"झारखंड के अफसरों के पास 8-8 मोबाइल! एक सरकार के लिए, बाकी ‘सेटिंग-गेटिंग’ और धंधे के लिए": बाबूलाल

झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य के सीनियर अफसरों पर गंभीर आरोप लगाये — कहा, अफसरों के पास 7-8 मोबाइल हैं; सरकारी, निजी और ‘धंधे’ के लिए अलग-अलग नंबर! हेमंत सोरेन सरकार पर उठे सवाल।

"झारखंड के अफसरों के पास 8-8 मोबाइल!  एक सरकार के लिए, बाकी ‘सेटिंग-गेटिंग’ और धंधे के लिए": बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी (फाइल फोटो)।

रांची। झारखंड के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य के सीनियर सरकारी अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मरांडी ने कहा है कि झारखंड के कई सीनीयर अफसर सात से आठ मोबाइल फोन रखते हैं, जिनका इस्तेमाल वे अलग-अलग मकसद के लिए करते हैं — सरकारी, निजी और ‘धंधे’ के लिए।
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बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से ‘सेटिंग और वसूली’ पर चल रही है।
मरांडी का ट्वीट: “सुबह 11 बजे तीनों अधिकारी संपर्क से बाहर”
बाबूलाल मरांडी ने अपने एक्स (Twitter) अकाउंट से पोस्ट कर लिखा,“आज सुबह लगभग 11 बजे मैंने जनसरोकार से जुड़े एक मामले में बोकारो जिले के एसपी, डीसी और एसडीओ को उनके सरकारी एवं गैर-सरकारी नंबरों पर कॉल किया और करवाया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीनों के सरकारी और ज्ञात गैर-सरकारी नंबर स्विच ऑफ थे।”उन्होंने कहा, “अगर दिन के 11 बजे जिले के शीर्ष अधिकारी ही संपर्क से बाहर हों, तो यह बताने की जरूरत नहीं कि सरकार कितनी गंभीरता से काम कर रही है।”
“अफसरों के पास सीक्रेट नंबरों से चलता है धंधा”
मरांडी ने आगे लिखा कि, “यह जानकारी मिली है कि झारखंड के अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी तीन-तीन, चार-चार मोबाइल नंबर रखते हैं — एक सरकारी नंबर, जो कभी उठाया नहीं जाता; दूसरा निजी, जो सिर्फ दोस्तों और परिचितों के लिए होता है; और बाकी ‘सीक्रेट नंबर’, जो ‘सेटिंग-गेटिंग’ और ‘धंधे’ के लिए उपयोग होता है।”उन्होंने यह भी दावा किया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सात-आठ मोबाइल फोन अपने साथ एक बैग में रखते हैं और उनके लिए कुछ लोग “थोक में मोबाइल लेकर वसूली का नेटवर्क चलाते हैं।”
“सीएम हेमंत सोरेन को भी ठगा जा रहा है”: मरांडी
मरांडी ने ट्वीट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टैग करते हुए लिखा,“ अगर मेरी बातों पर यकीन न हो तो खुद जांच कर लीजिए। आपके आंखों में धूल झोंककर कुछ अफसर बेनामी नंबरों से धंधा कर रहे हैं। यह स्थिति प्रशासनिक अनुशासन पर गंभीर सवाल उठाती है। अधिकारी जनता की सेवा के लिए हैं, न कि कुर्सी पर बैठकर मनमानी के लिए।”
मरांडी के आरोपों से मचा सियासी हड़कंप
बाबूलाल मरांडी के इस ट्वीट के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी भाजपा इसे प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अफसरशाही की मनमानी बता रही है, जबकि सत्तारूढ़ झामुमो सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह इन आरोपों की जांच कराए।वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इसे मरांडी की चुनावी रणनीति भी बता रहे हैं, ताकि वे सरकारी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेर सकें।
क्या वाकई अफसरों के पास इतने नंबर हैं?
मरांडी के आरोपों के बाद अब जनता के बीच भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई झारखंड के अफसर इतने नंबरों का इस्तेमाल करते हैं? अगर हां, तो उनका उपयोग किन उद्देश्यों के लिए होता है? हालांकि, अब तक किसी अधिकारी या सरकार की ओर से इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।