Dhanbad : हावड़ा-नई दिल्ली रेल रूट पर दर्दनाक हादसा, हाईटेंशन तार की चपेट में आकर छह की मौत
धनबाद रेल डिवीजन एरिया में हावड़ा-नई दिल्ली रेल रूट पर सोमवार को दिल दहला लेने वाली दर्दनाक घटना हुई है। धनबाद - गोमो के बीच निचितपुर हाल्ट के पास 25 हजार वोल्ट तार की चपेट में आकर छह लोगों की जल कर मौत हो गई है। अन्य कई लोग भी बिजली तार की चपेट में आकर झुलस गये हैं।
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- 25 हजार वोल्ट के तार से जलकर राख हुआ बॉडी
- बिना शट डाउन लिये लगाया जा रहा था पोल,
- धनबाद-गोमो रेल खंड पर निचितपुर हॉल्ट तथा तेतुलमारी स्टेशन के बीच की घटना
धनबाद। धनबाद रेल डिवीजन एरिया में हावड़ा-नई दिल्ली रेल रूट पर सोमवार को दिल दहला लेने वाली दर्दनाक घटना हुई है। धनबाद - गोमो के बीच निचितपुर हाल्ट के पास 25 हजार वोल्ट तार की चपेट में आकर छह लोगों की जल कर मौत हो गई है। अन्य कई लोग भी बिजली तार की चपेट में आकर झुलस गये हैं।रेल प्रशासन ने घटना की जांच का आदेश दिया है।
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कई ट्रेनों का परिचालन रहा ठप
घटना को लेकर इस रेल रूट पर अप और डाउन में ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था। हावड़ा-बीकानेर एक्सप्रेस धनबाद स्टेशन पर रोकी गई थी। डाउन में आ रही कालका-हावड़ा नेताजी एक्सप्रेस को तेतुलमारी स्टेशन पर रोका गया। रेल अफसर और रेलवे के डाक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ रोड से घटनास्थल पहुंचे।। धनबाद से दुर्घटना राहत मेडिकल यान भी मौके पर पहुंची। घटना के वक्त मौके पर 13 मजदूर थे। इनमें से छह की मौत हुई है। सभी बॉडी को निकाल लिया गया है। इसके बाद अप व डाउन लाइन पर ट्रेन परिचालन शुरू कर दिया गया है।
ऐसे हुई घटना
धनबाद रेल डिवीजन में प्रधानखंता से बंधुआ तक लगभग 200 किमी रेल रूट पर ट्रेनों की स्पीड 120 से 160 किमी प्रति घंटे करने को लेकर काम चल रहा है। रेलवे के टीआरडी विभाग की ओर से सोमवार को निचितपुर हाल्ट के रेल फाटक पास पोल लगाने का काम कराया जा रहा था। ऐसे काम के लिए ट्रैफिक ब्लाक की अनुमति लेनी होती है। क्रेन की मदद ली जाती है।कंट्रेक्टर बिना अनुमति के ही कंट्रेक्ट मजदूरों से काम करा रहा था। मजदूर पोल लगा रहे थे तभी 25 हजार वोल्ट वाले हाई टेंशन ओवरहेड तार की ओर पोल झुक गया। उसे संभालने की कोशिश के बीच पोल हाई टेंशन तार से सट गया जिससे करंट दौड़ गया।और मौके पर ही पांच की झुलस कर मौत हो गई। घटना के बाद भगदड़ मच गई। कंट्रेक्टर मौके से भाग निकला।
दोषी के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाइ: डीआरएम
घटनास्थल पर पहुंचे डीआरएम कमल किशोर सिन्हा ने छह की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच होगी। दोषी पर कार्रवाई की जायेगी।
मृतकों में लातेहार, बरवाडीह और प्रयागराज के मजदूर
ट्रैक्शन पोल लगाने के लिए 22 मजदूरों को लाया गया था। मजदूर धनबाद के भूली में ठहराये गये थे। टीम लीडर बबलू कुम्हार है। उससे मरने वालों की पहचान करायी गयी है।
मृतकों की लिस्ट
(1) संजय भुईया(28), पिता कैलाश भुइयां, ग्राम मीरवाई कला, थाना बरवाडीह, जिला लातेहार
(2) गोविंद सिंह (30), पिता स्वर्गीय जग्गू सिंह, पता घ़ोरी सतबरवा, जिला पलामू
(3) दिनेश भुईयां (30), पिता फलू भुइयां, पता ग्राम फुलगारा, जिला लातेहार
(4) श्याम देव सिंह (45) पिता स्वर्गीय जग्गू सिंह, ग्राम घोरी सतबरवा, जिला पलामू
(5) सुरेश मिस्त्री (50), पता इलाहाबाद
(6) धर्मनाथ मांझी (40) वर्ष
चापाकल में पानी भर रही बच्ची हुई बोहोश
घटना स्थल से 30 कदम की दूरी पर चापानल से पानी निकाल रही झारखोर बस्ती के गणेश सिंह की पुत्री निशा कुमारी (18) भी करंट के चपेट में आ गयी। वह बेहोश होकर गिर पड़ी। आनन-फानन में उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल भेजा गया।
गति शक्ति का चल रहा है काम
रेलवे की महत्वाकांक्षी योजन गति शक्ति योजना के तहत प्रधानखांटा से गया तक एचओई, एसएसपी समेत अन्य काम चल रहा है। रेल विकास निगम लिमिटेड कंपनी के अंदर में इसका ठेका कोलकाता की संजय-शिखा एजेंसी को दी गयी है। इस काम के लिए लगभग 120 करोड़ रुपये का टेंडर हुआ है। ट्रेनों की स्पीड 120 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे स्पीड करने के लिए काम चल रहा था।
काम के समय नहीं था डिपार्टमेंट कोई इंजीनियर
एचओइ के लिए पोल लगाने का काम किया जा रहा था. लेकिन इसके लिए ना ही शटडाउन लिया गया और ना ही काम कराने के लिए वहां टीआरडी का इंजीनियर मौजूद था। जबकि नियम है कि काम के दौरान टीआरडी का एक इंजीनियर वहां मौजूद रहेगा। शटडाउन लेकर काम कराया जाना है। काम पूरा होने के बाद इंजीनियर को शटडाउन वापस करना है। इसके बाद लाइन को चालू किया जाना चाहिए था।रेलवे की ओर से इसका पालन नहीं किया गया। अलग-अलग जगहों पर एजेंसी द्वारा छह माह से काम किया जा रहा है। बिना शटडाउन के ही काम होता आ रहा है।
बिना सुरक्षा उपकरण के चल रहा था काम
काम के लिए किसी प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। जबकि पोल झुके नहीं या फिर ओवर हेड तार को नुकसान पहुंचाए बिना काम हो इसके लिए किरान समेत अन्य उपकरण होना चाहिए था।यहां सिर्फ मजदूरों के भरोसे ही काम हो रहा था।