बिहार: कौन बनेगा विधानसभा का नया स्पीकर? त्यागपत्र नहीं दिए तो दो इतिहास बनायेंगे विजय सिन्हा

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अब तय है कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा जल्द ही निवर्तमान होंगे। उनके खिलाफ महागठबंधन के विधायकों ने अविश्वास का नोटिस दिया है। 

बिहार: कौन बनेगा विधानसभा का नया स्पीकर? त्यागपत्र नहीं दिए तो दो इतिहास बनायेंगे विजय सिन्हा
  • एक दिन के सेशन में विजय सिन्हा पर फैसला मुश्किल
  • स्पीकर 23 को इस्तीफा देते हैं तो यह निर्वाचन 25 को 
  • अगर 24 को बहुमत से हटाये जाते हैं तो 26 को निर्वाचित होंगे नया स्पीकर
  • ऐसी स्थिति में एक या दो दिन बढ़ सकता है सेशन

पटना। बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अब तय है कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा जल्द ही निवर्तमान होंगे। उनके खिलाफ महागठबंधन के विधायकों ने अविश्वास का नोटिस दिया है। 

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विजय सिन्हा यदि मंगलवार 23 अगस्त को इस्तीफा दे देते हैं या फिर 24 को अविश्वास का सदन में सामना करते हैं यह कल ही पता चल पायेगा। ऐसे विस का नया अध्यक्ष 24 अगस्त को आहूत एक दिवसीय सेशन में नहीं मिलेगा। विजय सिन्हा 23 को इस्तीफा करते हैं तो यह निर्वाचन 25 को और यदि 24 को बहुमत से हटाए जाते हैं तो नया अध्यक्ष 26 को निर्वाचित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में विधानसभा का सेशन एक या दो दिन बढ़ सकता है। सेशन नहीं बढ़ाया गया तो यह निर्वाचन अगले सेशन तक भी जा सकता है।
त्यागपत्र नहीं दिए तो दो इतिहास बनायेंगे विधानसभा अध्यक्ष
बिहार के संसदीय इतिहास में पहला मौका होगा जब विधानसभा अध्यक्ष को सत्ता पक्ष के अविश्वास का सामना करना पड़ेगा। विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा अगर त्यागपत्र नहीं देते हैं तो वे दो इतिहास बनाएंगे। पहला उन्हें 24 अगस्त को सदन में अध्यक्ष के रूप में सत्ता पक्ष का सामना करना होगा।र दूसरा बिहार विधानसभा में पहली बार किसी अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटना पड़ेगा।

बिहार में अभी तक दो बार विधानसभा अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाये जा चुके हैं। एक बार चर्चा भी हो चुकी है। दूसरी बार बिना चर्चा के प्रस्ताव वापस ले लिया गया था। दोनों प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाये गये थे। विजय सिन्हा जिस तरह मैदान में अभी तक अड़े और खड़े हैं, उससे माना जा रहा कि वह सदन में अपना पक्ष रखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनके पक्ष में सिर्फ बीजेपी के 76 सदस्य हैं। जबकि विरोध में 164 सदस्यों का सत्ता पक्ष है। ऐसे में उनका पद पर बना रहना असंभव है। उनसे नैतिकता के आधार पर उनसे इस्तीफे की मांग की जाने लगी है। डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने कहा है कि विजय सिन्हा को त्यागपत्र दे देना चाहिए। उन्हें पता है कि उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं है। ऐसे में कोई अन्य विकल्प भी नहीं बचता है। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि इस परिस्थिति में अध्यक्ष पद छोड़ देते हैं। यह लोकसभा तक में सामान्य परंपरा रही है। अभी जो अध्यक्ष हैं वे पुराने गठबंधन के आधार पर हैं, अब गठबंधन बदल गया है। पहले 126 के बहुमत का गठबंधन था, अब 164 के भारी बहुमत का गठबंधन है।
विधानसभा स्पीकर के लिए दो बार आ चुके हैं अविश्वास प्रस्ताव
पहली बार सात अप्रैल 1960 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विंध्येश्वरी प्रसाद वर्मा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। सीएम श्रीकृष्ण सिंह थे। विधानसभा उपाध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह को आसन पर आकर अविश्वास का संकल्प पढ़ा था। लंबी बहस हुई थी, किंतु प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। दूसरी बार मई 1970 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। विधानसभा अध्यक्ष थे राम नारायण मंडल और सीएम थे दारोगा प्रसाद राय। सदन में आठ जून को चर्चा होनी थी, लेकिन नोटिस सदन में रखे जाने से पहले ही वापस ले ली गई। इस कारण चर्चा की नौबत नहीं आई।
महागठबंधन सरकार की विश्वास मत के लिए 26 को सेशन
महागठबंधन की नई सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए 24 अगस्त को विधानसभा की बैठक सुबह 11 बजे से बुलाई गई है। इस एक दिवसीय सेश की कार्ययोजना मौजूदा अध्यक्ष को ही बनानी है। विधानसभा में दो ही कार्य किये जाने हैं। पहला सरकार का बहुमत हासिल करना और दूसरा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग। अभी यह भी सस्पेंस है कि इनमें से पहला कार्य कौन होगा और दूसरा कौन सा। सत्तापक्ष चूंकि अध्यक्ष के खिलाफ नो कंफिडेंस मोशन नोटिस दे चुका है, इसलिए वह सभा का संचालन अध्यक्ष की जगह उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी से कराना चाहेगा। पर इसे दूसरे नम्बर पर लिए जाने की स्थिति में सरकार के विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया का संचालन विजय सिन्हा ही करेंगे (यदि इसके पूर्व उन्होंने इस्तीफा नहीं किया तो)।  

कार्यसूची अभी तय नहीं
कार्यसूची अभी तय नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि बुधवार को सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने से बात शुरू होगी। लेकिन कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पर विमर्श की मांग करेंगे। ऐसे में सहमति देना विधानसभा अध्यक्ष की बाध्यता होगी। तब स्थापित व्यवस्था के तहत विजय सिन्हा को आसन छोड़ना पड़ेगा। चर्चा के समय आसन पर उपाध्यक्ष होंगे।

बिहार विधानसभा के कार्यसंचालन नियमावली में अध्यक्ष को हटाने या नये अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया निर्धारित है। खासबात यह है कि बिहार के राज्यपाल द्वारा अध्यक्ष के निर्वाचन की तिथि निर्धारित होनी है। चूंकि तकनीकी रूप से विधानसभा के अध्यक्ष का पद अभी रिक्त नहीं है। न ही ऐसी कोई सूचना विस की ओर से महामहिम को दी गई है। इसलिए फिलहाल राज्यपाल ने 25 अगस्त को विप के सभापति निर्वाचन की ही तिथि मुकर्रर की है। जहां तक विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की बात है तो रिक्ति की सूचना मिलने के बाद उनके द्वारा तिथि निर्धारित होगी। निर्वाचन की तिथि के एक दिन पूर्व 12 बजे दिन तक ही अध्यक्ष बनने को इच्छुक सदस्य विस सचिव के पास नामांकन दर्ज करेंगे।