की जगह 0000000000 का इस्तेमाल
मंगल पांडेय ने कहा कि पूरे बिहार में कोविड टेस्ट से जुड़ी गड़बड़ियों की जांच के लिए विशेष टीम भी बनाई गई है, जो अलग-अलग जिलों में जाकर जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने भी सभी डीएम को अपने स्तर से जांच करवाने का निर्देश दिया है। कुछ जिलों में गड़बड़ी की बात सामने आई है। अब पूरे राज्य में ही गड़बड़ी की जांच करवाई जा रही है। जिसने भी गड़बड़ी की होगी उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा, सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

यह है मामला
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना, शेखपुरा और जमुई के 6 PHC में 16, 18 और 25 जनवरी को कोरोना जांच के 588 एंट्री की जांच की गई तो पता चला कि डेटा प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए नाम, उम्र और मोबाइल फोन नंबर की पूरी डेटा एंट्री ही फर्जी थी। जब इन डेटा का मिलान किया गया तो पता चला कि जमुई जिले के बरहट की 230 एंट्री में 12, सिकंदरा की 208 एंट्री में 43 और जमुई सदर की 150 में 65 मामलों में ही कोरोना जांच को वेरिफाई किया जा सका। यही हाल फोन नंबरों का भी रहा। बरहट में तीन अलग-अलग डेटके 14, 11 और 11 फोन नंबर गलत पाये गये।

जमुई के बरहट पीएचसी में 0000000000 (10 जीरो) रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है, जो कि उन 48 लोगों में से 28 लोगों के मोबाइल नंबर के रूप में है। इनलोगों को 16 जनवरी को कोविड जांच के रूप में दिखाया गया था। 'इंडियन एक्सप्रेस' में कहा गया है कि 25 जनवरी को भी 83 लोगों में से 46 के मोबाइल नंबर की जगह 10 जीरो लिखा गया है। PHC जमुई सदर में भी 16 जनवरी को 150 एंट्री में से 73 के लिए मोबाइल नंबर की जगह 10 जीरो का इस्तेमाल किया गया है।