धनबाद: ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट के प्रसिडेंट ने वापस लिया इस्तीफा
ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट के प्रसिडेंट प्रमोद कुमार ने सदस्यों के आग्रह पर अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। प्रसिडेंट ने ट्रस्ट के ग्रुप में अपना इस्तीफा वापस लेने व पूर्व की तरह सबके साथ मिल-जुलकर काम करने की बात कही है।
धनबाद। ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट के प्रसिडेंट प्रमोद कुमार ने सदस्यों के आग्रह पर अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। प्रसिडेंट ने ट्रस्ट के ग्रुप में अपना इस्तीफा वापस लेने व पूर्व की तरह सबके साथ मिल-जुलकर काम करने की बात कही है।
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ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट की कार्यकारिणी की बैठक उपाध्यक्ष ओपी पांडेय की अध्यक्षता में आमंत्रण विवाह वाटिका में आयोजित की गयी। बैठक में प्रसिडेंट से इस्तीफा वापस लेने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही अध्यक्ष से आग्रह किया गया की पूर्व की तरह ट्रस्ट को नेतृत्व प्रदान करे। बैठक मे सहायक सचिव विकास ओझा, सुजीत कुमार, मनोज कुमार, दशरथ राय तथा टेलीफोन पर मनोज कुमार शर्मा उपलब्ध रहे। ट्रस्ट के पदाधिकारियों व सदस्यों के आग्रह पर प्रसिडेंट ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
चंद लोगों द्वारा प्रसिडेंट की अनदेखी
उल्लेखनीय है कि ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट धनबाद में चंद लोगों द्वारा प्रसिडेंट की अनदेखी के साथ उन्हें अपमानित किया जा रहा था। आहत होकर ट्रस्ट के प्रसिडेंट प्रमोद कुमार ने पद स् इस्तीक्षा दे दिया था। उन्होंने ट्रस्ट के व्हाट्सएप ग्रुप में इस्तीफा दिये जाने की घोषणा की थी। प्रसिडेंट श्री कुमार ने एक पदाधिकारी का नाम उल्लेख करते हुए लिखा है कि उनके बात से बहुत दुखी हैं। कहा है कि उनके शब्दों को मै लिख नहीं सकता क्या सत्य पथ पर चलने का यही शीला मुझे मिलेगा। फैसला आपको कराना है। मैं अपने स्वास्थ्य कारणों से ओम दिनकर सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। आज से इसको माना जायेगा।
ट्रस्ट को अपनी पब्लिसिटी का माध्यम बनाने की कोशिश
ऊं दिनकर सेवा ट्रस्ट ब्रह्रर्षी परिवार से जुड़े लोगों का संगठन है। इस समाज से जुड़े लोग संगठन के माध्यम से सामाजिक कार्य करते हैं। हाल के कुछ वर्षों के समाज के ही चंद लोग ट्रस्ट को अपनी पब्लिसिटी का माध्यम बनाना चाहते हैं। इसके माध्यम से समाज का कथित रहनुमा बनना चाहते हैं। एक ग्रुप इसका खिलाफत कर रहे हैं। कार्यक्रमों के आयेजन का आय-व्यय सही से ऑडिट नहीं होता है। ऐसे मामले में जो लोग नियम-कानून व एकजुटता की बात कहते हैं उन्हें साइड कर दिया जाता है। कुछ लोग अपने मन के पदाधिकारियों को थोपना चाहते हैं। यही विवाद का कारण बन रहा है।
पूर्व कमेटी में भी किया गया था ऐसा
बताया जाता है कि पिछली बार कमेटी में प्रसिडेंट व जेनरल सेकरेटरी कोभी अपमानित कर हटाया गया था। योजना के तहत नये लोगों को जिम्मेवारी दी गयी। चंद लोग हावी होने लगे। कुछ ही माह में महासचिव पद छोड़कर अलग हो गये। नये महासचिव की नियुक्ति की गयी। प्रसिडेंट जब नियम कानून व हिसाब-किताब की बात किये तो उन्हें टारगेट किया जाने लगा। इस कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा है। इस बार भी वही लोग हैं जो पिछले प्रसिडेंट के साथ गलत किये थे।