बिहार चुनाव का असर! कृष्णा अल्लावरु हटाये गये, मनीष शर्मा कांग्रेस बने यूथ कांग्रेस के प्रभारी

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में बड़ा बदलाव। कृष्णा अल्लावरू को यूथ कांग्रेस प्रभारी पद से हटाया गया, मनीष शर्मा को सौंपी गई नई जिम्मेदारी। बदलाव के पीछे क्या है कांग्रेस की रणनीति, जानिए विस्तार से।

बिहार चुनाव का असर! कृष्णा अल्लावरु हटाये गये, मनीष शर्मा कांग्रेस बने यूथ कांग्रेस के प्रभारी
मनीष शर्मा (फाइल फोटो)।
  • बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच कांग्रेस में बड़ा फेरबदल

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच कांग्रेस पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर एक बड़ा बदलाव किया है। कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरू को भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) के प्रभारी पद से हटा दिया है। अल्लावरू की जगह मनीष शर्मा को नयी जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस नियुक्ति को मंजूरी दी है।
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कृष्णा अल्लावरू फिलहाल बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हैं और लंबे समय से दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, लगातार बढ़ते चुनावी दबाव और बिहार में संगठन की सक्रियता बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
बिहार में चुनावी हलचल के बीच बदलाव का सियासी मतलब
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। इसी बीच कांग्रेस के इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।राजस्थान के एक्स सीएम व  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बुधवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी। इस बैठक में कृष्णा अल्लावरू भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि उसी के बाद पार्टी ने युवा कांग्रेस के प्रभारी पद से उन्हें मुक्त करने का निर्णय लिया।
मनीष शर्मा के लिए नयी चुनौती
मनीष शर्मा के सामने अब बड़ी चुनौती यह होगी कि वे युवा कांग्रेस को सक्रिय करें और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में युवा मतदाताओं तक कांग्रेस का संदेश मजबूती से पहुंचाएं। शर्मा को एक ऊर्जावान और रणनीतिक सोच वाले नेता के रूप में जाना जाता है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि वे संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।
कांग्रेस में बदलाव का टाइमिंग बना चर्चा का विषय
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह बदलाव सिर्फ संगठनात्मक नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति से जुड़ा कदम है। कांग्रेस चाहती है कि युवा वर्ग को लेकर उसकी पकड़ मजबूत हो और महागठबंधन में उसकी स्थिति और प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखे। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब पार्टी टिकट वितरण, प्रचार रणनीति और उम्मीदवार चयन को लेकर अंदरूनी समन्वय पर काम कर रही है।
निष्कर्ष
कांग्रेस का यह निर्णय न केवल बिहार चुनाव के मद्देनज़र एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि पार्टी अब ड्यूल जिम्मेदारी से बचते हुए हर स्तर पर स्पष्ट और केंद्रित नेतृत्व चाहती है।