‍ Bihar: बिहार में वोटबैंक साधने की तैयारी, आनंद मिश्रा, नागमणि और आशुतोष ने थामा BJP का दामन

बिहार में वोटबैंक साधने की कवायद तेज़, आनंद मिश्रा, नागमणि कुशवाहा और आशुतोष ने BJP की सदस्यता ग्रहण की। जानें राजनीतिक समीकरणों पर इसका असर।

‍ Bihar: बिहार में वोटबैंक साधने की तैयारी, आनंद मिश्रा, नागमणि और आशुतोष ने थामा BJP का दामन
बीजेपी के हुए आनंद मिश्रा, नागमणि व आशुतोष।
  • वोटबैंक को सहेजने पर बीजेपीकी नजर

पटना। बिहार में बिधानसभा चुनाव से पहले  भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने राजनीतिक समीकरण मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी की नज़र अब विभिन्न वर्गों के वोटबैंक को साधने पर है। इसी कड़ी में आनंद मिश्रा, नागमणि कुशवाहा और आशुतोष ने मंगलवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।यह भी पढ़ें:Gujarat: अडानी सीमेंट ट्रांसपोर्टिंग में महतो ट्रांसपोर्ट नंबर-1, अहमदाबाद में धनबाद के मनी महतो को मिला फर्स्ट प्राइज

भाजपा प्रदेश मुख्यालय में आयोजित मिलन समारोह में एक्स आइपीएस आनंद मिश्रा, एक्स सेंट्रल मिनिस्टर नागमणि, उनकी पत्नी सुचित्रा सिन्हा एवं राष्ट्रीय जन जन पार्टी के प्रमुख आशुतोष कुमार ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। मिश्रा जन सुराज पार्टी में सक्रिय थे।यूथ विंग की कमान संभाल चुके थे। पिछले वर्ष उन्होंने बक्सर से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन खास सफलता नहीं मिली।
एक्स सेंट्रल मिनिस्टर  नागमणि कुशवाहा (दिवंगत क्रांतिकारी नेता जगदेव प्रसाद के पुत्र) हैं। बिहार सरकार के एक्स मिनिस्टर एवं नागमणि की पत्नी सुचित्रा सिन्हा की दूसरी बार बीजेपी में लौटीं हैं। बीजेपी में इन तीन चेहरों का जुड़ाव विधानसभा चुनाव में सामाजिक समीकरण एवं बूथ मैनेजमेंट दोनों दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। आनंद मिश्रा जहां युवाओं में पकड़ रखते हैं, वहीं नागमणि कुशवाहा का पिछड़ा वोट बैंक और सुचित्रा सिन्हा का महिला नेटवर्क भाजपा की रणनीति को मजबूती देंगे।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल ने पार्टी से जुड़ने वाले सभी नेताओं को पार्टी सदस्यता दिलायी। वहीं, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा के अलावाक्त भाजपा के अन्य नेताओं ने स्वागत किया। मिलन समारोह को संबोधित करते हुए सदस्यता ग्रहण करने वाले नेताओं ने पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया।
14 दलों से जुड़े 72 वर्षीय नागमणि तीसरी बार बीजेपी में हुए शामिल

बिहार की राजनीति में नागमणि की पहचान दल बदल का रिकॉर्ड बनाने वाले के रूप में होती है। हालत यह कि एक साथ उन सभी दलों का नाम भी नहीं बता सकते हैं, जहां वे गए और लौटे हैं। बीजेपी में वह तीसरी बार शामिल हुए हैं। इससे पहले राजद, जदयू, लोजपा सहित अन्य गैर वामपंथी दलों में उनका आना-जाना हुआ है। उन्होंने खुद भी कई पार्टियां बनायी।नागमणि ने अंतिम चुनाव 2024 में वे चतरा से लड़े। बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हैसियत से उन्हें 11950 वोट मिला। जमानत नहीं बच पायी। नागमणि बिहार के उन चुनिन्दा नेताओं में से एक हैं, जिन्हें चारों सदनों-लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में रहने का अवसर मिला है। बीजेपी में शामिल होते समय उन्होंने पार्टी नेतृत्व से वादा किया-अब जीना और मरना यहीं है। आ गए हैं तो कहीं नहीं जाएंगे। पार्टी में बिना शर्त के शामिल हुए हैं।
उन्होंने भाजपा के साथ अपने पुराने संबंधों को याद किया-राजद के तीन लोकसभा और छह राज्यसभा सांसदों के साथ उन्होंने केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (1999-2004) का समर्थन किया। उस सरकार में वे सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के मंत्री बने थे। नागमणि के पिता जगदेव प्रसाद बड़े समाजवादी नेता थे। मध्य बिहार और शाहाबाद में समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने में उनकी बड़़ी भूमिका थी। उनकी हत्या कर दी गयी थी। समाजवादियों और वामपंथियों के बीच स्व. जगदेव प्रसाद को बलिदानी का दर्जा मिला हुआ है। नागमणि के ससुर सतीश प्रसाद सिंह कुछ दिनों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भी बने थे। एक समय में कुशवाहा समाज में नागमणि की मजबूत पकड़ थी। लेकिन, दल बदलते रहने के कारण वे किनारे लग गए थे। उन्होंने कहा-मेरे अलावा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ही राज्य के कुशवाहा समाज के नेता हैं। अब हम तीनों एनडीए में हैं। इसलिए कुशवाहा समाज का शत प्रतिशत वोट एनडीए को मिलेगा।
नागमणि के साथ उनकी पत्नी सुचित्रा सिंह भी भाजपा में शामिल हुईं। वह विधायक और मंत्री रह चुकी हैं। 72 वर्षीय नागमणि हंसमुख स्वभाव के हैं। लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी दोस्ती और दुश्मनी का संबंध रहा है। अच्छी बात यह कि दोस्ती करते हैं तो बड़ी आसानी से पुरानी बातें भूल जाते हैं। दोस्त से दुश्मन बनने पर भी उनका यही अंदाज रहता है।